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जंतर-मंतर पर गरजे भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर की मां और भाई

भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की मां कमलेश और उसके भाइयों कमल किशोर भगत सिंह को जंतर-मंतर पर में पहुंचने देने और उनका तय कार्यक्रम फेल कर देने के पुलिस के सारे दावे खुद ही फेल होकर रह गए।

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सहारनपुर। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की मां कमलेश और उसके भाइयों कमल किशोर भगत सिंह को जंतर-मंतर पर में पहुंचने देने और उनका तय कार्यक्रम फेल कर देने के पुलिस प्रशासन के सारे दावे खुद ही फेल होकर रह गए। रविवार को जंतर-मंतर पर पहुंचकर दलित संगठनों के हजारों कार्यकर्ताओं के बीच शोषण के खिलाफ न केवल इन लोगों ने आवाज उठाई बल्कि जेल से भेजी गई चंद्रशेखर की लिखी चिट्ठी भी माईक पर समूह के बीच पढ़कर सुनाई गई।

दो दिन पहले हुए थे अंडरग्राउंड

दो दिन पहले हुए थे अंडरग्राउंड

रविवार को जंतर-मंतर पर पहुंचकर धरना-प्रदर्शन और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने का भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर की मां कमलेश और उसके दोनों भाइयों द्वारा विभिन्न दलित संगठनों के साथ मिलकर आह्वान किया गया था। इसे रोकने को शासन-प्रशासन अपनी कमर कसे था। जनपद में चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स लगाई गई थी, जिससे दिल्ली कूच को रोका जा सके। मगर रणनीति के तहत दो-तीन दिन पहले ही चंद्रशेखर की मां कमलेश इसके दोनों पुत्र कमल किशोर और भगत सिंह तथा दलित संगठनों से जुड़े मुख्य पदाधिकारी भूमिगत हो गए थे और रविवार को यह जंतर-मंतर पर कार्यक्रम के मंच पर नजर आए।

चंद्रशेखर ने जेल से लिखी चिठ्ठी

चंद्रशेखर ने जेल से लिखी चिठ्ठी

इन लोगों ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई, वही जेल से चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की लिखी भेजी गई चिट्ठी भी माईक पर पढ़कर सुनाई गई। इसमें चंद्रशेखर ने लिखा था कि वह बाबा भीमराव अंबेडकर के सपनों के भारत का निर्माण करेगा। आगे लिखा था कि गोरे अंग्रेज चले गए, मगर काले अंग्रेज अभी भी देश में मौजूद है और दलित समाज के जो लोग आवाज उठाते है, तो उन्हें झूठे मुकदमें दर्ज कर जेल में बंद कर दिया जाता है। महिलाओं से उनके पक्ष की बात नहीं की जाती। न हीं दलित को आवाज उठाने दी जा रही है। दलितों का उत्पीड़न हो रहा है। पूरा मामला अंधेर नगरी चौपट राजा जैसा होकर रह गया है। चंद्रशेखर ने आगे लिखा था कि जेल जाने से उसका हौंसला टूटा नहीं है। जेल की तनहाई में वह और अधिक मजबूत हुआ है। जेल से छूटने के बाद बाहर आकर दबे-कुचले लोगों की आवाज उठाएगा।

'जेल से बाहर रहकर क्या करता'

'जेल से बाहर रहकर क्या करता'

उसने आगे लिखा कि भीम आर्मी से जुड़े भाइयों को जब जेल भेज दिया गया, तो उसने भी खुद को यही सोचकर गिरफ्तार करा दिया कि बाहर रहकर वह भी क्या करेगा। जिन लोगों की लड़ाई में लड़ रहा है, जब उन्हें ही जेलों में बंद किया जा रहा है, तो उसे भी बंद किया जाए। उसने आगे लिखा था कि पंजाब के लोगों का उसे भरपूर प्यार मिला है, इसके लिए वह इनका धन्यवाद करता है। अंत में उसने लिखा कि आप सबका भाई, आप सब का बेटा चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण। इस तरह से जंतर-मंतर पर रविवार को तय कार्यक्रम के अनुसार ही धरना-प्रदर्शन और शोषण के खिलाफ जहां भीम आर्मी और उससे जुड़े विभिन्न संगठनों ने आवाज उठाई, वही पुलिस की सारी कवायद फेल होकर रह गई ।

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English summary
bhim army founder chandrasekhar's brother and mom did a rally at jantar mantar
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