अखिलेश के निष्कासन के बाद नई सपा का उदय
समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के बाद क्या पार्टी को होगा बड़ा नुकसान, अखिलेश यादव के बिना क्या होगा सपा का भविष्य
लखनऊ। समाजवादी पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित किए जाने के बाद अखिलेश यादव अपनी ताकत दिखाने के लिए अपने आवास पर विधायकों संग बैठक कर रहे हैं। अखिलेश के निष्कासन के बाद पार्टी की भीतर की एकता का दिखावा अब खुलकर सामने आ गया है, ऐसे में प्रदेश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के भीतर विवाद ने सियासी हलचल को बढ़ा दिया है। लेकिन जिस तरह से मुलायम सिंह ने जल्दबाजी में अखिलेश यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है, यह देखने वाली बात होगी कि उनका अगला कदम क्या होगा।
सपा का भविष्य अधर में
समाजवादी पार्टी के भीतर मचे इस घमासान की वजह से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, चुनाव अब महज कुछ हफ्तों बाद प्रदेश में होना है लेकिन अखिलेश और रामगोपाल को पार्टी से बाहर किए जाने के बाद सपा चुनाव चिन्ह को लेकर नूराकुश्ती कर रही है, लिहाजा जिस सपा में अखिलेश यादव मुख्य चेहरा माने जा रहे थे और उन्ही के दम पर पार्टी फिर से चुनाव में जीत का दावा कर रही थी, उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर पार्टी की जीत का दावा खटाई में पड़ता दिखाई दे रहा है।
नेता
धर्मसंकट
में
पार्टी
के
भीतर
दो
गुट
बंट
गए
हैं
और
लोग
इस
बात
पर
विचार
कर
रहे
हैं
कि
वह
किस
गुट
में
जाए।
कई
ऐसे
नेता
भी
हैं
जो
दोनों
गुट
के
साथ
जुड़े
हैं,
ऐसे
में
इन्हें
किसी
एक
नेता
को
चुनना
मुश्किल
का
सबब
बन
रहा
है।
संसदीय
बोर्ड
के
नेता
जो
पार्टी
के
उम्मीदवारों
को
चुनाव
लड़ने
के
लिए
चुनाव
चिन्ह
का
आवंटन
करते
हैं
उन्हें
भी
पार्टी
से
बाहर
का
रास्ता
दिखा
दिया
गया
है।
रामगोपाल
यादव
अखिलेश
यादव
के
खेमे
में
पहुंच
गए
हैं,
ऐसे
में
मुमकिन
है
कि
वह
चुनाव
आयोग
से
यह
अपील
करें
कि
पार्टी
के
चुनाव
चिन्ह
को
रद्द
किया
जाए,
इस
स्थिति
में
कोई
भी
गुट
साइकिल
के
चुनाव
चिन्ह
से
चुनावी
मैदान
में
नहीं
उतर
सकती
है।
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हुए
बागी,
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हुए
कठोर,
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या
नुकसान?
क्या
होगा
चुनाव
चिन्ह
अगर
समाजवादी
पार्टी
के
भीतर
फिर
से
समझौता
नहीं
होता
है
तो
अखिलेश
यादव
के
कैंप
को
अलग
चुनाव
चिन्ह
पर
चुनाव
लड़ना
होगा,
यहां
यह
बात
भी
समझने
वाली
बात
है
कि
अखिलेश
यादव
ने
नई
पार्टी
के
गठन
की
बात
को
गलत
करार
दिया
था,
ऐेसे
में
मुमकिन
है
कि
वह
समाजवादी
पार्टी
पर
अपना
दावा
ठोंक
सकते
हैं।
इसके
अलावा
अखिलेश
यादव
के
पास
एक
विकल्प
यह
भी
है
कि
वह
साइकिल
से
मिलते
जुलते
किसी
चुनाव
चिन्ह
के
साथ
चुनावी
मैदान
में
उतर
सकते
हैं।
पार्टी
के
भीतर
मचे
घमासान
के
बीच
माना
जा
रहा
है
कि
अखिलेश
यावद
कांग्रेस
और
आरएलडी
के
साथ
गठबंधन
कर
सकते
हैं।