अखिलेश के बाद मायावती के घर में फूट, दिग्गज विधायक ने दिया इस्तीफा
अमित शाह पहुंचे लखनऊ, एक के बाद एक नेताओं के इस्तीफे का सिलसिला जारी, बसपा एमएलसी ने दिया इस्तीफा
लखनऊ। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लखनऊ दस्तक देते ही लगातार एक के बाद एक सपा और बसपा के नेताओं ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया। पहले जहां सपा के दो विधान परिषद के सदस्यों ने इस्तीफा दिया और तीसरे एमएलसी के इस्तीफे के कयास लगाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ बसपा में भगदड़ का सिलसिला शुरू हो गया है। बसपा के एमएलसी ठाकुर जयवीर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है।
मायावती के करीबी थे जयवीर सिंह
ठाकुर जयवीर सिंह को बसपा का दिग्गज नेता माना जाता है। वह मायावती की सरकार के दौरान मंत्री भी थे, ऐसे में जयवीर सिंह के पार्टी से बाहर जाने के बाद पहले से ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही मायावती की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इससे पहले सपा के दो विधायकों ने भी पार्टी ेस इस्तीफा दे दिया है। जिसमें बुक्कल नवाब और यशवंत सिंह ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
Recommended Video
कई अन्य विधायक भी दे सकते हैं इस्तीफा
माना जा रहा है कि इस्तीफा देने वाले अन्य विधायकों की लिस्ट तैयार है और वह आने वाले समय में पार्टी का दामन छोड़ सकते हैं। जिसमें सपा के नेता मधुकर जेटली का नाम शामिल है, माना जा रहा है कि वह भी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। बहरहाल एक तरफ जहां तमाम नेताओं का भाजपा की ओर जाने का सिलसिला जारी है तो अन्य दलों के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है वह यह कि कैसे अपने नेताओं को टूटने से बचाया जाए।
गुजरात में भी पड़ी है फूट
यहां गौर करने वाली बात यह है कि इन तमाम नेताओं ने अमित शाह के लखनऊ आने के बाद दिया है। इससे पहले गुजरात में भी कांग्रेस पार्टी में फूट पड़ गई, वहां भी 7 विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया, आलम यह है कि गुजरात कांग्रेस ने अपने विधायकों को बचाने के लिए उन्हें बेंगलुरू भेज दिया, ताकि उन्हें तोड़ा नहीं जा सके।
तीन दिन के दौरे पर हैं अमित शाह
गौर करने वाली बात यह है कि आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आज यूपी के तीन दिवसीय दौरे पर आए हैं। उनके लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचते ही सपा के भीतर खींचतान शुरू हो गई और पार्टी के तीन नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है। अमित शाह केशव प्रसाद मौर्या और योगी आदित्यनाथ पर बड़ा फैसला ले सकते हैं। दोनों ही नेता मौजूदा समय में लोकसभा के सदस्य हैं और इन्हें छह महीने के भीतर यूपी के किसी एक सदन का सदस्य होना अनिवार्य है। लिहाजा इन्हें किस संसदीय क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा जाए इस पर फैसला होगा।