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भोजीपुरा विधानसभा सीट पर नहीं रहा कभी एक पार्टी का कब्जा, ये है खास वजह

बरेली की नौ विधानसभा में से एक है भोजीपुरा विधानसभा। इस विधानसभा की ख़ास बात यह है कि इस विधानसभा सीट पर कभी किसी एक पार्टी का कब्जा नहीं रहा।

By Arvind Kumar
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बरेली। भोजीपुरा विधानसभा बरेली की नौ विधानसभा में से एक है। इसकी ख़ास बात यह है कि ये विधानसभा एनएच 24, पीलीभीत रोड और नैनीताल रोड के आस पास बसी हुई है। धौराटांडा, रिठौरा, देवरनिया, शेरगढ़ नगर पंचायत और भोजीपुरा ब्लॉक को बनाकर बनी इस विधानसभा में करीब 250 ग्राम पंचायतें आती हैं। मूल रूप से यहां के लोग खेती पर ही निर्भर हैं। इस इलाके में अनाज और गन्ने की खेती होती है। भोजीपुरा विधानसभा से अखिलेश यादव ने एक बार फिर से षाजिल इस्लाम पर भरोसा जताया है और उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं, भोजीपुरा विधानसभा से बसपा ने सुलेमान बेग को चुनावी मैदान में उतारा है।

भोजीपुरा विधानसभा सीट पर नहीं रहा कभी एक पार्टी का कब्जा, ये है खास वजह

ग्रामीण इलाकों में नहीं आई कभी विकास की लहर
भोजिपुरा विधानसभा क्षेत्र के कस्बाई इलाकों में तो विकास दिखता है लेकिन ग्रामीण इलाके अभी भी विकास के लिए तरस रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में सड़क और बिजली सबसे बड़ी समस्या है। शिक्षा के क्षेत्र में भी इलाका पिछड़ा हुआ है। विधानसभा क्षेत्र में तीन-तीन हाइवे होने के कारण निजी मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज तो खुल गए हैं लेकिन उच्च सरकारी शिक्षण संस्थाओं का आभाव है। बारिश के दिनों में भी यहां के ग्रामीणों को बाढ़ की समस्या से निपटना पड़ता है। विधानसभा क्षेत्र में तीन-तीन पावर हाउस होने के बाद भी लोगों को बिजली की किल्लत का सामना करना पड़ता हैं।

इनके बीच होगा मुकाबला
शहजिल इस्लाम (सपा उम्मीदवार एवं पूर्व मंत्री )
सुलेमान बेग (बसपा उम्मीदवार )
बोहरन लाल मौर्या (भाजपा )

भोजीपुरा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
बरेली की नौ विधानसभा में से एक है भोजीपुरा विधानसभा। इस विधानसभा की ख़ास बात यह है कि इस विधानसभा सीट पर कभी किसी एक पार्टी का कब्जा नहीं रहा। लेकिन इस सीट पर आजादी से अब तक 16 चुनाव हुए हैं जिनमें से 12 बार कुर्मी बिरादरी के प्रत्याशी को जीत हासिल हुई है। जबकि तीन बार मुस्लिम और एक बार मौर्य बिरादरी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। इस विधानसभा में कुर्मी और मुस्लिम मतदाता निर्याणक भूमिका निभाते हैं। 1957 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के बाबूराम ने जीत हासिल की थी। लेकिन 1962 में जनसंघ के हरीश गंगवार ने कांग्रेस के बाबूराम को हरा कर सीट जनसंघ के खाते में डाल दी। 1967 तक ये सीट हरीश गंगवार के पास ही रही। 1969 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर अपना कब्जा जमाया, लेकिन 1974 में भारतीय जनसंघ ने फिर सीट अपने नाम कर ली।

