यूपी विधानसभा चुनाव 2017: पढ़िए बरेली के बीजेपी प्रत्याशियों की पूरी राजनीतिक कुंडली
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा हाईकमान ने बरेली के भाजपा उम्मदीवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है।
बरेली।
उत्तर
प्रदेश
में
विधानसभा
चुनाव
के
लिए
भाजपा
हाईकमान
ने
बरेली
के
भाजपा
उम्मदीवारों
की
पहली
लिस्ट
जारी
कर
दी
है।
इस
लिस्ट
में
तीन
वर्तमान
विधायक
के
साथ
दो
नए
उम्मीदवारों
को
मैदान
पर
उतारा
गया
है।
वहीं,
फरीदपुर
सुरक्षित
सीट
शिक्षक
नेता
डॉक्टर
श्याम
बिहारी
लाल
को
उतारा
है।
उनका
मुख्य
रूप
से
मुकाबला
सपा
और
बसपा
के
प्रत्याशी
से
होगा।
ये
भी
पढ़ें:
दावेदार
को
टिकट
ना
मिलने
पर
भाजपा
कार्यकर्ताओं
ने
काटा
बवाल,
जलाया
पार्टी
का
झंडा
बरेली
से
कौन-कौन
ठोकेगा
अपनी
दावेदारी:
आंवला- धर्मपाल सिंह
धर्मपाल
सिंह:
कई
चुनाव
लड़
चुके
हैं
वर्तमान
में
आंवला
से
विधायक
हैं।
धर्मपाल
आंवला
क्षेत्र
से
तीन
बार
विधायक
रह
चुके
हैं।
साथ
ही
उन्हें
कल्याण
सरकार
में
मंत्री
बनने
का
मौका
मिल
चुका
है।
धर्मपाल
के
बारे
में
कहा
जाता
है
कि
उन्होंने
ब्लॉक
स्तर
से
अपनी
राजनीति
शुरू
की
है।
वे
हमेशा
जनता
के
साथ
जुड़े
रहते
हैं।
खूबियां:धर्मपाल
की
सबसे
बड़ी
खासियत
यह
है
वह
अपने
क्षेत्र
की
जनता
से
हमेशा
जुड़े
रहते
हैं।
वह
सज्जन
होने
के
साथ
बढ़िया
वक्ता
भी
हैं।
खामियां:धर्मपाल
की
सबसे
बड़ी
खामी
यह
मानी
जाती
है
उनके
विधानसभा
में
अपार
संभावना
होने
के
वाबजूद
कोई
बड़े
काम
नहीं
हुए
हैं।
लोग
अपनी
रोजी
रोटी
के
लिए
दिल्ली
की
और
देखते
हैं।
शहर विधानसभा- डॉक्टर अरुण कुमार वर्मा
डॉक्टर
अरुण
कुमार
वर्तमान
विधायक
है।
वे
सपा
से
वर्ष
2007
में
अपना
भाग्य
आजमा
चुके
हैं।
लेकिन
उनको
निराशा
ही
हाथ
लगी
है।
2012
में
उन्होंने
भाजपा
का
दामन
थामा
और
इसी
वर्ष
उन्हें
विधायक
बनने
का
मौका
मिला।
डॉक्टर
अरुण
पेशे
से
बच्चों
के
डॉक्टर
हैं
और
शहर
में
अपना
अस्पताल
चलाते
हैं।
खूबियां:
डॉक्टर
अरुण
की
सबसे
बड़ी
खूबी
यह
भी
कायस्थ
समाज
से
है।
जानकारों
के
अनुसार
डॉक्टर
अरुण
सज्जन
होने
के
साथ
व्यवहार
कुशल
है।
खामियां:
डॉक्टर
अरुण
की
खामियां
यह
है
उन्होंने
कोई
ऐसा
काम
नहीं
किया
जिससे
जनता
उन्हें
याद्
रख
सके
।
वहीं,
डॉक्टर
अरुण
के
बारे
में
यह
भी
कहा
जाता
है
कि
वह
एक
कुशल
डॉक्टर
तो
है
लेकिन
एक
राजनेता
होने
के
गुण
नहीं
हैं।
बहेड़ी सीट- छत्रपाल गंगवार
छत्रपाल
गंगवार
बहेड़ी
सीट
से
पूर्व
विधायक
रह
चुके
हैं।
वर्ष
2007
में
छत्रपाल
ने
सपा
के
अंजुम
रशीद
को
हराया
था।
वहीं,
2012
के
चुनाव
में
छत्रपाल
सपा
उम्मीदवार
अताउर
रहमान
से
18
वोटों
से
हार
गए
थे।
छत्रपाल
आरएसएस
