यूपी में अब शादी नहीं गुड्डा-गुड़िया का खेल, ये करना ही पड़ेगा
ये काम न कराने वाले को राज्य सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा।
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में अब बिना रजिस्ट्रेशन के शादीशुदा जोड़ों को राज्य सरकार से कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल सकेगी। क्योंकि योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में शादी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है। कैबिनेट के फैसले के बाद अब राज्य में निवास कर रहे सभी धर्मों के लोगों को शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। हालांकि पहले से शादीशुदा लोगों को इससे छूट दी जाएगी। रजिस्ट्रेशन न कराने वाले व देर से रजिस्ट्रेशन कराने वाले से सरकार जुर्माना भी वसूलेगी।
हालांकि जुर्माने की धनराशि कितनी होगी ये अभी तय नहीं है। इस बाबत बाल विकास व महिला कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत यूपी में शादी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से लागू किया जा रहा है। जिस दिन से नियमावली लागू होगी। शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। सबसे अहम बात ये है कि मैरिज रजिस्ट्रेशन एक्ट में सभी धर्मों के लोगों के लिए एक समान कानून व्यवस्था है।
तैयार था पहले से ही खाका
मंत्री रीता जोशी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहली कैबिनेट बैठक के साथ ही मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए तैयारी शुरू हो गई थी। खाका तैयार हुआ और अब महिला कल्याण विभाग की ओर से नियमावली भी तैयार कर कैबिनेट के सामने पेश की गई। इस प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी दे दी गई है। रजिस्ट्रेशन न कराने वाले को राज्य सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट पारित कर चुका है आदेश
गौरतलब है कि शादी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने संबंधी आदेश सुप्रीम कोर्ट ने बहुत पहले ही पारित कर दिया था। जिसके बाद कई राज्यों में इसे अनिवार्य रूप से लागू भी कर दिया गया। बिहार, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और केरल ने मैरिज रजिस्ट्रेशन को अपने यहां अनिवार्य कर दिया है। जो भी इन राज्यों में पंजीकरण नहीं कराता है उनसे जुर्माना भी वसूला जाता है।
सपा सरकार की योजना पर पानी
यूपी की अखिलेश सरकार ने भी इस योजना को लागू करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया था। जिसके लिए मंत्री अहमद हसन की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी। अहमद हसन ने नियमावली में मुस्लिम वर्ग को इस नियम से छूट देने का प्रावधान कर दिया था। लेकिन कैबिनेट में इसे समुचित रूप से नियम नहीं माना और योजना अधर में लटक गई। जिससे दुबारा अखिलेश सरकार में इस योजना पर काम नहीं किया जा सका। अब जब योगी सरकार ने इस योजना को लागू किया तो दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया कि समान कानून व्यवस्था होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो सभी वर्गों और सभी धर्मों के लोगों को ये नियम अपनाना पड़ेगा और इस नियम से मुस्लिम वर्ग को छूट नहीं दी जाएगी।