संगम पर जुटी 2 करोड़ लोगों की भीड़, टूट गई बैरिकेडिंग, मचा हड़कंप
संगम पर लाखोंं लोगों की भीड़ को कंट्रोल करना पुलिस के लिए आसान नहीं रहा। एकबारगी तो बैरिकेडिंग ही टूट गई जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
इलाहाबाद। भारद्वाज मुनि की तपस्थली प्रयाग में मौनी अमावस्या पर एक बार फिर आस्था का सैलाब उमड़ा। जन्मजन्मांतर के पाप धुलने और मोक्ष की कामना लिये प्रशासनिक उम्मीद से बहुत अधिक लोग माघ मेला पहुंचे। भारी भीड़ के दबाव के चलते हालात काफी पेचीदा हो गये। श्रद्धालुओं की भीड़ के दबाव से संगम व गंगाघाट की कई बेरिकेडिंग टूट गई। इससे घाट पर स्नानार्थियों में हड़कंप मच गया। हालांकि समय रहते जल पुलिस के जवानों ने स्थिति को संभाल लिया वरना भगदड़ से हादसा हो सकता था।
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जादू सरीखा बढ़ता रहा कारवां
मां गंगा-यमुना व अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के आंचल में मौनी अमावस्या पल श्रद्धालुओं ने गोते लगाने में जो उत्साह दिखाया वह जादू सरीखा रहा। भीड़ हर घंटे लाखों में बढ़ती रही और देखते ही देखते देर रात 11 बजे प्रशासन की ओर से जारी आंकड़े में दो करोड़ श्रद्धालुओ के स्नान करने का दावा किया गया। सुबह के 10 बजे तक 5 लाख, 11 बजे तक 9 लाख व दोपहर 12 बजे तक करी12 लाख श्रद्धालु ने पुण्य का गोता लगाया। लेकिन दोपहर बाद भीड़ का ऐसा रेला टूट पड़ा की शाम 5 बजे तक यह आंकड़ा 1.25 करोड़ पहुंच गया और देर रात तक जारी किये गये सरकारी आंकड़े में दो करोड़ से अधिक श्रद्धालुओ ने संगम में डुबकी लगायी ।
संतो ने किया स्नान
माघमेला में मौनी अमावस्या पर सर्वाधिक भीड़ जुटती है। लेकिन इन सब के बीच संतो का स्नान विशेष रहा।अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि, शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, स्वामी वासुदेवानंद, स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, किन्नर अखाड़ा संस्थापक ऋषि अजय दास, आचार्य पीठाधीश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने भी स्नान कर सूर्यदेव को जलांजलि अर्पित की। सर्वाधिक भीड़ वाले घाटो में संगम, अक्षयवट घाट, रामघाट, मोरी मार्ग, गंगोली शिवाला गंगा शामिल रहे। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो आज का दिन दुर्लभ संयोग लेकर आया है। दरअसल,सदियों बाद इसका पुण्य योग 24 घंटे से ज्यादा समय तक रहेगा।
क्या है मौनी अमावस्या
पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने मनु महाराज और महारानी शतरूपा को प्रकट कर सृष्टि की रचना शुरू की थी । आज के दिन तीर्थो के राज प्रयागराज में गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में देव, दानव, मानव, किन्नर, पशु, पक्षी सभी एक साथ संगम में डुबकी लगाने आते हैं। इस दिन स्नान-दान करने वाले इंसान का जन्म-जन्मांतर का पाप धुल जाता है। इस दिनमौन रहकर स्नान करने की प्रथा है।
ठंड की गलन को दी शिकस्त
शुक्रवार शाम के बाद शनिवार की भोर से बूंदाबांदी व हल्की बारिश ने प्रयागराज का मिजाज भी सर्द कर दिया । आस पास के जिलो में भारी बारिश का असर साफ तौर पर ठंड व शीतलहर लेकर आया। लेकिन भारी ठंड के बीज आस्था हावी रही और लाखों लाख की भीड़ ने संगम पर लोगों की आस्था को विजयश्री दिलायी ।
माघमेला की सुरक्षा के लिये न सिर्फ पुलिस व पैरामिलिट्री के जवान तैनात रहे। बल्कि पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन कैमरा व हैलीकॉप्टर से निगेहबानी की जाती रही । ट्रैफिक को भी सुरक्षा व्यवस्था से जोड़कर वाहनो को 5 ककिलोमीटर दूर रोक दिया गया। डीएम व एसएसपी फ्लैग मार्च कर हालात का जायजा लेते रहे।
किन्नर संतो ने भी किया स्नान
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