वहीं, 1977 में निर्दलीय हामिद रजा खान ने इस सीट पर जीत हासिल की। 1980 और 1985 में हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। जिसके बाद 1989 में कांग्रेस से ये सीट छीनने के बाद फिर कभी कांग्रेस का प्रत्याशी इस सीट पर चुनाव नहीं जीत पाया। 1989 में जनता दल के नागेन्द्र प्रताप ने यहां से चुनाव जीता। 1991 में रामंदिर आंदोलन का असर इस सीट पर भी देखने को मिला और भाजपा ने यहां पर पहली बार जीत हासिल की भाजपा से कुंवर सुभाष पटेल ने इस सीट पर जीत हासिल की लेकिन 1993 में सपा ने ये सीट भाजपा से छीन ली और हरीश कुमार गंगवार सपा से विधायक बने। जिसके बाद 1996 में बीजेपी के बहोरन लाल मौर्य जीते। 2002 में हुए चुनाव में एक बार फिर ये सीट बीजेपी के हाथों से छिन गयी और सपा के वीरेंद्र सिंह विधायक बने। 2007 में हुए चुनाव में बसपा ने भी इस सीट पर अपनी मौजूदगी दिखाई और शहजिल इस्लाम बसपा से विधायक बने। जिसके बाद 2012 के चुनाव में शहजिल बसपा छोड़ आईएमसी से शामिल हो गए और एक बार फिर सीट से विधायक चुने गए। शहजिल ने 32.55 प्रतिशत वोट हासिल कर सपा के वीरेंद्र सिंह गंगवार को 18 हजार मतों से हराया। मौजूदा समय में इस सीट से शहजिल इस्लाम विधायक हैं और आईएमसी छोड़ साईकिल पर सवार हैं।

1957 में कांग्रेस के बाबूराम ने पीएसपी के जयदेव को हराया
1962 में जनसंघ के हरीश कुमार गंगवार ने कांग्रेस के बाबूराम को हराया
1967 में भारतीय जनसंघ के हरीश कुमार गंगवार ने कांग्रेस के भानूप्रताप सिंह को पराजित किया
1969 में कांग्रेस के भानुप्रताप सिंह ने भारतीय जनसंघ के हरीश गंगवार को हराया
1974 में भारतीय जनसंघ के हरीश गंगवार ने एनसीओ के रहमत अली खान को पराजित किया
1977 में निर्दलीय हामिद रजा खान ने कांग्रेस के भानुप्रताप सिंह को हराया
1980 में कांग्रेस के भानुप्रताप सिंह ने बीजेपी के संतोष गंगवार को हराया
1985 में कांग्रेस के नरेंद्र पाल सिंह ने निर्दलीय हामिद रजा खान को हराया
1989 में जनता दल के नरेंद्र पाल सिंह ने निर्दलीय शाजिद रजा खान को पराजित किया।
1991 में बीजेपी के कुंवर सुभाष पटेल ने जनता पार्टी के मोहम्मद फारुख को हराया
1993 में सपा के हरीश गंगवार ने बीजेपी के सुभाष पटेल को पराजित किया।
1996 बीजेपी के बहोरन लाल मौर्य ने कांग्रेस के भानुप्रताप सिंह को हराया
2002 में सपा के वीरेंद्र सिंह गंगवार ने बीएसपी के अब्दुल कादिर को पराजित किया।
2007 बीएसपी के शहजिल इस्लाम ने बीजेपी के बहोरन लाल मौर्य को हराया
2012 में आईएमसी के शहजिल इस्लाम ने सपा के वीरेंद्र सिंह गंगवार को हराया।

4 लाख से ज्यादा है आबादी
भोजीपुरा विधानसभा की आबादी चार लाख से ज्यादा हैं जिसमे लगभग 3 लाख 46 हजार 535 मतदाता हैं

कुल मतदाता- 3,46,535
पुरुष मतदाता- 1,89,013
महिला मतदाता- 1,57,513
अन्य- 09

मुस्लिम 90 हजार
कुर्मी 75 हजार
एससी 30 हजार
यादव 15 हजार
मौर्य 15 हजार
कश्यप 10 हजार
साहू 12 हजार
लोध किसान 15 हजार
ब्राह्मण 05 हजार
ठाकुर 06 हजार
जाट 04 हजार

क्षेत्र के प्रमुख स्थान
भोजीपुरा विधानसभा क्षेत्र में एसआरएमएस मेडिकल कालेज, सेमीखेड़ा चीनी मिल और भोजीपुरा इंडस्ट्रियल एरिया , भोजीपुरा जंक्शन। बता दें कि जनता के आशीर्वाद से दस वर्ष से विधायक शहजिल इस्लाम 2007 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ जीते और प्रदेश सरकार में मंत्री भी बने उसके बाद 2012 के चुनाव में आईएमसी से लड़कर जीते और सपा में शामिल हो गए। ये भी पढ़ें: बहेड़ी: घास के नाम पर है यह विधानसभा सीट, जानिए यहां का चुनावी गणित

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English summary
bareilly bhojipura assembly no political party rule continue in uttar pradesh.
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