फेल किडनी वाले सिपाही की लगाई ड्यूटी, हुई मौत, SSP पर आरोप
सिपाही की किडनी में समस्या थी जिस वजह से उनकी कई बार डायलिसिस की गई थी। फिर भी उनकी ड्यूटी लगाई जा रही थी। अधिकारियों की असंवेदनशीलता की वजह से उनकी मौत हो गई।
मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक दुखद घटना सामने आई है जहां उत्तर प्रदेश के सिपाही हरनारायण जिंदगी जीने की लड़ाई हार गए। हरिनारायण की मौत मथुरा के ब्रज चिकित्सा संस्थान में हुई। हरनारायण मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान पर तैनात थे और पुलिस के आला अधिकारियों की असंवेनशीलता के शिकार थे। हरनारायण की दोनों किडनियां लगभग एक साल पहले फेल हो चुकी थी और हफ्ते में दो बार उसे डायलिसिस करानी पड़ती थी।
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बहुत कमजोर हो चुके थे हरनारायण
डायलिसिस कराने के बाद हरनारायण को बहुत कमजोरी होती थी जिसके बाद वह कई घंटे तक चलने में सक्षम नहीं होते थे। इस सब के बाबजूद उनको मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान जैसे अतिसंवेदनशील जगह पर ड्यूटी देनी पड़ती थी। हरनारायण मजबूरी में ड्यूटी करते थे। हरनारायण ने अपनी बीमारी से सम्बंधित जानकारी अपने आला अधिकारियों को कई बार दी। वह लगातार छुट्टी की मांग रहे थे। हठधर्मिता पर अड़े अधिकारियों ने मजबूर सिपाही की एक न सुनी और हर बार सिपाही को निराशा ही हाथ लगी। मजबूर होकर पीड़ित सिपाही ने मीडिया से गुहार लगाई और मीडिया में खबर दिखाए जाने के बाद पीड़ित सिपाही को छुट्टी तो मिल गयी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
मौत के बाद घर में मचा कोहराम
सिपाही की मौत की खबर के बाद घर में कोहराम मच गया। घर में सभी का रो-रो कर बुरा हाल है। सिपाही की पत्नी शीला देवी ने मथुरा के एसएसपी मोहित गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाते हुए हरनारायण की मौत का जिम्मेदार बताया है। शीला खुद उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात है। उनका कहना है कि उन्हें किडनी की समस्या थी लेकिन छुट्टी नही दी, कोई आर्थिक मदद नही मिली।
सिपाही की पत्नी ने कप्तान पर लगाए आरोप
मृत सिपाही की पत्नी ने सिसकते हुए कहा कि इनकी मौत का दोषी हम कप्तान को मानते हैं, उन्होंने कोई सहायता हमें नही दी। जो आर्थिक सहायता मिलती है, वो भी नहीं दी। हमारे बिल पास भी नहीं किये जिससे हम अच्छे हॉस्पिटल में इलाज करा सकते थे। हम हजार बार बिल बाबू के पास गए, उन्होंने भी सारे बिल बापस कर दिए।
काश कि अधिकारियों ने गुहार सुनी होती!
पुलिस में तेनात सिपाही हरनारायण की मौत भले ही उसकी बीमारी के कारण हुई हो लेकिन अगर वक्त रहते मथुरा के पुलिस अधिकारी इनकी गुहार सुनकर उन्हें छुट्टी दे देते और उनके बिल पास कर देते तो अच्छे अस्पताल में इलाज कराया जा सकता था और शायद हरनारायण की जान बच जाती। हर नारायण के दो बेटे हैं जो अभी बहुत छोटे हैं, ऐसे में विभाग की लापरवाही ने उनके सर से पिता का साया छीन लिया।
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