बसपा सरकार आने पर उत्तर प्रदेश के बंटवारे की नींव रखेंगी मायावती
मायावती ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के बंटवारे की बात को आगे रखा, बोलीं अगर बसपा सरकार आई तो हम एक बार फिर से वह पूर्वांचल के गठन के प्रस्ताव को आगे बढाएंगी।
लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के बंटवारे की बात कही है, कुशीनगर में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए मायावती यूपी के बंटवारे का लोगों से सीधा वायदा किया है। मायावती ने कहा कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आई तो वह चुपचाप नहीं बैठेंगी और एक बार फिर से यूपी के विकास के लिए उसे चार हिस्सों में बांटने के लिए प्रयास करेंगी।
मायावती ने वायदा किया है कि अगर वह सत्ता में आई तो यूपी को चार हिस्सों में बांटने की पूरी पैरवी करेंगी, उन्होंने कहा कि वह यूपी पूर्वांचल सहित चार हिस्सों में बांटने के लिए प्रस्ताव पर खुद मुहर लगाएंगी। उन्होंने पूर्वांचल के लोगों को इस बात का विश्वास दिलाया है कि वह लोगों की मांग को आगे बढ़ाएंगी। मायावती ने कहा कि पूर्वांचल अति पिछड़ा इलाका है और इसके विकास के लिए यहां के लोगों की अलग पूर्वांचल राज्य की मांग का समर्थन करेंगी और इसके प्रस्ताव को अपनी मुहर लगाएंगी।
गौरतलब है कि मायावती ने 2010 में भी उत्तर प्रदेश के बंटवारे की बात कही थी, इसके लिए उन्होंने बकायदा प्रस्ताव भी पारित किया था, जिसमें उन्होंने प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की बात कही थी, इसमें मुख्य रूप से हरित प्रदेश यानि पश्चिमी यूपी, पूर्वांचल यानि पूर्वी उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और अवध प्रांत की वकालत की थी। मायावती ने एक बार फिर से इसी मुद्दे को उठाते हुए कहा कि इन इलाकों का तभी विकास हो सकता है जब प्रदेश को छोटे-छोट राज्यों में बांटा जाए। मायावती ने कहा कि उनके इस प्रस्ताव का सपा, भाजपा और कांग्रेस हमेशा से विरोध करती आई हैं।
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भी
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गोरखपुर
में
अखिलेश
ने
पूछा-
कोई
गधों
की
विशेषता
जानना
चाहेगा
क्या?
बहरहाल
यहां
देखने
वाली
बात
यह
है
कि
पांचवे
चरण
के
दौरान
जिस
तरह
से
मायावती
ने
एक
बार
फिर
से
प्रदेश
के
बंटवारे
का
मुद्दा
उठाया
है
उसपर
दूसरे
दल
अपनी
क्या
प्रतिक्रिया
देते
हैं।
अभी
तक
किसी
भी
अन्य
दल
ने
अलग
राज्य
की
वकालत
नहीं
की
थी
और
ना
ही
किसी
नेता
ने
इस
मुद्दे
को
चुनावी
रैली
में
उठाया
ता।
यहां
गौर
करने
वाली
बात
यह
है
कि
2007
में
जब
मायावती
ने
प्रदेश
को
चार
राज्यों
में
बंटवारे
की
बात
कही
थी
तो
उस
वक्त
कांग्रेस
और
भाजपा
ने
इस
प्रस्ताव
का
समर्थन
किया
था
लेकिन
इस
बार
इस
मुद्दे
पर
अन्य
दलों
का
रुख
देखना
दिलचस्प
होगा।