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सपा से शिवपाल की हुई विदाई तो होंगे ये 5 नुकसान

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नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी में पिछले कुछ समय से जारी घमासान थमता नहीं दिख रहा है। चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव के बीच का विवाद लगातार नए रुप में आगे बढ़ रहा है।

shivpal yadav

सपा में घमासान चरम पर

इस बीच शिवपाल यादव ने अखिलेश मंत्रिमंडल के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के भी सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस फैसले से पार्टी की कलह सबके सामने आ गई।

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सपा में हालात इसकदर बिगड़ चुके हैं कि पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की कोशिशें फेल होती दिख रही है। शायद यही वजह है कि पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात के कुछ समय बाद ही शिवपाल यादव ने मंत्रिमंडल और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।

पार्टी-संगठन का बड़ा चेहरा हैं शिवपाल यादव

पार्टी-संगठन का बड़ा चेहरा हैं शिवपाल यादव

सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने चाचा-भतीजे के विवाद को सुलझाने के लिए शिवपाल यादव को उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष बनाने का ऐलान कर दिया। बावजूद इसके शिवपाल ने पार्टी और सरकार के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।

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शिवपाल यादव पार्टी में रहकर इसे मजबूती देने की बात कह रहे हैं, लेकिन बदले हालात में अगर उन्होंने कोई भी बड़ा फैसला लेते हुए पार्टी से इस्तीफे की योजना बनाई तो इससे पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान होने की संभावना है। अगर शिवपाल यादव पार्टी छोड़ते हैं तो सपा को होने वाले पांच नुकसान:-

पार्टी में बिखराव की आशंका

पार्टी में बिखराव की आशंका

शिवपाल यादव फिलहाल पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर काम करने की बात कह रहे हैं लेकिन अगर किसी वजह से पार्टी छोड़ते हैं तो ये पार्टी के लिए बड़े झटके से कम नहीं होगा। ऐसी सूरत में पार्टी में बिखराव की आशंका है। शिवपाल यादव पार्टी संगठन के मजबूत नेताओं में शुमार हैं। उनकी पकड़ पार्टी कैडर में बहुत ज्यादा है। अगर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया तो इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में बिखराव तय है। जिसका सीधा फायदा विपक्ष को होगा।

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शिवपाल यादव के साथ पार्टी के करीब 20 से ज्यादा विधायक बताए जा रहे हैं। अगर शिवपाल पार्टी छोड़ते हैं तो उनके समर्थक ये सभी विधायक भी उनके साथ जा सकते हैं। अगर ऐसा होगा तो अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली यूपी सरकार की मुश्किलें जरूर बढ़ जाएंगी। कुल मिलाकर शिवपाल यादव का किसी भी स्थिति में पार्टी छोड़ना संगठन और सरकार दोनों के लिए मुश्किल का सबब जरूर बन जाएगी।

संगठन के मजबूत स्तंभ हैं शिवपाल

संगठन के मजबूत स्तंभ हैं शिवपाल

शिवपाल यादव को पार्टी का मजबूत स्तंभ माना जाता है। ये बात सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव बखूबी जानते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो कभी भी वह यूपी के सीएम अखिलेश यादव को यूपी के अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल यादव को ये पद नहीं देते। हालांकि शिवपाल ने इससे भी इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उनका इस्तीफा मुलायम सिंह यादव ने स्वीकार नहीं किया है। समाजवादी पार्टी के मुखिया को ये पता है कि अगर शिवपाल यादव पार्टी छोड़ते हैं तो पार्टी उनके नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएगी।

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पार्टी कार्यकर्ताओं में उनकी महत्ता बहुत ज्यादा है। इसकी वजह भी है कि वह खुद पार्टी को मजबूती के लिए निचले स्तर से कवायद करते हैं। उन्हें संगठन स्तर पार्टी को मजबूत करने का पुराना अनुभव रहा है। इसीलिए मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश सरकार के वर्तमान कार्यकाल के दौरान कई बार निशाना साधा था। इस दौरान शिवपाल यादव की तारीफ भी मुलायम सिंह यादव ने की थी।

