अखिलेश यादव का मेट्रो में बैठकर बजट पेश करने का सपना रह सकता है अधूरा!
अखिलेश यादव का सपना लखनऊ मेट्रों उनके लिए साबित हो सकती है अपशकुन, मेट्रो में बैठकर बजट पेश करने का सपना रह सकता है अधूरा।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश का चुनाव अपनी बीच के पड़ाव पर आ चुका है, तमाम दल अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, यूपी के चुनाव में तमाम दल और नेता कुछ अंधविश्वास पर भी भरोसा करते हैं, जिसमें ना सिर्फ कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद तिवारी बल्कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी हैं। नोएडा में कोई भी मुख्यंत्री जाने से बचता है, इसके पीछे का अंधविश्वास है कि जो भी नेता नोएडा जाता है वह चुनाव हार जाता है। लेकिन नोएडा से इतर एक और संयोग भी है जो अखिलेश यादव के विपक्ष में जा सकता है।
मेट्रो शिलान्यास का इतिहास
जिस लखनऊ मेट्रो को अखिलेश यादव अपने विकास के काम के रूप में तमाम चुनावी रैलियों में गिनाते हैं औऱ दावा करते हैं कि वह अगल बजट लखनऊ मेट्रो में बैठकर ही पेश करने जाएंगे। लेकिन उन तमाम शहरों की मेट्रो पर नजर डालें जहां तत्कालीन सरकारों ने इसका शिलान्यास किया वह मौजूदा सरकार के खिलाफ जाती है। कोलकाता, दिल्ली, बेंगलुरू, मुंबई और जयपुर मेट्रों के प्रोजेक्ट पर नजर डालें तो इन सभी जगहों में जिस सरकार ने मेट्रो का शिलान्यास किया वह चुनाव हार गई।
क्या मिलेगा मेट्रो में सफर का मौका
अखिलेश यादव के लिए यह महज एक इत्तेफाक है कि जिस मेट्रो में वह सवार होकर अगले बजट को पेश करने का दावा कर रहे हैं वह उनके लिए शुभ साबित हो यह कहना थोड़ा मुश्किल है। सपा के तमाम नेता लखनऊ मेट्रो को हर रैली में अपनी चर्चा में लाते हैं, अखिलेश यादव ने जिस तरह से मेट्रो का शिलान्यास किया और उसका ट्रायल रन भी किया उससे साफ जाहिर है कि उनके लिए लखनऊ मेट्रों एक गेम चेंजर साबित हो सकती है।
बंगाल में गई सत्ता हाथ से
दूसरी जगहों पर नजर डालें जहां मेट्रो का संचालन शुरु हुआ और उसका शिलान्यास किया गया है, एक जून 1971 को कोलकाता मेट्रो का काम पूरा हुआ और इसका तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धार्थशंकर ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उपस्थिति में 29 दिसंबर 1972 को इसका शिलान्यास किया था, लेकिन 30 अप्रैल 1977 को यहां राष्ट्रपति शासन लग गया और 24 अक्टूबर 1984 को मेट्रो प्रोजेक्ट का उद्घाटन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने किया।
दिल्ली मेट्रो ने भाजपा से छीनी सत्ता
वहीं दिल्ली मेट्रो का काम 1998 को शुरु हुआ था और भाजपा की सरकार ने इसका शिलान्यास किया था, 3 दिसंबर 1998 को कांग्रेस की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने 25 दिसंबर 2002 को इसका उद्घाटन किया था। जबकि जयपुर मेट्रो का काम 13 नवंबर 2010 को शुरु हुआ और 18 सितंबर 2013 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका शिलान्यास किया, लेकिन इसके बाद कांग्रेस चुनाव हार गई और भाजपा की यहां पर सरकार बनी।
महाराष्ट्र, बेंगलुरू में हुआ कुछ यूं
महाराष्ट्र मेट्रो का शिलान्यास कांग्रेस के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने किया था, लेकिन मुंबई मेट्रो के काम पूरा होने के बाद महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस यहां चुनाव हार गई जिसके बाद यहां भाजपा सरकार में आई। कुछ ऐसा ही बेंगलुरू मेट्रो के साथ भी हुआ, यहां फरवरी 2016 में मेट्रो का शिलान्यास कांग्रेस सरकार ने किया था, लेकिन 20 अक्टूबर 2011 को कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली गई और भाजपा यहां शासन में आ गई।