बहराइच: दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, कहीं आमने-सामने तो कहीं त्रिकोणीय संघर्ष
बहराइच की सभी सीटों पर इस बार कड़ा मुकाबला है। कहीं आमने-सामने की टक्कर है तो कहीं त्रिकोणीय संघर्ष है। पढ़िए, किस सीट पर क्या स्थिति है?
बहराइच। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहराइच क्षेत्र की सीटों पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। कहीं आमने-सामने तो कहीं त्रिकोणीय संघर्ष के चलते प्रत्याशी और उनके समर्थक हलकान हैं। आइए जानते हैं कि बहराइच क्षेत्र की सीटों पर किन प्रत्याशियों के बीच मुकाबले हो रहे हैं।
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बहराइच सदर विधानसभा सीट
सदर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मंत्री व पांच बार सदर सीट पर काबिज रहे डाक्टर वकार अहमद शाह के अस्वस्थ होने के चलते उनकी पत्नी रुआब सईदा इस बार चुनाव मैदान में हैं। यहां पर उन्हें भाजपा की प्रत्याशी अनुपमा जायसवाल और बसपा के प्रत्याशी अजीत प्रताप सिंह से कड़ी टक्कर मिल रही है। हलांकि वह अपनी सीट बचाने के लिए हर जतन कर रही हैं।
मटेरा विधानसभा सीट
मटेरा सीट पर कैबिनेट मंत्री यासर शाह की प्रतिष्ठा दांव पर है। वह सपा के टिकट पर दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। उन्हे भाजपा के अरुणवीर सिंह से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। बसपा उम्मीदवार सुल्तान खां के चुनाव मैदान में होने से धर्म और वर्ग की बयार यहां पर हावी दिख रही है।
नानपारा विधानसभा सीट
नानपारा सीट पर बसपा के अब्दुल वहीद चुनाव मैदान में है। यहां से भाजपा की माधुरी वर्मा ताल ठोक रही है। कांग्रेस से वारिस अली मैदान में है। भाजपा के एक बागी रालोद से चुनाव मैदान में डटे हैं। नानपारा कुर्मी बाहुल्य सीट है। रालोद प्रत्याशी की सेंधमारी के चलते भाजपा मुश्किल में दिख रही है। हालांकि राजनीतिक पंडित बसपा और भाजपा की आमने-सामने टक्कर मान रहे हैं।
बलहा विधानसभा सीट
बलहा विधानसभा सीट पर भाजपा के अक्षयवरलाल गोंड, बसपा की किरन भारती और सपा से राज्यमंत्री बंशीधर बौद्ध चुनाव मैदान में हैं। लेकिन यहां जातीय और धार्मिक समीकरण हावी होने के चलते बसपा और भाजपा में आमने-सामने की टक्कर होती दिख रही है। हलांकि चुनावी बयार कब बदल जाए, कुछ कहा नहीं जा सकाता।
महसी विधानसभा सीट
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र महसी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के टिकट से पूर्व विधायक सुरेश्वर सिंह मैदान में हैं।वहीं बसपा से केके ओझा और कांग्रेस के उम्मीदवार अली अकबर ताल ठोंक रहे हैं। क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य है। मुस्लिमों की संख्या भी निर्णायक की भूमिका में है। इसके चलते अली अकबर के मैदान में आने के बाद जातीय समीकरण तेजी से बदले हैं। ऐसे में यहां पर भाजपा, बसपा की टक्कर मानी जा रही है। हालांकि अभी कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता।
पयागपुर विधानसभा सीट
पयागपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2012 में मुकेश श्रीवास्तव कांग्रेस के टिकट से जीते थे। इस बार वह सपा के टिकट से चुनाव मैदान में हैं। भाजपा के सुभाष त्रिपाठी व बसपा के शेख मुशर्रफ ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस-सपा संयुक्त गठबंधन के तहत कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार भगतराम के टिकट वापसी की घोषणा नामांकन के दिन की थी। समय निकल जाने के चलते यहां कांग्रेस के सिंबल पर भगतराम भी चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में ब्राह्मण बाहुल्य होने के बावजूद पयागपुर में चुनावी बयार अभी ठिठक नहीं सकी है। इसके चलते समीकरण चैंकाने वाले आ सकते हैं।
कैसरगंज विधानसभा सीट
कैसरगंज विधानसभा क्षेत्र में बसपा के टिकट से खालिद खान चुनाव मैदान में हैं। जबकि भाजपा के टिकट से मुकुट बिहारी वर्मा और सपा से पूर्व विधायक रामतेज यादव चुनाव लड़ रहे हैं। यह क्षेत्र भी मुस्लिम बाहुल्य होने के चलते राजनीतिक पंडित खालिद का पलड़ा भारी मान रहे हैं। हालांकि कुर्मी भी निर्णायक भूमिका में हैं। ऐसे में रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद है।
गायब
हुए
मुद्दे,
जाति
और
धर्म
की
बहने
लगी
बयार
जिले
की
सभी
सात
सीटों
पर
मुद्दों
की
राजनीति
लगभग
गायब
हो
गई
है।
जाति-धर्म
और
वर्गवाद
की
बयार
बह
रही
है।
इसके
चलते
राजनीतिक
पंडितों
को
गुणा-गणित
में
भी
मुश्किल
आ
रही
है।
जानकारों
की
मानें
तो
क्षेत्र
के
मुद्दे
अचानक
गायब
होने
से
परिणाम
चैंकाने
वाले
होंगे।
बहराइच
का
जातीय
आंकड़ा
एक
नजर
में-
दलित-
20
प्रतिशत
मुस्लिम-
31
प्रतिशत
ब्राह्मण-
12
प्रतिशत
कुर्मी-
11
प्रतिशत
यादव-
8
प्रतिशत
क्षत्रिय-
7
प्रतिशत
अन्य-
11
प्रतिशत
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