बस्ती: पीएम मोदी ने गधे पर सुनाई सर्वेश्वर की कविता, कहा- गधे से डर गए अखिलेश !
उत्तर प्रदेश चुनाव में विकास के मुद्दे तो हैं ही लेकिन गधा अब हॉट टॉपिक बन गया है। यूपी के बस्ती में एक रैली के दौरान पीएम मोदी ने गधे पर कविता भी सुना दी।
बस्ती। भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूवार को उत्तर प्रदेश के बस्ती में रैली संबोधित की। इस दौरान उन्होंने गधे और कालेधन के मुद्दे पर कविता सुनाई। बस्ती के पालीटेक्निक कालेज (हथियागढ़) में रैली के दौरान मोदी ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि आप अभी से विजय उत्सव मनाने में लग गए हैं। मोदी ने कहा कि हमारे देश में लोकतंत्र की अपनी एक ताकत है। चुनाव एक अवसर है ,जब हम अपनी पसंद की सरकार चुनते हैं।
संबोधन के शुरूआत में ही मोदी ने रैली में मौजूद लोगों से सवाल जवाब के मोड में आ गए। पूछा कि क्या आजादी के 70 साल बाद भी बस्ती का इलाका मुश्किलें झेल रहा है कि नहीं? इसके लिे कौन जिम्मेवार? जिन्होंने आपकी दुर्दशा की है, उनको जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? मोदी ने कहा कि सरकार की जिम्मेवारी होती है जब जनता के पास जाए तो पाई-पाई का हिसाब देना चाहिए। पांच साल क्या किया? किसके लिए किया? क्यों किया? इन सारी बातों का हिसाब देना चाहिए।
उन्हें वोट मांगने का अधिकार नहीं
रैली के दौरान मोदी ने कहा यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पांच साल में लोगों का जवाब नहीं दे रहे हैं। हर चीज का जवाब दे रहे हैं लेकिन काम का जवाब नहीं दे रहे हैं। मोदी ने कहा कि जो लोग काम का हिसाब नहीं दे रहे हैं, ऐसे लोगों को वोट मांगने का कोई अधिकार नहीं है।
सपा, बसपा और कांग्रेस की तिकड़ी से निकलना होगा बाहर
मोदी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में तमाम संसाधन है फिर भी ये इलाका आज भी पिछड़ा हुआ है, इसका क्या कारण है? मोदी ने कहा कि इनको आदत हो गई है कि यूपी में कुछ करने की जरूरत नहीं है। कभी बसपा आएगी, कभी सपा आएगी। ये आएंगे जाएंगे, माल खाएंगे। मोदी ने कहा कि अगर यूपी का भला करना है तो सपा,बसपा और कांग्रेस की तिकड़ी से बाहर निकलना होगा।
और जब सुनाई कविता
गन्ना किसानों के भुगतान का मुद्दा उठाते हुए मोदी ने कहा कि क्या भुगतना समय से होता है? इस दौरान पीएम ने यूरिया की नीम कोटिंग, गन्ना किसानों के भुगतान पर केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदम की जानकारी रैली के दौरान दी।
काले धन और भ्रष्टाचार से जंग के मुद्दे पर मोदी ने बस्ती के ही कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता सुनाई। मोदी ने कहा सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी मैं आभारी हूं कि आपकी कविता, जिस लड़ाई को लेकर हम निकले है, उसमें उर्जा भरने वाली है। मोदी ने सुनाया-
यह
जो
काला
धन
फैला
है,
यह
जो
चोरबाजारी
है
सत्ता
पाँव
चूमती
जिसके
यह
जो
सरमाएदारी
है
यह
जो
यम-सा
नेता
है,
मतदाता
की
लाचारी
है
उसे
मिटाने
और
बदलने
की
करनी
तैयारी
है।
जारी
है-जारी
है
अभी
लड़ाई
जारी
है।
बस्ती में गधे पर सुनाई सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता
मोदी
ने
कहा
कि
अखिलेश
इतने
परेशान
हैं
कि
गुजरात
के
गधे
पर
भी
परेशान
है,
क्या
हो
गया
आपको?
आपको
गधे
से
भी
डर
लगने
लगा?
आप
पर
मुझको
बहुत
दया
आती
है।
इस
पर
भी
मोदी
ने
सर्वेश्वर
दयाल
सक्सेना
की
गधे
पर
लिखी
कविता
सुनाई।
कहा
कि
यह
बड़ा
ही
सटीक
जवाब
है।
बस्ती
के
कवि
ने
जवाब
दे
दिया
है।
मोदी
ने
सुनाया-
नेता
के
दो
टोपी
औ'
गदहे
के
दो
कान,
टोपी
अदल-बदलकर
पहनें
गदहा
था
हैरान।
एक
रोज
गदहे
ने
उनको
तंग
गली
में
छेंका,
कई
दुलत्ती
झाड़ीं
उन
पर
और
जोर
से
रेंका।
नेता
उड़
गए,
टोपी
उड़
गई
उड़
गए
उनके
कान,
बीच
सभा
में
खड़ा
हो
गया
गदहा
सीना
तान!
सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे मालिक
मोदी ने कहा कि सोच में फर्क होता है। हम गुजरात में जितना शेर के लिए जो करते हैं वो गधे के लिए भी करते हैं। यूपी में तो एक मंत्री की भैंस चोरी हो जाए तो सारी सरकार लग जाती है। मोदी ने कहा कि गधे से भी प्रेरणा मिलती है। गधा थका हो, भूखा हो, बीमार हो, धूप हो , बारिश हो ठंड हो लेकिन मालिक जो काम दे, वो पूरा कर के देता है। मैंने भी सीखा है। सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे मालिक है। मैं भी उनकी सेवा करने आया हूं। गधे की पीठ पर चीनी रखो या चूना कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं भी बिना छुट्टी लिए, 24 घंटे आपके लिए मजदूरी करने में कोई कमी नहीं रखूंगा। मोदी ने अपील की कि भारी संख्या में मतदान कर लोग भाजपा को विजयी बनाएं।
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