इलाहाबाद: बागियों ने बढ़ाई बीजेपी की मुश्किल, टिकट न मिलने से नाराज नेताओं ने की लड़ाई की तैयारी
भाजपा के लिए यह बड़ा झटका इसलिए भी हो सकता है क्योंकि भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामरक्षा द्विवेदी भी उसी बगावत का हिस्सा हैं। इन लोगों ने नामांकन की तैयारियां पूरी कर ली हैं।
इलाहाबाद। क्या भाजपा की लुटिया अपने ही डुबो देंगे? क्या भाजपा प्रत्याशियों को उनके ही कार्यकर्ता धूल चटाएंगे? यह सवाल यूं हीं नहीं उठा है बल्कि इसके पीछे टिकट बंटवारे से शुरू हुई रार के बगावत में बदलने की दास्तां छिपी है। इलाहाबाद की पांच विधानसभा सीटों से भाजपा के दर्जन भर बागियों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक दी है। इन लोगों ने नामांकन की तैयारियां पूरी कर ली है। भाजपा के लिए यह बड़ा झटका इसलिए भी हो सकता है क्योंकि भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामरक्षा द्विवेदी भी उसी बगावत का हिस्सा हैं। रामरक्षा ने 257 प्रतापपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन फॉर्म लिया है।
Read more: बांदा: तिंदवारी सीट पर उम्मीदवारों की साख तय करेगी कि कौन सी पार्टी जीतेगी?
सम्मेलन में खाली कुर्सियां पहले ही दिखा चुकी हैं बगावत का असर
बता दें कि 254 फाफामऊ विधानसभा सीट पर घोषित हुए प्रत्याशी पूर्व मंत्री विक्रमाजीत मौर्य के लिए मंगलवार को कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित हुआ था। जिसमे खाली पड़ी कुर्सियों ने बगावत का जो संदेश दिया था उसी का असर अब साफ हो रहा है। विक्रमाजीत के विरुद्ध चुनाव लड़ने के लिए 9 लोगों के तीन बागियों ने नामांकन पत्र हासिल किया है। जिससे अब भाजपा की राह कठिन होती जा रही है।
जानिए किन सीटों से लड़ रहे हैं निर्दलीय प्रत्याशी
(255) सोरांव सीट - 8
(256) फूलपुर सीट - 6
(258) हंडिया सीट - 5
(259) मेजा सीट - 4
(260) करछना सीट - 6
(261) इलाहाबाद पश्चिम - 6
(262) इलाहाबाद उत्तर - 9
(263) इलाहाबाद दक्षिण - 9
(264) बारा सीट - 7
(265) कोरांव सीट - 4
इनमें बीजेपी से बागी हुए प्रत्याशी भी शामिल हैं।
बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए यह एक बड़ी चुनौती है
स्थानीय संगठन ने बगावत के तेज होते युद्ध से राष्ट्रीय कार्यकारिणी को बताया है। भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि वह चुनाव प्रचार-प्रसार में ताकत झोंके या फिर बगावत के पैरों में बेड़ियां बांधे। चूंकि भाजपा का प्रथम श्रेणी कुनबा अभी बजट, रैली और दूसरे चुनावी मुद्दों को लेकर जूझ रहा है और सपा कांग्रेस के सियासी नफे-नुकसान से निपटने का खाका खींच रहा है। ऐसे में स्थानीय बगावत रोकने के लिए उनके पास वक्त नहीं है।
प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य पर जातिवाद हावी, उनकी सुनने को कोई तैयार ही नहीं
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव भले ही इस शहर के हो गए हो लेकिन उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं है। पहले से ही जातिवाद और पैसे लेकर टिकट बांटने के आरोप पर घिरे केशव से ब्राह्मण वर्ग नाराज दिख रहा है। जबकि सबसे ज्यादा ब्राह्मण दावेदार ही बगावत कर रहे हैं। फिलहाल चुनाव सिर पर है और ऐसे समय में बगावत का चक्रव्यूह भेदने किसे आना पड़ता है ये देखने वाली बात होगी। कहीं पार्टी के भीतर यह महाभारत इलाहाबाद में भाजपा को ढेर न कर दे!
Read more:शिवपाल के बागी सुर पर बोले अखिलेश- अब तो बहुत पीछे रह गए, अगले साल पूरी होगी रैली