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बहेड़ी: घास के नाम पर है यह विधानसभा सीट, जानिए यहां का चुनावी गणित

यूपी के बरेली जिले की नौ विधानसभाओं में से एक बहेड़ी विधानसभा सीट है। बरेली की यह विधानसभा सीट पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र का भी हिस्सा है।

By Arvind Kumar
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बरेली। यूपी के बरेली जिले की नौ विधानसभाओं में से एक बहेड़ी विधानसभा सीट है। बरेली की यह विधानसभा सीट पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। हिमालयी क्षेत्र का तराई इलाका बहेड़ी अपनी उपजाऊ जमीन के कारण कृषि की अपार सम्भावनाओं से घिरा है। यहा की दोमट मिट्टी में गन्ने की पैदावार पूरे बरेली जिले में सबसे ज्यादा होती है। उपजाऊ भूमि होने के कारण कुमाउ मण्डल यानि कूर्माचल क्षेत्र में गिने जाने वाले बहेड़ी की नगरीय संरचना रामपुर के नवाबी दौर में रखी गयी थी और तब यह तत्कालीन मुस्तफाबाद में शामिल था। इसलिए यहा के मुसलमानों में ज्यादातर रूहेला पठान, तुर्क और शाह जाति के लोग ज्यादा हैं। दलदल इलाके में मिलने वाली बहेड़ा घास के उत्पादन के चलते इस जगह का नाम बहेड़ी रखा गया।

बहेड़ी सीट पर मुख्य मुकाबला
अताउर रहमान ( वर्तमान विधायक समाजवादी पार्टी )
छत्रपाल (भाजपा पूर्व विधायक )
नसीम अहमद (बसपा )

प्रत्याशियों की लिस्ट
बहेड़ी विधानसभा से नसीम अहमद को बसपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है। बहेड़ी विधानसभा से अखिलेश यादव ने वर्तमान में विधायक अताउर रहमान को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। बीजेपी ने अपना प्रत्याशी क्षत्रपाल को घोषित किया है, छत्रपाल पिछले चुनाव में 18 वोट से अताउर रहमान से हार गए थे।

62 फीसदी मुसलमान की आबादी वाला क्षेत्र
रेली के उत्तर पश्चिम दिशा के इस क्षेत्र में बंटवारे के समय पंजाब और हरियाणा से पलायन कर आये जाट और सिख आज यहां के सम्पन्न किसानों में गिने जाते हैं। नगरपालिका बहेड़ी क्षेत्र में 62 फीसदी मुसलमान आबादी है। यहां रिछा क्षेत्र में बने अरबी विश्वविद्यालय अलजामिया तुल क़ादिरया उर्दू, अरबी और फारसी तालीम का बड़ा इदारा है जहा देश भर से सुन्नी मुसलमान दीनी और दुनियावी तालीम लेते हैं। यूपी और उत्तराखण्ड के एक होने के समय बहेड़ी को कुमाऊ मण्डल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता था और तत्कालीन दौर में यह दोनों राज्यों के लिए व्यापार का बड़ा केन्द्र भी रहा लेकिन उत्तराखण्ड अलग होने का दंश बहेड़ी के व्यापारियों को झेलना पड़ा। बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र में बहेड़ी नगर पालिका, देवरनिया नगर पंचायत, रिछा नगरपंचायत, शेरगढ नगर पंचायत, और फरीदपुर नगर पंचायत की 385 ग्राम पंचायते शामिल हैं।

बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र की समस्याएं
बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र में नगरपालिका क्षेत्र के अलावा ज्यादातर इलाका कस्बाई या ग्रामीण है। जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले बरेली बहेड़ी मार्ग की लम्बे समय से चली आ रही बदहाली की सुध इस बार सपा सरकार ने ली और इसे फोरलेन हाईवे बनाकर स्थानीय जनता को बड़ी राहत दी। लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र के सम्पर्क मार्ग ज्यादातर बदहाल है और गॉव के विकास के लिए विधायक साहब ने कोई खास ध्यान नहीं दिया। उन पर पक्षपातपूर्ण विकास कार्य कराने के आरोप लगते आये हैं। सपा के विधायक होने के नाते बहेड़ी के नगर क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति संतोषजनक है । लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की जनता बिजली न मिलने से परेशान है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद यहॉ मदरसों के लिए पर्याप्त सुविधाऐं नहीं दी गयी है। उच्च शिक्षा के लिए यहॉ के छात्रों को बरेली जिला मुख्यालय का रूख करना होता है। एक मात्र केसर चीनी मिल से गन्ना उत्पादकों के लिए एक नयी आस जगी थी लेकिन समय पर गन्ना मूल्य भुगतान न होने से किसानों के मंसूबे भी धाराशाही हो गये।

