VIDEO: अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर ले जा रहे ड्राईवर को पुलिस ने रोका, बुरी तरह पिटा
इलाहाबाद। इलाहाबाद में आज एक बार फिर वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस सिपाही कि दादागीरी सामने आई। अस्पताल में तड़प रहे मरीज के लिए मेडिकल ऑक्सीजन लेकर जा रहे चालक को सोरांव थाने के सिपाही ने पहले पीटा। जब ड्राइवर ने फोन से डॉक्टर से बात करने कि कोशिश कि तो सिपाही ने मोबाइल भी छीन लिया। सिपाही ने ड्राइवर से एक हजार रुपये मांगे और न देने पर गालिया देते हुए वर्दी का रौब दिखाने लगा। इतने के बाद भी जब सिपाही का जी नहीं भरा तब गाड़ी का चालान कर दिया गया।
आश्चर्य कि बात यह है कि मेडिकल ऑक्सीजन गैस आपातकालीन सेवा है। आरटीओ वाहन चेकिंग में भी मेडिकल के इन वाहनों को मानवीय आधार पर चेकिंग में नहीं रोका जाता। बहुत आवश्यक होने पर ही इन्हे रूटीन चेकिंग में रोका जाता है। लेकिन जब पीड़ित ड्राइवर आपात स्थिति कि दुहाई देता रहा तो कॉन्स्टेबल का मानवीय रूप सुविधा शुल्क कि चाहत में गम हो गया। युवक ने बताया कि वह बार बार प्रार्थना करता रहा कि उसकी गाड़ी का नम्बर नोट कर लीजिये। ऑक्सीजन पहुंचना बहुत जरुरी है। ऑक्सीजन पहुंचाकर वह सीधे थाने आ जायेगा। फिर जो कार्यवाही करनी हो वह करे। लेकिन आग बबूला हुए कॉन्स्टेबल ने आरसी कि मूल कॉपी न मिलने पर चालान भी करवा दिया। यहां सवाल चालान का नहीं है। वह तो नियमो के तहत ही किया गया। लेकिन सिपाही का चालक को पीटना, गली गलौज करना, पैसे मांगना, आखिर यह कैसी ड्यूटी है। अगर देरी के चलते मरीज कि मौत हो जाती तो उसका जिम्मेदार कोण होता? फिलहाल मामले कि शिकायत पर आईजी इलाहाबाद ने पुलिस कप्तान को जांच के आदेश दिए है।
सोरांव थाने के हाजीगंज रोड पर हाइवे पुल के नीचे आज पुलिस ने वाहन चेकिंग लगाई हुई थी। दो पहिया वाहनों के साथ चार पहिया वाहनों के कागजात आदि चेक किये जा रहे थे। इसी बीच सोरांव के एक निजी अस्पताल में मरीज कि हालत बिगड़ने पर बलराम नाम का वाहन चालक मेडिकल ऑक्सीज़न लेकर रवाना हुवा। चेकिंग पॉइंट से लगभग 50 मीटर पहले ही सोरांव थाने में तैनात सिपाही दिनेश कुशवाहा ने उसे रोक लिया और दूसरे रुके वाहन के चालक से बात करने लगा। बलराम ने सिपाही से कहा सर बहुत एमरजेंसी है। मै जा रहा हू। बलराम गाड़ी लेकर निकला तो चेकिंग पॉइंट पर भी उसे किसी ने नहीं रोका न तो मौजूद अधिकारी और न किसी दूसरे सिपाही ने। सिपाही दिनेश कुशवाहा ने बलराम को जाते देखा तो अपनी बाइक से पीछा कर कुछ दूरी पर पकड़ लिया।
बलराम ने गाड़ी रोकी तो सिपाही ने उतारते ही उसे पीटना शुरू कर दिया। बलराम अपनी दुहाई देता रहा, प्रार्थना करता रहा लेकिन गाली गलौज के साथ सिपाही ने जी भर कर तांडव किया। बलराम ने डॉक्टर से जब बात करने के लिए फोन निकला तो सिपाही ने फोन भी छीन लिया और मामला सेटल करने के लिए एक हज़ार रुपये मांगे। बलराम ने पैसे नहीं दिए तो फिर से गाली गलौज करते हुए कागजात चेक करने लगा और आरसी न मिलने पर चालान कटवा दिया। बलराम दुहाई देता रहा कि सर घर से तुरंत मै कागज मंगवा दे रहा हूँ। अभी एमरजेंसी में हूँ। पर सिपाही ने कुछ नहीं सुना और चालान कटवा कर ही दम लिया।खैर एक चीज़ तो साफ है योगी सरकार कि कोशिश और यूपी पुलिस अपनी छवि को नया आयाम देने में जुटी है। इस तरह से उसके सिपाही डिपार्टमेंट कि ही लुटिया मटियामेट करने पर तुले हुए है।
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