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घटना की जांच करने देवता बनकर चले आए अधिकारी और हर ली मुसीबत

अपने वचन को निभाने के लिए एसडीएम ने रणनीति बनाई और उसे सफल होता देख पिता की आंखे डबडबा गईं...

By Gaurav Dwivedi
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वाराणसी। कहते हैं की भगवान किस रूप के आप के दरवाजे पर आ जाएं ये कहा नहीं जा सकता लेकिन उन्हें पहचानने की आपकी आस्था होने चाहिए। कुछ ऐसा ही हुआ वाराणसी के एक मजदूर परिवार के घर पर जहां एक एसडीएम अधिकारी उसकी बेटी की शादी करने के लिए खुद पहुंच गए। एसडीएम इस मजूदर के घर कन्यादान के लिए पहुंचे तो ये खबर पूरे गांव में फैल गई। जिसके बाद तहसील प्रशासन, वकील और कर्मचारियों ने 3 दिन पहले 60 हजार 300 रुपए, एनएचआई के अधिकारियों ने 11 हजार रुपए और पंचायत विभाग ने 21 हजार की मदद दी।

घटना की जांच करने खुद चले आए देवता और हर ली मुसीबत

इसके बाद मजदूर की बेटी की घूमधाम ने शादी करवाई गई। दरसअल 19 जून को पिंडरा तहसील में मजदूर श्याम बिहारी की बेटी मनीषा की शादी होनी थी कि शादी के ठीक 5 दिनों पहले उनके घर में भीषण आग लग गई। इस अग्निकांड में घर के सामानों के साथ-साथ उनकी बेटी के शादी में देने वाले सभी सामान जलकर खाक हो गए। जिसकी जांच करने के लिए एसडीएम एनएन यादव मौके पर पहुंचे थे। अधिकारी के सामने पिता फूट-फूटकर रोने लगा और सारी बात बताई। इस दर्द को सुनकर एसडीएम साहब से रहा नहीं गया और उन्होंने तय तारीख (19 जून) पर ही मनीषा के पिता हो शादी होने का वचन दिया था।

घटना की जांच करने खुद चले आए देवता और हर ली मुसीबत

अपने वचन को निभाने के लिए एसडीएम ने बनाई ये रणनीति

पिंडरा के एसडीएम एनएन यादव ने OneIndia से बात कर कहां कि मैं वाराणसी से सटे हुए जिले जौनपुर का रहने वाला हूं और मेरे पिता जी किसान थे। जिसके कारण मैंने गरीबी का दर्द काफी करीब से देखा है। जिस दिन ये घटना हुई थी मैं खुद मौके पर गया था और मेरे होश उड़ गए थे की शादी के घर में आग ने भीषण बर्बादी की थी। घर में रखे हुए अनाज से लेकर फर्नीचर और शादी के खरीदे गए सभी सामान, सब कुछ जलकर राख हो गया था। जिसके बाद मैंने सप्लाई डिपार्टमेंट को फोन कर श्याम बिहारी के घर पर दो कुंटल गेहूं और एक कुंटल चावल पहुंचाने का आदेश दिया। जिससे की शादी के घर आने वाले महमानों को कोई भी दिक्क्त ना हो।

घटना की जांच करने खुद चले आए देवता और हर ली मुसीबत

इसके बाद मैंने अपने ऑफिस कर्मचारियों, वकीलों और लेखपालों को बुलाकर मीटिंग की, जिसके बाद सभी ने मिलकर तुरंत करीब 42,000 रुपए इकट्ठा कर दिए। यही नहीं और भी लोगों ने मिलकर करीब 1 लाख रुपए की व्यवस्था कर हम दिया। जिसके बाद हमने ये रुपए श्याम बिहारी के घर पर भिजवाया और मनीषा की शादी धूमधाम से कराई। वहीं इस पूरे मामले पर तहसीलदार ने कहा की साहब का ये कदम संदेश को पूरे भारत में फैलाने की जरूरत है, जिससे लोगों को ये संदेश मिले की गरीबी-अमीरी का भेदभाव छोड़ और भी लोग ऐसे कदम उठाएं।

भर आई मनीषा के पिता की आखें

लड़की के प‍िता श्याम ब‍िहारी ने बताया, वो मजदूरी करते हैं। उन्होंने अपनी बेटी मनीषा की शादी सहमलपुर न‍िवासी काशीनाथ स‍िंह के बेटे राजू से तय की गई थी। 19 जून 2017 को बारात आनी थी। घर में शादी का करीब सारा सामान खरीदकर रख द‍िया गया था। इसी बीच शॉर्ट-सर्क‍िट से घर में आग लग गई और सारा सामान जलकर राख हो गया। एक बार तो लग रहा था पूरे परिवार के साथ अपने को खत्म न कर लूं। 5 दिन में शादी की तैयारी गरीबी में कैसे करूंगा? लेक‍िन एसडीएम हमारे ल‍िए भगवान बनकर आए। उन्होंने हमारे दुख-देखकर फ‍िक्स डेट पर शादी कराने का आश्वासन द‍िया और कहा क‍ि च‍िंता करने की कोई जरूरत नहीं है। एसडीएम ने मेरी बेटी की शादी को यादगार बना द‍िया। जब हमसे मनीषा के पिता अपने बेटी की शादी की बात शेयर कर रहे थे तो उनकी आखें तक भर आई थीं।

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English summary
Positive story of an IAS officer in Varanasi
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