टिकट बंटवारे पर सपा में फिर 'रार',अखिलेश के करीबी आशंकित
अभी ज्यादा महीने नहीं बीते है जब उत्तर प्रदेश की जनता ने सत्ता प्रतिष्ठान समाजवादी पार्टी का झगड़ा देखा था, अब फिर से वही हालात हो सकते हैं।
लखनऊ। प्रत्याशियों के चयन में सीएम अखिलेश यादव की राय को तवज्जो नहीं मिलने से सपा में आपसी रिश्तों की खाई गहरी होती जा रही है।
सपा में कई ऐसे नेताओं को टिकट दिए गए हैं, जिन्हें सीएम पसंद नहीं करते। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनकी छवि अच्छी नहीं है।
शनिवार को प्रत्याशियों की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री के खेमे में हलचल बढ़ी हुई है। माना जा रहा है कि मुलायम कुनबे में बाहरी तौर पर भले ही एकता हो गई हो, लेकिन सपा में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है।
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सपा में दो माह तक चले घमासान की एक प्रमुख वजह टिकट वितरण का अधिकार है। सीएम प्रत्याशी चुनने में अपनी अहम भूमिका चाहते हैं। परिवार में युद्ध विराम के बावजूद इस मुद्दे पर सपा मुखिया ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
मुलायम सिंह के निर्देश पर शिवपाल लगातार प्रत्याशी घोषित कर रहे हैं, जिला संगठन में बदलाव कर रहे हैं। सीएम समर्थकों में बेचैनी है कि सीएम की अहम भूमिका तो दूर टिकट वितरण में उनकी राय तक नहीं ली जा रही है।
कहीं ये टीम अखिलेश को कमजोर करने के लिए तो नहीं!
अभी तो मुलायम सिंह और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह ही टिकट वितरण में लीडिंग रोल में हैं।
सीएम समर्थकों को लग रहा है कि संगठन से उन लोगों की छुट्टी की जा रही है जिन पर अखिलेश के करीबी होने का ठप्पा लगा है। उनके नजदीकी लोगों के टिकट भी काटे जा रहे हैं।
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युवा संगठनों में प्रदेश से जिला स्तर तक टीम अखिलेश पहले ही बाहर हो चुकी है। वे आशंकित है कि कहीं यह अखिलेश यादव को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा तो नहीं है।
बरेली रैली से झलकी तल्खी
सूत्रों का कहना है कि सपा की बरेली रैली में अखिलेश यादव के न जाने से मुलायम सिंह नाराज हैं। इसके बाद उन्होंने अमर सिंह को सपा के केंद्रीय संसदीय बोर्ड का सदस्य नामित किया है।
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रैली में उन्होंने युवाओं को नौकरी न देने के मुद्दे पर अखिलेश की आलोचना की थी। इससे पहले मेट्रो रेल और एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन में मुलायम ने अखिलेश सरकार की खूब तारीफ की थी।
कहीं फिर शुरू न हो जाए तल्खी का माहौल
पार्टी व पदों पर रामगोपाल यादव की वापसी के बाद मुलायम कुनबे में बना एकता का माहौल फिर तल्खी की तरफ जाता दिख रहा है।
शनिवार को 16 प्रत्याशियों की घोषणा और 7 में बदलाव से इसी तरह के संकेत मिल रहे हैं। अखिलेश कौमी एकता दल के सपा में विलय के खिलाफ थे।
कौएद विधायक व माफिया मुख्तार अंसारी के भाई सिगबतुल्ला अंसारी को उनकी पुरानी सीट से सपा का टिकट दे दिया गया।
सीएम ने इलाहाबाद दौरै में अतीक अहमद से दूरी बनाए रखने की कोशिश की थी, उन्हें किनारे भी किया था। सपा ने अतीक को कानपुर कैंट से प्रत्याशी बना दिया। अधिकतर उम्मीदवार शिवपाल या अखिलेश यादव की पसंद के हैं।
सीएम के नजदीकियों को जगह नहीं
प्रत्याशियों की सूची में सीएम के नजदीकियों को जगह नहीं मिली। सपा ने बड़ौत (बागपत) से विजय कुमार चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। यहां से अखिलेश की पहली पसंद अर्जुन अवार्डी शौकेन्द्र पहलवान थे।
चरथावल से जिस अब्दुला राणा को प्रत्याशी बनाया गया है वह उमा किरण के राज्यमंत्री रहने के दौरान विवादों में रहे हैं। कैराना के विधायक नाहिद हसन सीएम के नजदीकी रहे हैं।
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उनसे 36 का आंकड़ा रखने वाले उनके चाचा कंवर हसन को बुढ़ाना से प्रत्याशी बनाया है। कानपुर कैंट से जिन हाजी परवेज का टिकट काटा है वह अखिलेश के नजदीकी समझे जाते हैं।
कमल सिंह मौर्य युवा नेता हैं, उनकी जगह बांदा से हसनुद्दीन उम्मीदवार हैं। मंझनपुर में इविवि के छात्र नेता रहे चुके हेमंत टुन्नू का टिकट काटा गया है।