कांवड़ियों की सेवा में 20 साल से कैंप लगा रहे हैं आसिफ और दिलशाद
पूरा कैंप मुस्लिम समाज के लोग चलाते हैं। हमारा मकसद उन लोगों भी संदेश देने का है जो हिन्दू और मुस्लमान को बांट देना चाहते हैं, इस मुल्क को बांटना चाहते हैं।
मुजफ्फरनगर। उत्तर भारत इन दिनों कांवड़ मेले के रंग में रंगा हुआ है। यूपी के मुजफ्फरनगर में खालापार इलाके के मुस्लिम लोग इन दिनों कांवड़ यात्रियों की सेवा जी-जान से कर रहे हैं। इस मुजफ्फरनगर को साल 2013 ने दंगो के गहरे जख्म दिए थे। आज उसी मुजफ्फरनगर में हिन्दू मुस्लिमों में सौहार्द की अनूठी मिसाल देखने को मिल रही है।
यहां मुस्लिम बाहुल्य इलाके से गुजरने वाली कावड़ यात्रा के लाखों कावड़ियों की देखरेख में दर्जनों मुस्लिम युवक जी जान से जुटे हैं। पैगामे इंसानियत के नाम का कांवड़ शिविर लगाकर ये मुस्लिम युवक यहां से गुजरने वाले कावड़ियों को खाने पीने का सामान बांट रहे हैं। साथ ही कावड़ियों के आराम करने के लिए इस शिविर में कुर्सियां भी लगाई गई हैं। मुजफ्फरनगर से गुजरते हुए दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान जाने वाले लाखों कांवड़िए अपने गंतव्य की और बढ़ रहे हैं।
शिविर के संचालक आसिफ राही और दिलशाद पहलवान का कहना है की हम पिछले बीस साल से ये शिविर लगाते आ रहे हैं। इस शिविर में दिन-रात कांवड़ यात्रियों की सेवा की जा रही है। उनका मकसद सौहार्द और इंसानियत का पैगाम देना है। शिविर में फ्रूटी, पानी, बिस्कुट, फल और दवाइयां निशुल्क दी जा रही हैं।
'ये मोहब्बत यूं ही कायम रहेगी'
कांवड़ियों की सेवा के लिए दिलशाद पहलवान पिछले 20 सालों से ये कैंप लगाते हैं। दिलशाद ने बताया कि हम इनके लिए पानी, दवाई, मरहम आदि का इंतज़ाम करते है और ये लोग भी हमारी मोहब्बत में इस कैंप पर रुकते हैं। इंशा अल्लाह हज़ारों साल तक ये मोहब्बत यूं ही कायम रहेगी। हिन्दू, मुस्लिम भाई भाई का नारा देते रहेंगे।
'उनके लिए संदेश, जो देश को बांटना चाहते हैं'
शिविर संचालक आसिफ राही ने बताया कि पैगाम-ए-इंसानियत एक संस्था है। हम लोगों की टीम पिछले 20 साल से ये कैंप लगाती आ रही है। मुजफ्फरनगर से कई प्रदेशों के लोग गुजरते है, हमारा मकसद सौहार्द का संदेश देना है। पूरा कैंप मुस्लिम समाज के लोग चलाते हैं। हमारा मकसद उन लोगों भी संदेश देने का है जो हिन्दू और मुस्लमान को बांट देना चाहते हैं, इस मुल्क को बांटना चाहते हैं।
'इंसानियत सबसे पहले'
हरिद्वार से कांवड़ लेकर आ रही निधि विश्वकर्मा ने बताया कि वो जब मुजफ्फरनगर पहुंची तो उन्होंने ये बोर्ड लगा हुआ देखा। निधि ने बताया, 'मैंने यहां देखा कि ये लोग इतने अच्छे से कांवड़ यात्रियों की सेवा कर रहे हैं। दुनिया में जितने भी धर्म हैं, उनमें सबसे पहले इंसानियत है। इन लोगों से मिलकर बहुत अच्छा लगा।