इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- हो जरूरत तो अधिग्रहित कर सकते हैं प्रार्थना स्थल
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शनिवार को एक फैसले में कहा है कि जनहित के लिए अधिग्रहित किया जा सकता है।
इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि यदि जरूरत हो तो धार्मिक स्थलों को सरकार अपने अधिकार में ले कर उसका इस्तेमाल जनहित के लिए कर सकती है। कहा कि सरकार ऐसी जगहों को सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए कह सकती है। हाईकोर्ट ने यह बात नेशनल हाईवे पर एक चर्च को हटाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह बात स्वीकार की कि क्रिसमस से पहले चर्च को हटाए जाने का फैसला काफी कठोर है।
अपने 19 दिसंबर के आदेश में हाईकोर्ट के न्यायाधीश वीके शुक्ला और एमसी त्रिपाठी ने कहा कि क्रिसमस के दौरान चर्च को 1 माह तक के लिए ध्वस्त ना किया जाए, लेकिन उसके बाद पीड़ित पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को इसे 'ध्वस्त या कहीं अन्य स्थानांतरित' करना होगा। मामले में याचिका दाखिल करने वाले पक्ष चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया एसोसिएशन ने प्रार्थना स्थल (विशेष प्रावधान) कानून, 1991 का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी जगहों को किसी अन्य प्रायोजन के लिए इस्तेमाल में लाए जाने पर रोक है। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि कानून के मुताबिक किसी एक समुदाय विशेष के प्रार्थना स्थल को किसी अन्य समुदाय के प्रार्थना स्थल से बदलने पर प्रतिबंध है। ये भी पढ़ें: जानिए हावरक्राफ्ट बोट की खासियत जिसके जरिए नरेंद्र मोदी ने किया शिवाजी मेमोरियल का जलपूजन
इस मामले में नेशनल हाईवे -2 पर आगरा-इटावा 6 लेन के बाईपास के लिए के लिए जमीन चाहिए थी। जिसमें एसोसिएशन ने कहा था कि NHAI ने चर्च की जमीन को ही अपने कब्जे में ले लिया। मामले में एसोसिएशन ने 17 अगस्त 2012 को जारी किए गए उस नोटिफिकेशन के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसके लिए उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में आगरा और इटावा को जोड़ने के लिए बाईपास बनाए जाने के लिए 4 प्लॉट अधिग्रहित किए गए थे। ये भी पढ़ें: नरेंद्र मोदी बोले, 50 दिन बाद बेईमानों के बुरे दिन शुरू होंगे