भोजीपुरा विधानसभा सीट पर नहीं रहा कभी एक पार्टी का कब्जा, ये है खास वजह
बरेली की नौ विधानसभा में से एक है भोजीपुरा विधानसभा। इस विधानसभा की ख़ास बात यह है कि इस विधानसभा सीट पर कभी किसी एक पार्टी का कब्जा नहीं रहा।
बरेली। भोजीपुरा विधानसभा बरेली की नौ विधानसभा में से एक है। इसकी ख़ास बात यह है कि ये विधानसभा एनएच 24, पीलीभीत रोड और नैनीताल रोड के आस पास बसी हुई है। धौराटांडा, रिठौरा, देवरनिया, शेरगढ़ नगर पंचायत और भोजीपुरा ब्लॉक को बनाकर बनी इस विधानसभा में करीब 250 ग्राम पंचायतें आती हैं। मूल रूप से यहां के लोग खेती पर ही निर्भर हैं। इस इलाके में अनाज और गन्ने की खेती होती है। भोजीपुरा विधानसभा से अखिलेश यादव ने एक बार फिर से षाजिल इस्लाम पर भरोसा जताया है और उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं, भोजीपुरा विधानसभा से बसपा ने सुलेमान बेग को चुनावी मैदान में उतारा है।
ग्रामीण
इलाकों
में
नहीं
आई
कभी
विकास
की
लहर
भोजिपुरा
विधानसभा
क्षेत्र
के
कस्बाई
इलाकों
में
तो
विकास
दिखता
है
लेकिन
ग्रामीण
इलाके
अभी
भी
विकास
के
लिए
तरस
रहे
हैं।
ग्रामीण
इलाकों
में
सड़क
और
बिजली
सबसे
बड़ी
समस्या
है।
शिक्षा
के
क्षेत्र
में
भी
इलाका
पिछड़ा
हुआ
है।
विधानसभा
क्षेत्र
में
तीन-तीन
हाइवे
होने
के
कारण
निजी
मेडिकल
कॉलेज
और
इंजीनियरिंग
कॉलेज
तो
खुल
गए
हैं
लेकिन
उच्च
सरकारी
शिक्षण
संस्थाओं
का
आभाव
है।
बारिश
के
दिनों
में
भी
यहां
के
ग्रामीणों
को
बाढ़
की
समस्या
से
निपटना
पड़ता
है।
विधानसभा
क्षेत्र
में
तीन-तीन
पावर
हाउस
होने
के
बाद
भी
लोगों
को
बिजली
की
किल्लत
का
सामना
करना
पड़ता
हैं।
इनके
बीच
होगा
मुकाबला
शहजिल
इस्लाम
(सपा
उम्मीदवार
एवं
पूर्व
मंत्री
)
सुलेमान
बेग
(बसपा
उम्मीदवार
)
बोहरन
लाल
मौर्या
(भाजपा
)
भोजीपुरा
विधानसभा
का
राजनीतिक
इतिहास
बरेली
की
नौ
विधानसभा
में
से
एक
है
भोजीपुरा
विधानसभा।
इस
विधानसभा
की
ख़ास
बात
यह
है
कि
इस
विधानसभा
सीट
पर
कभी
किसी
एक
पार्टी
का
कब्जा
नहीं
रहा।
लेकिन
इस
सीट
पर
आजादी
से
अब
तक
16
चुनाव
हुए
हैं
जिनमें
से
12
बार
कुर्मी
बिरादरी
के
प्रत्याशी
को
जीत
हासिल
हुई
है।
जबकि
तीन
बार
मुस्लिम
और
एक
बार
मौर्य
बिरादरी
के
प्रत्याशी
ने
जीत
हासिल
की
है।
इस
विधानसभा
में
कुर्मी
और
मुस्लिम
मतदाता
निर्याणक
भूमिका
निभाते
हैं।
1957
में
हुए
पहले
चुनाव
में
कांग्रेस
के
बाबूराम
ने
जीत
हासिल
की
थी।
लेकिन
1962
में
जनसंघ
के
हरीश
गंगवार
ने
कांग्रेस
के
बाबूराम
को
हरा
कर
सीट
जनसंघ
के
खाते
में
डाल
दी।
1967
तक
ये
सीट
हरीश
गंगवार
के
पास
ही
रही।
1969
में
हुए
चुनाव
में
कांग्रेस
ने
एक
बार
फिर
इस
सीट
पर
अपना
कब्जा
जमाया,
लेकिन
1974
में
भारतीय
जनसंघ
ने
फिर
सीट
अपने
नाम
कर
ली।
