PICs: पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले अस्पताल में OT की गैस सप्लाई पाई गई दूषित
पिछले महीने ऑपरेशन के दौरान गैस के कारण मृत मरीजों की संख्या देखते हुए गैस सप्लायर कंपनी परेरहट को संदिग्ध माना गया था और उनकी सप्लाई रोककर लिंड एजेंसी से गैस सप्लाई करवाने की बात सामने आई थी।
वाराणसी। गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के बाद पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले बीएचयू की ग्राउंड रिपोर्ट जानने के लिए रियल्टी चेक किया गया। जिसमे कई खामियां सामने नजर आईं। ओपीडी के ठीक बाहर ग्राउंड में मरीजों के साथ कुत्ते नजर आए, गंदा पानी बहता नजर आया तो वहीं मरीजों का स्ट्रेचर वॉर्ड ब्वाय के बजाय उनके परिजन धकेलते नजर आए। कुछ पैर के इलाज के लिए आए मरीज बिना व्हील चेयर के अपने परिजनों के कंधे के सहारे जाते नजर आए। दरअसल 6 और 7 जुलाई 2017 को ऑपरेशन के बाद 48 घंटे में 3 मौत और 5 मरीजों की कंडीशन सीरियस होने की वजह से उन्हें आईसीयू में एडमिट करना पड़ा था और 16 की हालत गंभीर हो गई थी। 3 दिन के लिए ऑपरेशन थियेटर को बंद करना पड़ा था। ऑपरेशन थियेटर में नाइट्रस ऑक्साइड गैस भी इफेक्टेड पाई गई थी।
RTI के बाद की गई PIL दाखिल
इस पूरे मामले पर जब एमएस ओपी उपाध्याय से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा सब काम ठीक-ठाक है। सभी चीजें नॉर्मल हैं। पिछले महीने ऑपरेशन के दौरान गैस के कारण मृत मरीजों की संख्या देखते हुए गैस सप्लायर कंपनी परेरहट को संदिग्ध माना गया था और उनकी सप्लाई रोककर लिंड एजेंसी से गैस सप्लाई करवाने की बात सामने आई थी। बावजूद इसके आरोप है कि अभी भी परेरहट से ही सप्लाई ली जा रही है। इस मामले की जांच रिपोर्ट दो दिन में आने वाली है। इस मामले पर बीएचयू के पूर्व छात्र नेता भुवनेश्वर द्विवेदी ने बताया कि मैंने हैंड ऑफ महामना ऐरा संस्था और कुलपति से लेकर राष्ट्रपति तक 100 प्रार्थना पत्र और 56 आरटीआई दाखिल की है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पूरे मामले पर अभी कुछ दिन पहले इलाहबाद हाई कोर्ट में पीआईएल भी दाखिल की गई है। भुवनेश्वर हैंड ऑफ महामना ऐरा संस्था के सेकेटरी लल्लन तिवारी, मेंबर जनार्दन शांडिल्य पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
8 मरीजों की मौत और 22 हो चुके हैं गंभीर
इन्होंने बताया कि बीएचयू में नाइट्रासाइड / ऑक्सीजन गैस सप्लाई के लिए पहले लिंडा नामक कंपनी के पास अधिकार था। जिसके पास न तो गैस निर्माण करने नहीं वितरण का लाइसेंस है। इस बात खुलासा आरटीआई में संयुक्त विकास आयुक्त औषधि ने अपने जबाब में दिया है। ये कंपनी बीजेपी नेता रंजना बाजपेयी के बेटे हर्ष बाजपेयी की बताई गई है। इस कंपनी की लापरवाही से अब तक अप्रैल 2017 में 5 बच्चे गैस की गड़बड़ी से मरे। 6 और 7 जुलाई 2017 को ऑपरेशन के दौरान 22 लोगों की हालत खराब हुई जिसमें 3 लोग मर गए। इसमें से पांच परिजनों ने बीएचयू प्रशासन पर लंका थाने में मुकदमा भी दर्ज किया है। बीएचयू की केंद्रीय टीम फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी जांच में गैस इफेक्टेड बताया है।
मेडिकल स्टोर पर भी होती है धांधली
यही नहीं दूसरी धांधली यहां उमंग फार्मेसी एजेंसी के अंदर एक दुकान खोलने का है। यहां प्रशासन के मिली भगत से एक्सटेंशन काउंटर नाम पर 7 दुकान खोल रखी हैं। सस्ती दवा बेचने के लिए खोली गई ये दुकान बाजार से महंगी दवाएं बेचता है। ये मेडिकल शॉप बीएचयू में मिलने वाली नॉट फॉर सेल की दवा मैगनामाइसिन बेचता हुआ पकड़ा गया। जिसकी जांच वाराणसी मंडलायुक्त ने एडीएम सिटी से करवाई थी, इसमे एडीएम सिटी ने यहां के कागजात और पकड़ी गई दवा, ड्रग इंस्पेक्टर मनोज गुप्ता के द्वारा रिपोर्ट की गई लेकिन इसका कुछ नहीं हुआ। 8 महीने पहले यहां चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. ओम शंकर जी इसके दुकान से एक दवा मंगवाई जिसकी सील टुटी हुई थी, उसमे विषैला पानी था। यहां सीटी स्केन के लिए 750 रु टेंडर में तय हुआ था लेकिन मरीजों से 1500 रु लिया जाता है।
एमएस उपाध्याय ने गिनाई सिर्फ उपलब्धियां
बीएचयू के एमएस ओपी उपाध्याय ने बताया की अभी हाल में ही भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की योजना अफोडबुल मेडिसिन एंड रिलायबल इंप्लांट फॉर ट्रीटमेंट के तहत अमृत फार्मेसी नाम की दवा और ओटी संबंधित चीजों के लिए एक बड़ी दुकान खोली गई है। जिससे मरीजों को सस्ते में दवा और अन्य वस्तुएं मिलेंगी। जैसे कैंसर की दवा जो बाजार में 53 हजार की मिलती है वो यहां 12 हजार में मिलेगी, 1 लाख का पेसमेकर 32 हजार में उपलब्ध है। इसी तरह हर बड़े रोग की दवाएं और वस्तुएं बहुत ही सस्ते दर पर मरीजों को उपलब्ध होगी। ये यूपी में पहला काउंटर है, यहां 39 ऑपरेशन थ्रिएटर है। 26 बीएचयू और 13 ट्रॉमा में यहां 1899 बेड हैं। 1565 बीएचयू और 334 ट्रॉमा में सीटी स्केन में कई वैराइटी हैं जो 1 हजार से 6 हजार रु. तक हैं।
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