कानपुर में चुनाव, इस बार किसको वोट करेंगे मुस्लिम मतदाता?
कानपुर जनपद में करीब 15 लाख मुस्लिम मतदाता है और तीन सीटों पर तो जीत-हार यही तय करते हैं। इसके अलावा सात सीटों में भी इनकी तादाद ठीक-ठीक है।
कानपुर। भारतीय जनता पार्टी का खौफ दिखा कभी कांग्रेस, तो कभी सपा व बसपा मुसलमानों के कुछ नेताओं को आगे कर टैक्टिकल वोटिंग का माहौल बना देते थे। पर अबकी बार यह वर्ग इस नीति से दूर होने का मन बना लिया है। जिसके चलते सेक्युलरिज्म का दंभ भरने वाली इन पार्टियों के नेता हलाकान होते दिख रहें है।
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कानपुर जनपद में करीब 15 लाख मुस्लिम मतदाता है और तीन सीटों पर तो जीत-हार यही तय करते हैं। इसके अलावा सात सीटों में भी इनकी तादाद ठीक-ठीक है। जिसके चलते सभी प्रत्याशी इन वोटरों पर डोरा डालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहें है। लेकिन कांग्रेस सपा गठबंधन व बसपा के प्रत्याशी परंपरागत नीति के चलते भारतीय जनता पार्टी का खौफ दिखा इन मतदाताओं पर अधिक फोकस कर रहें है। शायद ही ऐसा कोई दिन हो जब इन मतदाताओं को रिझाने के लिए सेक्युलरिज्म का पाठ न पढ़ाया जाता हो। पर इस बार यह वर्ग चुनाव को लेकर उत्सुक तो है लेकिन टैक्टिकल वोटिंग (जो मजबूत दिख रहा हो उसके पक्ष में मतदान) से दूर होने का मन बना लिया है। सबके विचार अलग-अलग है।
कोई इस बात से हताश है कि सपा कांग्रेस व बसपा ने हमारे समाज के लिए कुछ नहीं किया तो कोई प्रत्याशियों के काम काज से दुखी है। जिसके चलते इस चुनावी माहौल में चर्चाएं तो खूब होती पर पिछले अन्य चुनावों जैसे लामबंदी नहीं दिख रही है। इसी के चलते सेक्युलरिज्म का दंभ भरने वाली पार्टियां के नेता खासे परेशान हैं।
मतदाताओं
के
बोल
चमनगंज
के
किराना
दुकानदार
गुलाम
रसूल
का
कहना
है
कि
आजादी
के
बाद
से
हमारा
परिवार
कांग्रेस
को
वोट
करता
आ
रहा
है,
लेकिन
न
तो
क्षेत्र
की
तस्वीर
बदली
और
न
ही
समाज
की।
ऐसे
में
हम
किसी
के
कहने
पर
धर्म
के
नाम
पर
वोट
नहीं
करेगें।
बाबा
बिरयानी
के
मालिक
मुख्तार
का
कहना
है
कि
हम
भले
ही
गठबंधन
व
बसपा
को
वोट
करें
पर
हम
इस
विचार
पर
वोट
नहीं
करेंगे
कि
जो
भाजपा
को
हराने
में
मजबूत
हो।
इसी
तरह
बेकनगंज
के
समाजसेवी
मो.
आकिल,
फुरकान,
इमरान,
शाहिद,
आफाक,
मुश्तकीम
का
मानना
है
कि
इस
बार
कि
हम
किसी
पार्टी
के
खौफ
से
मतदान
नहीं
करेंगे।
महिलाएं
भी
पीछे
नहीं
नई
सड़क
की
गृहणी
रेशमा
का
कहना
है
कि
इस
बार
ठेकेदारों
के
कहने
पर
मतदान
नहीं
करेंगे।
बाबूपुरवा
की
शाहिना
ने
बताया
कि
जो
महिलाओं
की
सुरक्षा
की
बात
करेगा
उसी
को
मतदान
करेंगे।
सुजातगंज
की
आरफा
ने
कहा
कि
पीएम
नरेन्द्र
मोदी
ने
मुस्लिम
महिलाओं
के
हितों
को
संरक्षित
रखने
का
वादा
किया
है
ऐसे
में
हम
लोग
भाजपा
को
मतदान
करेंगें।
लालबंगला
की
खानम
का
कहना
है
कि
देश
में
मुस्लिम
महिलाओं
को
आगे
बढ़ाने
का
जो
काम
करेगा
उसी
के
हम
पक्षधर
हैं।
इसी
तरह
अनम,
फातिमा
व
सलमा
ने
स्वीकार
किया
कि
अब
परंपरागत
मतदान
नहीं
करेगीं।
नेताओं
का
क्या
है
कहना?
सपा
जिलाध्यक्ष
महेन्द्र
सिंह
यादव
ने
कहा
कि
पार्टी
सदैव
अल्पसंख्यकों
के
हितो
की
रक्षा
की
है
और
हमें
विश्वास
है
कि
इस
बार
भी
पार्टी
के
पक्ष
में
एकतरफा
वोट
करेगा।
बसपा
जिलाध्यक्ष
प्रशांत
दोहरे
ने
कहा
कि
हम
किसी
पार्टी
का
खौफ
नहीं
दिखाते
उन्हें
अधिकार
देने
जा
रहे
है।
जिसका
प्रमाण
है
कि
सबसे
अधिक
टिकट
बसपा
ने
ही
अल्पसंख्यकों
को
दिया
है।
भाजपा
जिलाध्यक्ष
सुरेन्द्र
मैथानी
ने
कहा
कि
केन्द्र
की
ढाई
साल
से
अधिक
की
सरकार
को
अल्पसंख्यक
समुदाय
अब
अच्छी
तरह
से
समझ
चुका
है
और
इस
बार
सोंच
समझकर
वोट
करने
जा
रहा
है।
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