बसपा के चार उम्मीदवारों पर है दलितों के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले
दलितों की पार्टी में ही दलितों के खिलाफ अत्याचार करने वाले चुनावी मैदान में, बसपा के चार उम्मीदवारों के खिलाफ दर्ज हैं दलितों के खिलाफ मामले
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दलितों की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में खुद को आगे रखते हुए मायावती ने तमाम रैलियों दलितों की बात रखी, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि उन्होंने चार ऐसे उम्मीदवारों को इस बार चुनावी मैदान में उतारा है जिनके खिलाफ दलितों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इन उम्मीदवारों के खिलाफ एसएसी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है, यही नहीं इनमें से एक उम्मीदवार के खिलाफ एक दलित की हत्या का भी मामला दर्ज है।
सबने अलापा राजनीतिक साजिश का मामला
जिन चार उम्मीदवारों को मायावती ने टिकट दिया है वह राघवेद्र सिंह जोकि फिरोजाबाद के सिराजगंज सीट से मैदान में हैं, ग्यानेंद्र गौतम जोकि उत्तरी आगरा सीट से, वीरेंद्र सिंह जोकि मौजूदा विधायक हैं वह एक बार फिर से बरेली के चैनपुर से मैदान में हैं और अरिमर्दन सिंह जोकि महोबा सीट से मैदान में हैं। इन चारों नेताओं का कहना है कि उन्हें राजनीतिक विद्वेष के चलते इन फर्जी मामलों में फंसाया गया है।
राघवेंद्र सिंह ने अपे नामांकन पत्र में जो ब्योरा दिया है उसके अनुसार उनके खिलाफ चार मामले हैं, ये चारों मामले धारा 302 यानि हत्या के हैं, ये सभी मामले आईपीसी की धारा 3(2)5 जोकि एससी-एसटी एक्ट के तहत है, 2007 में कराया गया था। राघवेंद्र सिंह का कहना है कि उन्हें गलत तरीके से दलित व्यक्ति की हत्या के मामले में पूर्व मंत्री जयवीर सिंह के इशारे पर फंसाया गया था, जोकि पिछली मायावती की सरकार में मंत्री थे, लेकिन अब जयवीर सिंह अब भाजपा के टिकट पर सिराजगंज से चुनावी मैदान में हैं।कोर्ट ने लगा दी है रोक
राघवेंद्र सिंह का कहना है कि 2004 में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी, लेकिन तीन साल बाद जब उस व्यक्ति के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई तो जयवीर सिंह ने मुझे इस मामले में फंसा दिया। इस मामले की पुलिस ने जांच की थी और उन्हें कोई भी सबूत नहीं मिला था, पुलिस ने अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है।
वहीं गौतम जिन्होंने अपने एफिडेविट में जो जानकारी दी है उसके अनुसार उनके खिलाफ दो मामले दर्ज हैं, जोकि धारा 22 व एसएसी-एसटी एक्ट के तहत है। गौतम ने अपने एफिडेविट में इस बात की भी जानकारी दी है कि उनके खिलाफ इन दोनों ही मामलों की जांच पर 2015 में कोर्ट ने रोक लगा दी है। गौतम का कहना है कि यह मामले उनपर राजनीति के तहत लगाए गए थे, मैं गांव का प्रधान चुना गया था लेकिन मेरे विरोधी सत्ता दल से थे और उन्होंने मेरे खिलाफ यह मामले दर्ज कराए। मेरे उपर गलत आरोप लगाया गया कि मैं जमीन कब्जा कर रहा हूं, लेकिन इस मामले पर कोर्ट ने रोक लगा दी है।सपा सरकार ने लगाए थे फर्जी आरोप
वीरेंद्र सिंह ने भी अपने एफिडेविट में इस बात की जानकारी दी है कि उनके खिलाफ तीन मामले दर्ज हैं, एक मामला 2005 में बरेली में दर्ज किया गया था, यह मामला धारा 147 यानि दंगा, 342 यानि जबरन किसी को बंधक बनाना, 504 यानि जानबूझकर हिंसा भड़काना, एससी-एसटी एक्ट व धारा 171 के तहत दर्ज है। वीरेंद्र सिंह का भी कहना है कि उनके खिलाफ जांच पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। वीरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके खिलाफ फर्जी मामला दर्ज कराया गया है, सपा सरकार के दौरान उनके खिलाफ गलत आरोप लगाए गए।
कांग्रेस से आए अरिमर्दन पर हैं 8 मामले
वहीं अरिमर्दन सिंह के खिलाफ आठ मामले दर्ज हैं, इसमे से एक मामला कबराई पुलिस स्टेशन पर अपहरण का मामला भी दर्ज है, इसके अलावा धारा 3(1) यानि एससी-एसटी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज है। अरिमर्दन सिंह का कहना है कि यह मामले उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश के चलते दर्ज किए गए थे, मैंने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी जहां इस मामले पर रोक लगा दी गई थी। अरिमर्दन सिंह दो बार महोबा से कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुके हैं।