भाई-बहन सुनते ही चौंके थानेदार साहब, फिर जब पूरी कहानी सुनी तो...
लगभग 4 घंटे तक थानेदार अरविंद के परिजनों को शादी हो जाने की दलीले देते रहे। तब जाकर सबने सोचा कि बात तो सही है।
इलाहाबाद।
संगम
नगरी
में
भाई-बहन
शादी
के
बंधन
में
बंधे
हैं।
दूल्हे
ने
अपनी
ममेरी
बहन
से
शादी
न
होने
पर
जान
देने
की
धमकी
देते
हुए
थाने
की
चौखट
पर
फरियाद
लगाई
थी।
जिसके
बाद
पुलिस
ने
दोनों
की
मंदिर
में
शादी
कराकर
सादे
कागज
पर
लिखा-पढ़ी
कराई।
मामला
यमुनापार
के
घूरपुर
थाने
का
है।
जहां
दोनों
सीधे
थानेदार
के
ऑफिस
में
घुसे
और
थानेदार
से
बोले,
'सर
हमारी
शादी
करा
दो,
नहीं
तो
हम
अपनी
जान
दे
देंगे'।
हमारे
माता-पिता
हमारे
रिश्ते
को
स्वीकार
नहीं
कर
रहे
हैं।
थानेदार
ने
दोनों
को
कुर्सी
पर
बैठाया
और
कहा
की
परेशान
न
हो
और
पूरी
बात
बताओ
यहां
तुम्हारी
पूरी
मदद
होगी।
उनकी बात सुनकर थानेदार साहब चौंक गए
देर शाम दोनों के परिजनों को बुलाकर थाने के मंदिर में ही शादी कराई गई, इस प्रेमी जोड़े को सामाजिक पति-पत्नी की मान्यता दी गई। घूरपुर के रहने वाले नीरज कुशवाहा अपनी प्रेमिका सरिता को लेकर जब थाने पंहुचा तो थानेदार अरविंद त्रिवेदी को पूरी कहानी सुनते हुए बताया की लड़की उसकी रिश्ते में बहन है तो थानेदार साहब भी चौंक गए लेकिन पूरी प्रेम कहनी सुनने के बाद वो शादी करने को राजी को गए। नीरज के मुताबिक वो बारहवीं तक पढ़ने के बाद 2015 में रेस्टोरेंट चलाने लगा। रेस्टोरेंट उसने अपने ननिहाल चित्रकूट में खोला था जहां रहने के दौरान वो अपनी बहन सरिता को पसंद करने लगा।
धीरे-धीरे दोनों के रिश्ते गहरा गए
वो भूल गए की वो भाई-बहन हैं। दोनों ने निर्णय किया की वो एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते। इसलिए वो शादी कर लेंगे लेकिन इसी बीच इस रिश्ते की खबर मामा को पता चली तो उन्होंने सरिता का नीरज से मिलना-जुलना पर बंदिश लगा दी। लेकिन इश्क में डूबे दोनों चोरी-छुपे मिलते रहे और अब पुलिस की मदद से दोनों पति-पत्नी बन गए हैं।
नीरज की मां गई थी रिश्ता लेकर...
नीरज ने बताया की मैंने अपने और सरिता के प्यार के बारे में पापा-मम्मी से बात की। तो उन्होंने इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं किया। इसके बाद मां रिस्ता लेकर मामा के घर गई। मामा, मां के चचेरे भाई हैं लेकिन वो तैयार नहीं हुए। सरिता की दूसरी जगह शादी तय हो रही थी ये बात पता चलते ही दोनों ने घर छोड़ दिया और भागकर इलाहाबाद के घूरपुर थाने चले गए। यहां दोनों ने पुलिस से सारी कहानी बताई तो दोनों के घरवालों को थाने बुलाया गया। लगभग 4 घंटे तक थानेदार अरविंद के परिजनों को शादी हो जाने की दलीले देते रहे। काफी समझाने-बुझाने के बाद देर शाम दोनों ओर से मंजूरी मिली तो थाने के ही मंदिर में शादी कराई गई। विदाई के समय थानाध्यक्ष अरविंद त्रिवेदी ने शगुन के रूप में लड़की को अपनी तरफ से 1100 रुपए देकर सुखी जीवन का आशीर्वाद दिया। उन्होंने ही मामले की जानकारी देते हुए बताया की दोनों पक्षों से शादी की परमीशन देने की लिखित तहरीर भी ली गई, जिससे शादी पर फ्यूचर में कोई संकट न आए। लिखा-पढ़ी के कागजों की कई कॉपियां कराकर सभी को दे दी गई है और रिकॉर्ड में भी इसे रखा गया है।
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