'जेएनयू में दलितों, पिछडों को इंटरव्यू में दिए जाते हैं कम मार्क्स'
छात्र नेता का कहना है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दलित जाति के छात्र एमफिल और पीएचडी में लिखित परीक्षा में अधिक नंबर पाते हैं लेकिन इंटरव्यू में उनके नंबर काट दिए जाते हैं।
गोरखपुर। राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दलित व पिछड़े छात्रों को साक्षात्कार में अंक कम दिए जाने और इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले आठ छात्रों को निलंबित किए जाने के विरोध में गुरुवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार पर जेएनयू के कुलपति जगदीश कुमार का पुतला फूंका और नारेबाजी की।
डीडीयू गेट पर छात्रों संग प्रदर्शन कर रहे छात्र नेता डॉक्टर हितेश सिंह ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दलित व पिछड़े छात्रों को साक्षात्कार में कम अंक दिए जाते हैं। दलित व पिछड़े जाति के छात्र एमफिल व पीएचडी प्रवेश परीक्षा में लिखित परीक्षा में अधिक नंबर पाते हैं लेकिन मौखिक परीक्षा में उनके नंबर काट दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रवेश के लिए परीक्षा में 70 अंक लिखित जबकि 30 अंक मौखिक परीक्षा में निर्धारित है। छात्रों ने आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि विगत 5 वर्षों का औसत देखा जाए तो एससी, एसटी को 7 अंक, ओबीसी को 6 अंक, वहीं सामान्य वर्ग को 20 अंक दिए जाते हैं। इसलिए छात्र संगठन लिखित परीक्षा के अंक बढ़ाने व साक्षात्कार के निर्धारित अंक को 10 से 15 करने की मांग कर रहे हैं।
छात्र
नेता
ने
कहा
कि
इन
मांगों
को
लेकर
23
दिसंबर
को
अकादमी
काउंसिल
की
मीटिंग
कक्ष
के
बाहर
धरना
दे
रहे
जेएनयू
के
8
छात्रों
पर
मीटिंग
में
बाधा
पहुंचाने
का
आरोप
लगाकर
उन्हें
निलंबित
कर
दिया
गया
और
उनसे
हॉस्टल
की
सुविधा
भी
वापस
ले
ली
गई।
जेएनयू
के
इस
निर्णय
के
विरोध
में
आज
पूरे
देश
में
छात्र
आंदोलन
कर
रहे
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
जेएनयू
में
जाति
देखकर
साक्षात्कार
में
अंक
दिए
जाते
हैं।
गोरखपुर
विश्वविद्यालय
मैं
भी
यही
हाल
है।
इसलिए
इस
प्रक्रिया
के
विरोध
में
हम
जेएनयू
छात्रों
के
साथ
हैं।
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के
6
पूर्व
सपा
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का
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