आखिर रामगोपाल ने कैसे बनाई सपा में तख्तापलट की रणनीति, अखिलेश को बनाया राष्ट्रीय अध्यक्ष
रामगोपाल यादव पिछले तीन महीने से इस तख्ता-पलट की रणनीति बना रहे थे। इस दौरान उन्होंने कानूनी जानकारों की सलाह ली, उनसे मुलाकात की।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी में जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच रविवार को समाजवादी पार्टी में सत्ता परिवर्तन देखने को मिला जब मुलायम सिंह यादव की जगह अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। इस पूरे तख्तापलट की रणनीति रामगोपाल यादव ने तैयार की। उन्होंने इसको लेकर सबसे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की साथ ही कानूनी सलाहकारों से भी सलाह ली, जिससे सपा में तख्तापलट को सफल बनाया जा सके। रविवार को रामगोपाल यादव ने पार्टी के महासचिव के तौर पर सपा का सम्मेलन बुलाया, जहां उन्होंने अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना। हालांकि मुलायम सिंह यादव ने तुरंत ही सपा के महा-सम्मेलन को गैर-संवैधानिक करार दिया।
रामगोपाल ने कानूनी सलाह के बाद बुलाया SP का सम्मेलन
मुलायम सिंह यादव के विरोध के बावजूद भी रामगोपाल यादव ने पार्टी के संविधान का जिक्र करते हुए सम्मेलन को बुलाया। उन्होंने बताया कि पार्टी के संविधान में कहा गया है कि पार्टी का महासचिव सम्मेलन बुला सकता है अगर 40 फीसदी चुने गए प्रतिनिधि इसके समर्थन में हैं। रामगोपाल यादव ने इस बात खास ध्यान रखा कि जो भी कदम उठाया जाए वो कानूनी तौर पर ठीक रहे। उन्होंने पिछले तीन महीने से इस तख्ता-पलट की रणनीति बना रहे थे। इस दौरान उन्होंने कानूनी जानकारों की सलाह ली, उनसे मुलाकात की। कई और जानकारों से मिलने के बाद ही उन्होंने पार्टी के सम्मेलन बुलाने का ऐलान किया।
जिस
समय
सम्मेलन
का
ऐलान
किया
गया,
शिवपाल
यादव
पार्टी
के
प्रदेश
अध्यक्ष
थे।
रामगोपाल
यादव
को
पता
था
कि
शिवपाल
यादव
इस
सम्मेलन
में
शामिल
नहीं
होंगे।
ऐसे
में
पार्टी
के
संविधान
को
देखते
हुए
उन्होंने
तय
किया
कि
शिवपाल
की
गैरहाजिरी
में
पार्टी
के
उपाध्यक्ष
इस
सम्मेलन
में
शामिल
हों।
इसी
के
मद्देनजर
उन्होंने
पार्टी
के
उपाध्यक्ष
किरणमय
नंदा
को
सम्मेलन
में
शामिल
होने
का
न्यौता
दिया।
किरणमय
नंदा
इस
सम्मेलन
में
शामिल
हुए।
रामगोपाल
यादव
ने
पार्टी
के
लिखे
संविधान
को
ध्यान
में
रखते
हुए,
उसके
लूप-होल
का
फायदा
उठाया।
इसीलिए
उन्होंने
सपा
के
प्रदेश
अध्यक्ष
शिवपाल
की
गैरहाजिरी
के
मद्देनजर
उपाध्यक्ष
को
सम्मेलन
के
लिए
आमंत्रित
किया।
ये
पूरा
खेल
आंकड़ों
पर
आधारित
था।
सम्मेलन
में
ज्यादातर
समर्थक
अखिलेश
यादव
के
ही
समर्थन
में
नजर
आए।
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