गोरखपुर की पिपराइच विधानसभा सीट पर बेहद रोचक हुआ मुकाबला
अक्सर यहां जाति समीकरण ही प्रत्याशी को जीत का सेहरा पहनाती है, जिसे देखते हुए इस बार भी यहां जाति समीकरण पर ही लोगों की निगाहें टिकी हुई है लेकिन इस बार कुछ अलग आसार लग रहे हैं।
गोरखपुर। विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना बहुत जल्दी ही जारी होने वाली है। ऐसे में प्रत्याशी मतदाताओं के लगातार चक्कर लगा रहे हैं। गोरखपुर जनपद की पिपराईच विधानसभा का चुनाव कुछ ज्यादा ही दिलचस्प होता जा रहा है। अक्सर यहां जाति समीकरण ही प्रत्याशी को जीत का सेहरा पहनाती है, जिसे देखते हुए इस बार भी यहां जाति समीकरण पर ही लोगों की निगाहें टिकी हुई है।
पिपराईच विधानसभा क्षेत्र में निषाद, सैथवार, मुस्लिम व यादव वोटर बहुसंख्यक हैं। पिछले चुनावों की बात करें तो पिपराइच में विगत दो बार से समाजवादी पार्टी निषाद- मुस्लिम और यादव के वोटों से चुनाव जीतती रही है और अभी भी ये सीट समाजवादी पार्टी के कब्जे में हैं। जो क्षेत्रीय विधायक के पांच वर्षों के काम काज को देखकर अबकी बार संभव नहीं दिखता है। हालांकि संबधित प्रत्याशी पिछली बार पति की मौत से उपजे सहानुभूति लहर का बेहतर उपयोग कर विजय हासिल की थी। अब क्षेत्र में वो लहर भी नही दिख रही है। शुरू से ही धनबल से चुनाव प्रभावित करने वाला क्षेत्र पिपराइच हमेशा सुर्खियों में रहा है। पहले ये क्षेत्र कई चुनावों में जितेंद्र जायसवाल उर्फ पप्पू भैया के दारू, कपड़े और पाजेब के लिए मशहूर रहा है और हमेशा से विजयश्री उनके कदम चूमती रही थी। अब उसी तर्ज पर पिपराइच विधान सभा के विभिन्न इलाकों में इस बार धनबल के साथ भावनाओं की जंग चल रही है। यहां से घोषित बसपा प्रत्याशी जहां धन के बल पर चुनाव जीतने की पिराक में है तो वहीं सपा की प्रत्याशी अपने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विकास कार्यों व जनता की भावनाओ की मदद से चुनावी बेड़ा पार लगाने की कोशिश में है। इसके अलावा अन्य दलों में बीजेपी का टिकट न होने से इसके स्वघोषित तीन उम्मीदवार भी मैदान में जोरदार उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
बात
करें
मतदाताओं
को
वादों
की
चाशनी
दिखाने
वाले
प्रत्याशियों
के
कारनामो
की
तो
बसपा
प्रत्याशी
व
बड़े
एनजीओ
संचालक
आफताब
आलम
उर्फ
गुड्डू
भैया
धनबल
के
साथ
चुनाव
मैदान
में
हैं
लेकिन
बसपा
के
परंपरागत
वोटरों
की
बात
तो
दूर
वह
अपने
जातिगत
वोटरों
में
अभी
तक
अपना
प्रभाव
नहीं
बना
पाये
हैं।
पिपराईच
विधानसभा
से
समाजवादी
पार्टी
के
प्रत्याशी
के
रूप
में
राजमती
निषाद
मैदान
में
है।
यदि
अखिलेश
का
विकास
पिपराइच
का
मुस्लिम-निषाद
व
यादव
वोट
बैंक
एकजुट
हुआ
तो
सपा
की
जीत
तय
है।
किन्तु
पार्टी
हाई
कमान
पर
चल
रहे
हाई
वोल्टेज
ड्रामा
के
कारण
वो
भी
संदेह
के
घेरे
में
है।
भाजपा
ने
अभी
तक
यहां
से
प्रत्याशी
घोषित
नहीं
किया
है
लेकिन
अगर
भाजपा
से
कोई
दमदार
प्रत्याशी
मैदान
में
आया
तो
बसपा
तीसरे
नंबर
पर
जा
सकती
है।
खबरों
के
मुताबिक
महेंद्रपाल
और
अनिता
जायसवाल
जायसवाल
के
अलावा
राधेश्याम
सिंह
यहाँ
भाजपा
से
टिकट
के
लिये
लाइन
में
हैं।
पढ़ें-
सर्वे:
उत्तर
प्रदेश
में
मुख्यमंत्री
पद
के
लिए
पहली
पसंद
अखिलेश,
दूसरे
नंबर
पर
मायावती