से
तालुक
रखते
हैं।
वे
आरएसएस
के
प्रचारक
रहे
हैं।
वर्तमान
में
वे
बहेड़ी
के
धनी
राम
इंटर
कॉलेज
में
प्रधानाचार्य
हैं।
खूबियां:
जनता
की
समस्या
को
सुनने
के
साथ
हमेशा
जनता
के
बीच
खड़े
मिलते
हैं।
छत्रपाल
साथ
ही
हंसमुख
स्वभाव
के
साथ
अच्छे
वक्ता
हैं।
खामियां:
छत्रपाल
के
बारे
में
कहा
जाता
है
कि
वे
अधिकारियों
से
काम
नहीं
ले
पाते
हैं
और
आरएसएस
के
आदमी
होने
के
चलते
उन्हें
केवल
हिन्दू
समाज
का
वोट
ही
मिल
पाता
है।
भोजीपुरा- बहोरन लाल मौर्या
बहोरन
मौर्या
भाजपा
से
पहले
हाथी
की
सवारी
कर
चुके
हैं
साथ
में
जिले
से
तीन
बार
विधायक
भी
रह
चुके
हैं।
वर्तमान
में
इस
सीट
पर
आईएमसी
के
शहजिल
इस्लाम
का
कब्ज़ा
है।
वह
कल्याण
सरकार
में
मंत्री
रह
चुके
हैं।
खूबियां: बहोरन लाल के बारे में जानकर कहते हैं कि वे कड़क स्वभाव के होने के बावजूद वे जनता से जुड़े रहते हैं।
खामियां: वह कभी अपने क्षेत्र में विकास नहीं करा पाए हैं। वे हमेशा बड़े नेताओं के पीछे घूमते नज़र आते हैं।
मीरगंज- डीसी वर्मा
डीसी
वर्मा
का
इस
बार
तीसरा
चुनाव
है।
वे
एक
बार
बीएसपी
से
एक
बार
भाजपा
से
चुनाव
लड़
चुके
हैं।
हर
बार
वह
इस
सीट
से
हारे
हैं।
डीसी
वर्मा
के
बारे
में
कहा
जाता
है
कि
वे
भाजपा
के
सबसे
कमजोर
नेता
हैं।
वे
राजनीति
में
आने
से
पहले
एक
पशु
चिकित्सक
थे।
उनकी
पत्नी
जीआईटी
में
शिक्षक
के
पद
पर
तैनात
हैं।
खूबियां:
डीसी
वर्मा
जमीनी
नेता
होने
के
साथ
सज्जन
और
व्यवहारिक
हैं।
खामियां:
डीसी
वर्मा
अच्छे
वक्ता
नहीं
हैं।
उनके
क्षेत्र
में
उनके
समर्थक
कम
पार्टी
के
ज्यादा
हैं।
बिथरी चैनपुर- राजेश कुमार मिश्रा
राजेश
कुमार
पहली
बार
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
यहां
पर
त्रिकोणनीय
मुकाबला
है।
इस
सीट
पर
बीएसपी
की
दावेदारी
सबसे
ज्यादा
है।
खूबियां:
राजेश
अच्छे
वक्त्ता
के
साथ
कुशल
राजनेता
हैं।
वे
आसानी
से
जनता
को
मिल
जाते
हैं।
साथ
ही
केंद्रीय
मंत्री
संतोष
गंगवार
से
विशेष
आशीर्वाद
प्राप्त
हैं।
खामियां:
राजेश
मिश्रा
की
खामी
यह
है
कि
उन्हें
भाजपा
में
कम
लोग
जानते
हैं।
फरीदपुर- श्याम बिहारी लाल
श्याम
बिहारी
लाल
इस
सीट
से
पहले
भी
दावेदारी
कर
चुके
हैं।
वे
इस
सीट
से
दूसरी
बार
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
वे
वर्तमान
में
भाजपा
के
प्रवक्ता
भी
हैं।
वे
विद्यार्थी
परिषद्
से
जुड़े
रहे
हैं।
खूबियां:
वे
अच्छा
बोलने
के
साथ
संपन्न
हैं।
वे
संगठन
में
अच्छी
छवि
रखते
हैं।
खामियां:
वे
अच्छे
प्रवक्ता
है
लेकिन
हाजिर
जवाब
नहीं
है।
वे
पार्टी
के
निचले
स्तर
के
कार्यक्रम
में
शामिल
नहीं
होते।
ये
भी
पढ़ें:उत्तर
प्रदेश
चुनाव:
आचार
संहिता
तोड़ने
में
बरेली
सबसे
आगे!