प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बनीं मायावती
दलितों और मुस्लिमों की भाजपा से नाराजगी। क्या पीम मोदी 2019 में दोहरा पाएंगे इतिहास?
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित कर फिर से इतिहास दोहराना चाहते हैं लेकिन उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर मायावती खड़ी हो गई हैं।
मायावती को उत्तर प्रदेश में भारी संख्या में दलितों का समर्थन प्राप्त है और भाजपा उस तबके का वोट पाने के लिए तरसती रही है।
मायावती का सपोर्ट बेस छीनने के लिए अमित शाह पिछले दो साल में 150 से भी ज्यादा बार उत्तर प्रदेश का दौरा कर चुके हैं और बसपा के कई दिग्गज नेताओं को तोड़कर भाजपा में शामिल कर चुके हैं।
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आखिरा मायावती को भाजपा क्यों मानती है खतरा?
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर की वजह से भारी बहुमत से भाजपा जीती थी जिसमें उत्तर प्रदेश के 71 सीटों का बड़ा योगदान रहा। लगभग 20 करोड़ जनसंख्या वाले इस राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें भी भाजपा ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के फिराक में है लेकिन जातियों के चुनावी गणित से पार्टी घबराई हुई है।
भाजपा के सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने मीडिया में यह स्वीकार किया है मायावती उनकी पार्टी की जीत के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।
मायावती को दलितों का भारी समर्थन है जो उत्तर प्रदेश की जनसंख्या के 22 प्रतिशत हैं। राज्य के मुस्लिम भी भाजपा के पक्ष में नहीं हैं। मायावती अपनी रैलियों में दलितों और मुस्लिमों से भाजपा को वोट न देने की अपील कर रही हैं।
इसी वजह से भाजपा इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में बेहतर सीटें आएंगी।
अगले लोकसभा चुनाव के लिए बेहद अहम है यूपी में जीत
जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है इसलिए यहां की जीत काफी मायने रखती है। भाजपा अगर यहां के विधानसभा चुनाव में भारी सीटों से जीतती है तो मोदी की लोकप्रियता और स्वीकार्यता देश में और बढ़ेगी व राज्यसभा में पार्टी की बेहतर स्थिति होगी। रिफॉर्म बिल भी पास करवाने में केंद्र सरकार को आसानी हो जाएगी।
इन सबका असर अगले लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा और भाजपा को उम्मीद है कि यूपी चुनाव में अच्छे प्रदर्शन से 2019 में नरेंद्र मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने के आसार बढ़ जाएंगे।
इन वजहों से उत्तर प्रदेश चुनाव में जीतने के लिए भाजपा जी-जान से जुटी है।
दलितों का समर्थन पाने के लिए तरस रही भाजपा
2014 के चुनाव में भाजपा को दलितों का भी समर्थन मिला था जबकि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में दलितों और मुस्लिमों पर गौरक्षकों के हमलों के बाद पार्टी के खिलाफ दोनों समुदाय में नाराजगी है।
मायावती लगातार इस बारे में भाजपा के खिलाफ बोल रही हैं और दलितों व मुस्लिमों को सावधान करते हुए पीएम मोदी पर हमला कर रही हैं। एक रैली में लगभग 3 लाख समर्थकों से मायावती ने कहा, 'देश में सांप्रदायिक ताकतें मजूबत हो रही हैं।'
दलितों और मुस्लिमों के लिए नौकरी पर भी मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया और कहा, 'हम जिन समस्याओं को झेलते हैं उसे वे नहीं समझ सकते।'
बसपा के महासचिव सतीश मिश्रा ने कहा कि पीएम मोदी के शासन में दलित और मुस्लिम असुरक्षित हैं। मायावती पूरी कोशिश कर रही हैं कि भाजपा को दलितों और मुस्लिमों का वोट न मिल पाएं।
मायावती से परेशान शाह लगातार कर रहे यूपी का दौरा
मायावती की चुनौती से निपटने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बहुत पसीना बहा रहे हैं। पिछले दो साल के अंदर वे 150 से भी ज्यादा दफे उत्तर प्रदेश का चक्कर लगा चुके हैं।
दलितों को लुभाने के लिए इसी साल मई में अमित शाह ने एक दलित परिवार के साथ बैठकर खाना खाया। यही नहीं, बसपा के दलित और पिछड़ी जाति के बड़े नेताओं को तोड़ने में शाह ने सफलता हासिल की।
यही नहीं दलितों को भाजपा के पक्ष में करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी सक्रिय है। अपने वार्षिक बैठक में आरएसएस ने एक दलित को अपना चीफ गेस्ट बनाया था।
भीमराव अंबेडकर की प्रशंसा के साथ-साथ दलितों और मुस्लिमों पर हो रहे गौरक्षकों के हमले की भर्त्सना खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। लेकिन वहीं हिंदू संगठन ने पीएम मोदी को चेताया है कि इससे हिंदू वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।
यही भाजपा के लिए सबसे बड़ा धर्मसंकट है कि दलितों का वोट कैसे हासिल हो और मायावती से उत्पन्न खतरे का मुकाबला कैसे किया जाए?
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