वहीं, 1977 में निर्दलीय हामिद रजा खान ने इस सीट पर जीत हासिल की। 1980 और 1985 में हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। जिसके बाद 1989 में कांग्रेस से ये सीट छीनने के बाद फिर कभी कांग्रेस का प्रत्याशी इस सीट पर चुनाव नहीं जीत पाया। 1989 में जनता दल के नागेन्द्र प्रताप ने यहां से चुनाव जीता। 1991 में रामंदिर आंदोलन का असर इस सीट पर भी देखने को मिला और भाजपा ने यहां पर पहली बार जीत हासिल की भाजपा से कुंवर सुभाष पटेल ने इस सीट पर जीत हासिल की लेकिन 1993 में सपा ने ये सीट भाजपा से छीन ली और हरीश कुमार गंगवार सपा से विधायक बने। जिसके बाद 1996 में बीजेपी के बहोरन लाल मौर्य जीते। 2002 में हुए चुनाव में एक बार फिर ये सीट बीजेपी के हाथों से छिन गयी और सपा के वीरेंद्र सिंह विधायक बने। 2007 में हुए चुनाव में बसपा ने भी इस सीट पर अपनी मौजूदगी दिखाई और शहजिल इस्लाम बसपा से विधायक बने। जिसके बाद 2012 के चुनाव में शहजिल बसपा छोड़ आईएमसी से शामिल हो गए और एक बार फिर सीट से विधायक चुने गए। शहजिल ने 32.55 प्रतिशत वोट हासिल कर सपा के वीरेंद्र सिंह गंगवार को 18 हजार मतों से हराया। मौजूदा समय में इस सीट से शहजिल इस्लाम विधायक हैं और आईएमसी छोड़ साईकिल पर सवार हैं।
1957
में
कांग्रेस
के
बाबूराम
ने
पीएसपी
के
जयदेव
को
हराया
1962
में
जनसंघ
के
हरीश
कुमार
गंगवार
ने
कांग्रेस
के
बाबूराम
को
हराया
1967
में
भारतीय
जनसंघ
के
हरीश
कुमार
गंगवार
ने
कांग्रेस
के
भानूप्रताप
सिंह
को
पराजित
किया
1969
में
कांग्रेस
के
भानुप्रताप
सिंह
ने
भारतीय
जनसंघ
के
हरीश
गंगवार
को
हराया
1974
में
भारतीय
जनसंघ
के
हरीश
गंगवार
ने
एनसीओ
के
रहमत
अली
खान
को
पराजित
किया
1977
में
निर्दलीय
हामिद
रजा
खान
ने
कांग्रेस
के
भानुप्रताप
सिंह
को
हराया
1980
में
कांग्रेस
के
भानुप्रताप
सिंह
ने
बीजेपी
के
संतोष
गंगवार
को
हराया
1985
में
कांग्रेस
के
नरेंद्र
पाल
सिंह
ने
निर्दलीय
हामिद
रजा
खान
को
हराया
1989
में
जनता
दल
के
नरेंद्र
पाल
सिंह
ने
निर्दलीय
शाजिद
रजा
खान
को
पराजित
किया।
1991
में
बीजेपी
के
कुंवर
सुभाष
पटेल
ने
जनता
पार्टी
के
मोहम्मद
फारुख
को
हराया
1993
में
सपा
के
हरीश
गंगवार
ने
बीजेपी
के
सुभाष
पटेल
को
पराजित
किया।
1996
बीजेपी
के
बहोरन
लाल
मौर्य
ने
कांग्रेस
के
भानुप्रताप
सिंह
को
हराया
2002
में
सपा
के
वीरेंद्र
सिंह
गंगवार
ने
बीएसपी
के
अब्दुल
कादिर
को
पराजित
किया।
2007
बीएसपी
के
शहजिल
इस्लाम
ने
बीजेपी
के
बहोरन
लाल
मौर्य
को
हराया
2012
में
आईएमसी
के
शहजिल
इस्लाम
ने
सपा
के
वीरेंद्र
सिंह
गंगवार
को
हराया।
4
लाख
से
ज्यादा
है
आबादी
भोजीपुरा
विधानसभा
की
आबादी
चार
लाख
से
ज्यादा
हैं
जिसमे
लगभग
3
लाख
46
हजार
535
मतदाता
हैं
कुल
मतदाता-
3,46,535
पुरुष
मतदाता-
1,89,013
महिला
मतदाता-
1,57,513
अन्य-
09
मुस्लिम
90
हजार
कुर्मी
75
हजार
एससी
30
हजार
यादव
15
हजार
मौर्य
15
हजार
कश्यप
10
हजार
साहू
12
हजार
लोध
किसान
15
हजार
ब्राह्मण
05
हजार
ठाकुर
06
हजार
जाट
04
हजार
क्षेत्र
के
प्रमुख
स्थान
भोजीपुरा
विधानसभा
क्षेत्र
में
एसआरएमएस
मेडिकल
कालेज,
सेमीखेड़ा
चीनी
मिल
और
भोजीपुरा
इंडस्ट्रियल
एरिया
,
भोजीपुरा
जंक्शन।
बता
दें
कि
जनता
के
आशीर्वाद
से
दस
वर्ष
से
विधायक
शहजिल
इस्लाम
2007
में
बसपा
के
टिकट
पर
चुनाव
लड़
जीते
और
प्रदेश
सरकार
में
मंत्री
भी
बने
उसके
बाद
2012
के
चुनाव
में
आईएमसी
से
लड़कर
जीते
और
सपा
में
शामिल
हो
गए।
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घास
के
नाम
पर
है
यह
विधानसभा
सीट,
जानिए
यहां
का
चुनावी
गणित