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भाजपा के ऐलान के बाद क्या मायावती खेलेंगी अपने सियासी जीवन का सबसे बड़ा दांव?

क्या मायावती अपने अस्तित्व को बचाने के लिए फूलपुर से खेलेंगी सियासी जीवन का सबसे बड़ा दांव, भाजपा खाली करेगी फूलपुर सीट

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लखनऊ। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जिस तरह से लखनऊ में अपने तीन दिवसीय दौरे के आखिरी दिन यह साफ किया है कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या यूपी में ही रहेंगे और योगी सरकार को सहयोग करने के साथ संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे, उसके बाद यह स्पष्ट गया है कि वह अपनी फूलपुर की संसदीय सीट से इस्तीफा देंगे। लिहाजा इस बात से यह भी संकेत साफ मिलता है कि भाजपा फूलपुर सीट पर उपचुनाव में अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है।

जोखिम नहीं लेंगी मायावती

जोखिम नहीं लेंगी मायावती

कयास लगाए जा रहे थे कि केशव प्रसाद केंद्र की राजनीति में जा सकते हैं, लेकिन अमित शाह के बयान के बाद मौर्या की लोकसभा सीट फूलपुर में खाली होने जा रही। इस सीट पर उपचुनावों में बीजेपी अपनी जीत लगभग तय मान रही है। बीजेपी के एक उच्च पदाधिकारी ने बताया की बसपा प्रमुख मायावती राज्य सभा से स्तीफा देने के बाद फूलपुर से चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगी। बता दें की फूलपुर को बेहद प्रतिष्ठित सीट माना जाता है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु भी यहीं से चुनाव लड़ा करते थे।

 केशव प्रसाद मौर्या के दिल्ली जाने की खबर थी अफवाह

केशव प्रसाद मौर्या के दिल्ली जाने की खबर थी अफवाह

पार्टी के एक बड़े पदाधिकारी ने बताया की फूलपुर सीट को सुरक्षित बनाए रखने के लिए मौर्या को दिल्ली बुलाए जाने की बात महज एक अफवाह थी। 4 महीने पहले ही बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत हासिल किया है और महज फूलपुर की जीत या हार से उसपर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने आगे कहा कि मौर्या ने फूलपुर सीट 3 लाख से जादा वोटों से जीती थी और जीत के बाद बहुत विकास के कार्य किए हैं।

सुरक्षित सीट चुनती हैं मायावती

सुरक्षित सीट चुनती हैं मायावती

दरअसल शाह के यूपी दौरे के दौरान फूलपुर सीट और सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनाव क्षेत्र गोरखपुर में होने वाले उपचुनाव के ऊपर चर्चा हुई थी। अटकलें लगाईं जा रही थी की फूलपुर सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है क्योंकि यदि मायावती ने वहाँ से चुनाव लड़ने की सोची तो सपा और कांग्रेस भी उनको समर्थन दे सकते हैं। लेकिन बीजेपी के एक नेता ने बताया की मायावती हमेशा से ही अपने लिए एक सुरक्षित सीट चुनती आ रहीं हैं और बसपा ने कभी भी उपचुनावों में अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। उनकी मौजूदा स्थिति के मुताबिक बीजेपी को लगता है कि वे कभी इतना बड़ा खतरा नहीं मोल लेंगी।

 लोहिया को हराया था नेहरू ने

लोहिया को हराया था नेहरू ने


भाजपा वरिष्ठ पदाधिकारी का क हना है कि सपा के जनक मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के बीच की तनातनी की वजह से विपक्षी एकता बहुत कमजोर हो चुकी है। इसके अलावा वहाँ पर कांग्रेस की जमीनी हकीकत भी बेहद दुखदायी है। बता दें कि फूलपुर सीट से इससे पहले विजय लक्ष्मी पंडित और वीपी सिंह भी चुनाव जीत चुके हैं। नेहरु ने यह सीट तीन बार जीती थी जिसमें से एक बार उन्होंने समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया को भी हराया था।

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English summary
Do or die situation for Mayawati will she take a chance. Keshav Prasad set to leave phoolfur seat.
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