गोरखपुर: 'मुझे पता था मेरा बच्चा नहीं बचेगा, फिर भी मैं दवा लेने बाहर गया'
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल स्थित गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 33 बच्चों की मौत के बाद की स्थिति बयां नहीं की जा सकती है। हर ओर रोते बिलखते चेहरे। चीख पुकार और अपनों को खोने के गम में बिलखते लोगों ने जब दास्तां सुनाई तो हर किसी की आंख नाम हो गई। ऐसे मौके पर कई पुलिसकर्मी भी थे जो परिजनों को ढांढ़स बंधा रहे थे।
मेरे वश में नहीं था कुछ
राज्य के पडरौना से आए मृत्युंजय ने कहा कि उन्हें बच्चे का ऑक्सीजन खत्म होने की जानकारी हुई। इसके बाद भी डॉक्टरों ने बाहर से दवा लाने के लिए कह दिया। मुझे इस बात का एहसास हो गया था कि अब बच्चा बचेगा नहीं लेकिन फिर भी मैं बाहर से दवा लाया क्योंकि मेरे वश में कुछ नहीं था।
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मैं प्राइवेट अस्पताल चला जाता
बस्ती जिला निवासी दीपचंद ने बताया कि उनके 11 महीने के बच्चे की मौत हो गई। दीपचंद ने कहा कि ना तो डॉक्टर जिम्मेदारी ले रहे थे ना ही कर्मचारी। जब ऑक्सीजन नहीं था तो आखिर भर्ती किया ही क्यों? रेफर कर देना था, मैं निजी अस्पताल में चला जाता।
बिना ऑक्सीजन करते रहे इलाज
खोराबार इलाके से राधेश्याम ने कहा कि मेरी पोती बीमार थी। उन्होंने कहा कि दवा तो हम बाहर से खरीद ही रहे थे। अस्पताल की ओर से मिल रहा ऑक्सीजन भी खत्म हो गया। देवरिया निवासी अमित की बेटी प्रतिज्ञा का भी निधन हो गया। अस्पताल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए अमित ने कहा कि डॉक्टरों ने उनकी बेटी को मार डाला। रेफर नहीं किया और बिना ऑक्सीजन इलाज करते रहे।
हर तरफ चीख पुकार
मेडिकल कॉलेज में पूरा दिन लोगों की चीख पुकार सुनाई देती रही। कई मृतकों के परिजन बेसुध हो गए थे। सभी का कहना था कि अगर ऑक्सीजन नहीं था तो बताना था। हम कहीं और चले जाते।
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