गोरखपुर: दम तोड़ रहे बच्चों के लिए फरिश्ता बने डॉ. कफील, अपनी कार में ढोए 12 सिलेंडर
डॉ. कफील ने कार निकाली और अपने दोस्त डॉक्टरों के अस्पताल के लिए निकल पड़े। डॉ. कफील अपने दोस्त डॉक्टरों से तीन जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर बीआरडी मेडिकल पहुंचे।
गोरखपुर। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में शुक्रवार रात मौत ने जमकर तांडव मचाया। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के अंदर ऑक्सीजन के सिलेंडर खत्म होने के बाद मरीजों की मौत का सिलसिला जब शुरू हुआ तो फिर कई घरों के चिराग बुझाकर ही शांत हुआ। इस हादसे में अभी तक 33 बच्चों की मौत हो चुकी है। हमेशा की तरह हादसे के तुरंत बाद सरकार और विपक्ष के बीच आरोपबाजी का खेल भी शुरू हो गया, लेकिन इन सबके बीच शुक्रवार रात को इसी अस्पताल का एक डॉक्टर ऐसा भी था जो किसी फरिश्ते से कम नहीं था।
कार में लेकर आए 3 जंबो सिलेंडर
मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन खत्म होने के बाद अफरा-तफरी का माहौल था। रात को 2 बजे इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी और चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. कफील अहमद को सूचना मिली कि कुछ ही देर में उनके वार्ड की ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी। इसके बाद डॉ. कफील ने तुरंत अपनी कार निकाली और अपने दोस्त डॉक्टरों के अस्पताल के लिए निकल पड़े। डॉ. कफील अपने दोस्त डॉक्टरों से तीन जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर बीआरडी मेडिकल पहुंचे।
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दूसरी बार में 12 सिलेंडर लाए
सुबह ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने के बाद मेडिकल कॉलेज के अंदर एक बार फिर हालात बिगड़ गए। नए ऑक्सीजन सिलेंडर आने में अभी काफी देर थी। कुछ गैस सप्लायरों को फोन भी किया गया, लेकिन इतनी सुबह किसी ने फोन नहीं उठाया। डॉ. कफील एक बार फिर अपनी कार लेकर निकल पड़े और दोबारा अपने मित्र डॉक्टरों के अस्पताल से कई बार में करीब एक दर्जन ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर अस्पताल पहुंचे।
अपने पैसों से की सिलेडंर की व्यवस्था
हालात चूंकि ज्यादा बेकाबू थे, इसलिए डॉ. कफील ने एक बार फिर ऑक्सीजन सप्लायरों को फोन लगाया। एक सप्लायर ने नकद भुगतान करने की शर्त पर ऑक्सीजन सिलेंडर देने का बात मान ली। इसके बाद डॉ. कफील ने तुरंत अपने एक कर्मचारी को अपना एटीएम कार्ड देकर रुपए निकालने भेजा। रुपए आने के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई। इन खराब हालातों में डॉ. कफील के प्रयासों की हर किसी ने सराहना की।
अभी तक 33 बच्चों की मौत
गौरतलब है कि शुक्रवार शाम को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के चलते 30 बच्चों की मौत हो गई थी। सुबह होते-होते मौतों का आंकड़ा 33 तक पहुंच गया। हालांकि सरकार का कहना है कि कि किसी भी बच्चे की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई। इस घटना के बाद मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
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