विपक्ष के सीधे निशाने पर आ सकती है समाजवादी पार्टी

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अगर शिवपाल यादव पार्टी छोड़कर अलग होते हैं तो इसका सीधा फायदा विपक्ष को होगा। जिनकी नजर लगातार समाजवादी पार्टी में चल रहे घमासान पर है। भाजपा, कांग्रेस और मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी की निगाहें सपा में चल रहे घमासान पर है।

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सपा में अगर किसी भी तरह की दरार पड़ी तो सभी पार्टियां जनता के बीच इस मुद्दे को जरूर भुनाएंगी। विपक्ष सीधे तौर पर सपा को घेरते हुए यही कहेंगे कि जब पार्टी में ही एकजुटता नहीं है तो अगर उन्हें सरकार बनाने का मौका मिला तो वह सरकार कैसे चलाएंगे? कलह के बीच जरूरी फैसले कैसे लिए जाएंगे? इतना ही नहीं विपक्ष जनता को सपा में मतभेद की बातें बताकर उन्हें कमजोर जरूर करने की कोशिश करेंगे। विपक्ष इसे भाई और भतीजे का विवाद करार देगा। कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी की उठापटक का असर कहीं न कहीं विपक्ष के लिए बड़ा हथियार बन सकता है।

पार्टी में गुटबाजी की आशंका

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अगर शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी छोड़कर अलग होते हैं तो इसका सीधा असर पार्टी के कार्यकर्ताओं पर होगा। जो कार्यकर्ता अभी सिर्फ नेता जी यानी मुलायम सिंह यादव के नाम पर समाजवादी पार्टी को मजबूती देने की कवायद में जुटे रहते हैं शिवपाल के जाने के बाद उनमें बिखराव जरूर होगा। इसकी वजह ये भी है कि शिवपाल यादव का पार्टी कार्यकर्ताओं पर गहरा असर है।

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शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी को संगठन के स्तर पर मजबूती के लिए बहुत काम किया है। कार्यकर्ता और खुद सपा मुखिया भी इस बात को जानते हैं। अगर शिवपाल यादव किसी भी सूरत में पार्टी छोड़कर अलग हुए तो संगठन में बिखराव होना तय है। शिवपाल के समर्थक अलग गुट बनाएंगे। ऐसी स्थिति वह समाजवादी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश जरूर करेंगे, जिसका खामियाजा सपा को आगामी चुनाव में उठाना पड़ सकता है।

आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में हो सकता है बड़ा नुकसान

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समाजवादी पार्टी में विवाद की स्थिति ऐसे वक्त में नजर आ रही है जब अगला विधानसभा चुनाव मुहाने पर है। दूसरी पार्टियां लगातार वोटरों को लुभाने की कवायद कर रही हैं लेकिन समाजवादी पार्टी में आपसी सिर-फुट्टौव्वल के हालात हैं। ऐसी सूरत में पार्टी कैडर्स को कैसे साधेगी...वोटरों को कैसे रिझाएगी...? ये बड़ा सवाल रहेगा।

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अगर कहीं शिवपाल यादव ने पार्टी छोड़ दी तो सपा के लिए ये बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। इसका असर चुनाव में तो दिखेगा ही संगठन पर भी नजर आएगा। इसीलिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव अपने भाई और पार्टी के बड़े चेहरे शिवपाल यादव को नाराज नहीं कर सकते। अब देखना होगा कि पार्टी-सरकार और संगठन को मजबूती के लिए मुलायम सिंह यादव कौन सा पैंतरा निकालेंगे जिससे पार्टी की लगातार बिगड़ रही छवि को फिर से मजबूत किया जा सके। फिलहाल इस पूरे ड्रामे का समापन केवल और केवल सपा सुप्रीमो के दरबार से ही हो सकता है, इसलिए निगाहें अब उन्ही की ओर है।

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English summary
Crisis in the SP deepened after senior minister Shivpal Yadav resigns from the ministry.
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