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जेल से 11 महीने में छूट गया था हत्यारा, 37 साल बाद फिर पहुंचा सलाखों के पीछे

37 साल पहले हत्या के दोषी कृष्ण देव तिवारी को जेल प्रशासन ने रिहा कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तिवारी फिर पहुंचा जेल।

By Rajeevkumar Singh
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दिल्ली। 37 साल पहले हत्या की सजा के तौर पर उम्रकैद काट रहा कृष्ण देव तिवारी महज 11 महीने बाद उत्तर प्रदेश की एक जेल से रहस्यमय तरीके से रिहा कर दिया गया था। लगभग तीन दशक बाद कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद तिवारी बाकी सजा काटने के लिए फिर से जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया।

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तिवारी के पीछे लगी थी सीबीआई

महज 11 महीने बाद ही जेल से छूटे कृष्ण देव तिवारी के पीछे सीबीआई लगी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच करने को कहा था कि आखिर इतने कम समय में ही कोई उम्रकैदी जैल से कैसे छूट गया?

सीबीआई की जांच रिपोर्ट के बाद सरेंडर

पिछले सप्ताह जस्टिस जे एस खेहर और अरुण मिश्रा की बेंच ने यह कहा था कि अपने दो भाइयों के साथ कृष्ण देव तिवारी ने 9 नंवबर को न्यायिक आदेश का पालन करते हुए बस्ती के ट्रायल कोर्ट में सरेंडर किया। सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में तिवारी को जेल से छोड़े जाने के फैसले को संदेहास्पद बताया था, जिसके बाद बेंच ने तिवारी और उसके भाइयों को सरेंडर करने के आदेश दिए थे।

बाकी बची हुई सजा काटने के लिए गया जेल

उम्रकैद की सजा पाए तिवारी को बाकी बची सजा काटने के लिए जेल भेज दिया गया है। ट्रायल कोर्ट इस मामले की जांच कर रही है कि दोनों भाइयों ने अपनी छह महीने की सजा काटी है कि नहीं? मर्डर के लिए दोषी पाए गए तिवारी को उम्रकैद की सजा मिली थी जबकि हमला करने के आरोप में दोनों भाइयों को छह महीने की सजा मिली थी।

1979 में रिहा किया गया था तिवारी

कृष्ण देव तिवारी की उम्र अब 70 साल से ज्यादा हो चुकी है। 9 जनवरी 1979 को बस्ती जेल प्रशासन ने उसको रिहा कर दिया था जबकि सरकार या कोर्ट की तरफ से ऐसा कोई आदेश नहीं मिला था। इस रहस्य को सुलझाने के लिए 2014 के सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को जांच करने को कहा।

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कोर्ट ने यूपी प्रशासन को लताड़ा था

सुप्रीम कोर्ट ने उस समय इस मामले पर उत्तर प्रदेश प्रशासन को लताड़ते हुए कहा था कि राज्य की व्यवस्था में गड़बड़ियां बहुत गहराई तक है, यह इस केस के तथ्यों से पता चलता है। जिस तरह से हत्या का एक दोषी बिना सजा काटे हुए जेल से छूटने में कामयाब हो गया, सिस्टम के लचर होने का इससे बड़ा कोई उदाहण नहीं हो सकता। यह दुर्भाग्य की बात है कि जिन एजेंसियों पर कानून का शासन लागू करने का दायित्व है, वही इन रैकेट में शामिल हैं।

तिवारी के दावे को कोर्ट ने खारिज किया था

कोर्ट ने तिवारी के उस दावे को खारिज कर दिया था जिसमें उसने कहा था कि वह पेरोल पर छूटा था और जेल की सजा काटने के लिए फिर लौट आया था। इस मामले में सीबीआई ने पिछले साल अपनी पहली रिपोर्ट में कहा था कि तिवारी को ट्रेस कर लिया गया और उसने जेल की सजा पूरी नहीं काटी थी। तिवारी ने यह भी दावा किया था कि वह 14 साल जेल में रह चुका था लेकिन सीबीआई को इस दावे की पुष्टि के लिए कोई सबूत या रिकॉर्ड नहीं मिला।

सीबीआई ने अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपी

इसी साल जुलाई में सीबीआई ने अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी। सीबीआई ने रिपोर्ट में कहा कि तिवारी को जेल की सजा काटने के लिए फिर से जेल भेज दिया जाए। जेल से आखिर तिवारी कैसे निकल गया, उन परिस्थितियों के बारे में बस्ती के ट्रायल जज अपने आदेश दे सकते हैं।

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English summary
A murder convict serving life imprisonment came out of jail easily after 11 months. After 37 years, he is again in jail to serve the punishment.
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