मुलायम सिंह के इस धांकड़ दांव के सामने चित हो सकते हैं अखिलेश
सपा के सियासी विवाद में मुलायम का धांकड़ दांव, मुश्किल में पड़ सकते हैं अखिलेश यादव, पार्टी से निष्कासन को रद्द किए जाने के पीछे रखी थी अहम शर्त
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के स्वामित्व को लेकर चल रही लड़ाई के बीच मुलायम सिंह का खेमा इस बात को लेकर आश्वस्त है कि पार्टी पर उसका ही अधिकार रहेगा। सूत्रों की मानें तो मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के भीतर के विवाद को पहले ही भांप लिया था और इसी के चलते उन्होंने अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव के निष्कासन को कागजी प्रक्रिया के तहत रद्द नहीं किया था, ऐसे में इन दोनों की अगुवाई में की गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सम्मेलन को अवैध घोषित किया जा सकता है।
वापस नहीं हुआ है अखिलेश-रामगोपाल का निष्कासन
मुलायम सिंह यादव के करीबी सूत्रों के मुताबिक रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव के निष्कासन को रद्द किए जाने के पीछे शर्त भी रखी गई थी और इन शर्तो को पूरा करने पर ही दोनों की पार्टी में फिर से वापसी हो सकती थी। दोनों को पार्टी के भीतर वापस लिए जाने के पीछे जो अहम शर्त रखी गई थी वह यह कि दोनों पार्टी में वापसी के बाद राष्ट्रीय अधिवेशन को नहीं बुलाएंगे, सिर्फ इसी शर्त पर ही दोनों की पार्टी में वापसी की बात कही गई थी। इस शर्त के बावजूद दोनों ने राष्ट्रीय अधिवेशन को बुलाया, लिहाजा इसके चलते दोनों का निष्कासन रद्द नहीं किया गया।
इसे
भी
पढ़े-
मुलायम
बनाम
अखिलेश
युद्द
का
कारण
है
साधना-डिंपल
का
झगड़ा!
मजबूत
है
मुलायम
का
पक्ष
सूत्रों
की
मानें
तो
चुनाव
आयोग
में
मुलायम
सिंह
यादव
का
पक्ष
मजबूत
है,
क्योंकि
पार्टी
के
भीतर
राष्ट्रीय
अधिवेशन
को
बुलाने
का
अधिकार
सिर्फ
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
को
है,
पार्टी
का
अधिवेशन
पार्टी
से
निष्कासित
सदस्य
नहीं
बुला
सकते
हैं।
इस
लिहाज
से
देखा
जाए
तो
मुलायम
सिंह
यादव
का
पार्टी
पर
स्वामित्व
बरकरार
रह
सकता
है
और
उन्हें
चुनाव
चिन्ह
बांटने
का
अधिकार
मिल
सकता
है।
वहीं
दूसरी
तरफ
अखिलेश
यादव
के
खेमे
के
नरेश
अग्रवाल
का
कहना
है
कि
अखिलेश
यादव
हमारे
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
हैं
लिहाजा
साइकिल
का
निशान
हमें
ही
मिलना
चाहिए।