कानपुर: चुनाव को हथियार बना अपने को बचाने में जुटे मौत के जिम्मेदार
उत्तर प्रदेश चुनाव की आड़ लेकर बिल्डिंग हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारी मामले की लीपापोती करने में जुटे हुए हैं।
कानपुर। सपा नेता महताब आलम की निर्माणाधीन बिल्डिंग हादसे में अब तक 10 शव निकाले जा चुके हैं। लेकिन अभी तक हादसे के पीछे कारण बने जिम्मेदार विभाग व अफसर कार्रवाई की जद से दूर हैं। अब अफसर चुनाव को हथियार बना अपने को बचाने में जुट गये हैं। नई सरकार बनने से पहले अधिकारी उन सभी बिन्दुओं पर लीपापोती करने की फिराक में है जिससे अपने को आसानी से बचाया जा सके।
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चकेरी थाना क्षेत्र के गज्जूपुरवा में एक फरवरी को सपा नेता महताब आलम की निर्माणाधीन सात मंजिला इमारत दोपहर डेढ़ बजे सातवें मंजिल में स्लैब डालने के दौरान भर-भराकर गिर गई। जिसमें कई दर्जन मजदूर घायल हो गये और बिल्डिंग से दुर्गन्ध आने के चलते एनडीआरएफ ने दोबारा मलबा हटाने का काम शुरू कर अब तक 10 शव निकाल लिया।
लेकिन इस हादसे का जिम्मेदार विभाग केडीए प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव का भरपूर फायदा उठाने में जुट गया। सूत्रों ने बताया कि कानपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी व कर्मचारी अपने को बचाने के लिए संबंधित कागज मनमाफिक तैयार कर रहे है। यही नहीं दिखावे के लिए सस्पेंड हुए पांच कर्मचारी भी केडीए में इन दिनों कागजी खेल कर रहें हैं। अधिवक्ता राजेश वर्मा का आरोप है कि जब बिल्डिंग हादसे का शिकार हो गई तब केडीए ने आनन-फानन में बैक डेट पर बिल्डिंग को सील दिखा दिया।
अगर हादसे से पहले केडीए ने बिल्डिंग को सील किया था तो निर्माण केडीए की साठ-गाठ के बिना हो ही नहीं सकता। अधिवक्ता के.के. गौतम का कहना है कि चुनाव का दौर चल रहा है जिसके चलते मौत के जिम्मेदार विभाग केडीए पर शासन का खौफ नहीं है। वरना अब तक इसके जिम्मेदारों पर गाज गिरना तय था। यह भी कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अगली सरकार बनने से पहले ऐसा कोई बिन्दु नहीं बचेगा जिस पर मौत के जिम्मेदार पकड़ में आ सके।
एनडीआरएफ
को
नहीं
मिला
नक्शा
राहत
बचाव
कार्य
के
दौरान
केडीए
के
अधिकारी
पुलिस
सेना
व
एनडीआरएफ
को
न
तो
अपेक्षाकृत
सहयोग
किया
और
न
ही
बिल्डिंग
का
नक्शा
दिया।
जिससे
राहत
बचाव
में
जुटे
एनडीआरएफ
के
कमांडेंट
आलोक
सिंह
से
केडीए
अधिकारियों
की
बहस
भी
हो
गई
थी।
नक्शा न होने की स्थित में एनडीआरएफ दो दिन पूर्व यह कहकर मलबा हटाने का काम बंद कर दिया था कि यहां पर अब शव नहीं है। पर बिल्डिंग से दुर्गंध आने के चलते मंगलवार को दोबारा एनडीआरएफ मलबा हटाने में जुट गई।
परिजनों
का
विरोध
बेकार
मजदूर
भूपेन्द्र
ने
बताया
कि
हादसे
में
मेरी
मां
उर्मिला
की
मौत
हो
गई
और
काम
कर
रहे
भाई
कृष्णदास
का
अभी
भी
अता-पता
नहीं
है।
बड़ा
भाई
मुकेश
अभी
भी
अस्पताल
में
भर्ती
है।
यहां
पर
अभी
भी
कई
मजदूर
लापता
हैं
और
हम
सब
परिजनों
ने
इसका
जमकर
विरोध
किया
मगर
हमारी
सुनने
वाला
कोई
नहीं
है।
यह
भी
आरोप
लगाया
कि
सपा
नेता
के
इशारे
पर
पुलिस
ने
शवों
को
गायब
कर
दिया
है।
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