नगर की समस्याओं पर नहीं है प्रशासन का कोई ध्यान
नगर क्षेत्र में नये पार्क, स्टेडियम आदि की मांग पर भी कभी विधायक साहब ने गौर नहीं किया। कई गांवों ऐसे हैं जहां जीत दर्ज कराने के बाद से विधायक ने वहां की सुध नहीं ली। नगर क्षेत्र की आसपास खोले गये अवैध स्लॉटर हाउस भी क्षेत्र की जनता के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। बहेड़ी क्षेत्र के आसपास खूंखार कुत्तों का आतंक रहता है और साल भर में ये कुत्ते अब तक सौ से ज्यादा लोगों शिकार बना चुके हैं जिनमें से तेरह की मौत भी हो चुकी है। व्यापक जनविरोध के बाद भी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया।

अस्पताल में नहीं है सुगम इलाज का प्रबंध
बहेड़ी से जोड़ने वाले शीशगढ, शेरगढ, रिठौरा, रिछा आदि मार्गों की हालत इतनी दयनीय है कि लोग यहा दिन में निकलना पसंद नहीं करते। इस क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग है जहां आये दिन दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। पूरे क्षेत्र में अच्छी चिकित्सा व्यवस्था का अभाव है। बहेड़ी सीएचसी पर मरीजों की बढ़ती तादात के बावजूद यहां डाक्टरों की कमी पर ध्यान नहीं दिया गया। ये तमाम वो क्षेत्रीय मुद्दे है जिनसे स्थानीय जनता प्रभावित रहती है। पार्टी की घोषणाओं के अलावा आगामी विधानसभा चुनाव में यह सारी समस्याऐं भी स्थानीय मतदाताओं पर असर डालेगें।

बहेड़ी विधानसभा का राजनैतिक इतिहास
बहेड़ी विधानसभा के लिए पहला निर्वाचन 1957 में हुआ था और लगातार तीन 1957 ,1962 और 67 में यह सीट इन्डियन नेशनल कॉग्रेस की झोली में रही। 1969 के चुनाव में यहां क्रॉति दल ने इस सीट पर कब्जा जमाया। 1974 और 1977 के चुनाव में यहॉ फिर से कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया। 1980 में अम्बा प्रसाद ने निर्दलीय चुनाव लड़कर बहेड़ी विधानसभा से प्रतिनिधित्व किया और फिर वह कांग्रेस में शामिल हो गये। 1985 का चुनाव अम्बा प्रसाद ने कांग्रेस के बैनर तले जीता। 1989 में मंजूर अहमद निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस के अम्बा प्रसाद की राजनैतिक पारी को उन्होने विराम दिया। 1991 के आम चुनाव में भाजपा से हरीश चन्द्र गंगवार ने यहां चुनावी समीकरण बदले और बहेड़ी विधासनभा क्षेत्र में कमल ने दस्तक दी। बाबरी विध्वंश के बाद बदले समीकरणों में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर चुके मंजूर अहमद ने 1993 में चुनाव जीता। 1996 के चनुाव में हरीश चन्द्र ने फिर वापसी की और भाजपा को जीत दिलाई। 2002 के आम चुनाव हुए जिसमें समाजवादी पार्टी से मंजूर अहमद ने एक बार फिर इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। यहां 2002 के अंत में विधानसभा के लिए उपचुनाव हुए और वर्तमान विधायक अताउर रहमान ने बसपा के बैनर तले चुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी की मुमताज जहां को चुनाव हराकर बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया। उपचुनाव के बाद फिर 2007 के चुनाव में भाजपा के छत्रपाल सिंह ने इस सीट को अपनी झोली में डाला। इस दौरान अता उर रहमान ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और 2012 का आम चुनाव साइकिल के बैनर तले लड़ा। उन्होने भाजपा के छत्रपाल सिंह को मात्र अठारह मतों से मात दी। इस जीत को क्षेत्रवासी आज भी संदेह की दृष्टि से देखते हैं। बताते हैं कि भाजपा की जिद पर पिछले चुनाव में दो बार रिकाउन्टिंग की गयी लेकिन नतीजा नहीं बदला। भाजपा के छत्रपाल सिंह अपनी हार पचा नहीं सके, उन्होने कोर्ट की शरण ली और आज भी यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है।


बहेड़ी विधानसभा

कुल मतदाता- 3,44,151
पुरुष मतदाता- 1,87,067
महिला मतदाता- 1,50,782
अन्य- 02

बहेड़ी विधानसभा-जातिगत आंकड़े
ब्राह्मण- 27 हजार
वैश्य- 23 हजार
मुस्लिम- 1लाख 20 हजार
कायस्थ- 08 हजार
सिंधी पंजाबी खत्री- 12 हजार
क्षत्रिय- 38 हजार
दलित- 30 हजार
यादव- 22 हजार
अन्य- 25,882

भाजपा 2012 के चुनाव में हार को पचा न सकी
2012 के चुनाव में कुल मतदाताओं में से 69 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया और मात्र 24 फीसदी वोट पाकर समाजवादी पार्टी के अताउर रहमान ने भाजपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंदी छत्रपाल सिंह को मात्र 18 वोटों से मात दी थी। जीत का इतना कम अन्तर क्षेत्र में चर्चा का विषय रहा था और भाजपा इस हार को पचा नहीं पायी। भाजपा प्रत्याशी छत्रपाल ने कोर्ट की शरण ली और यह मामला आज भी न्यायालय में विचाराधीन है। बहेड़ी सीट पर हर बार की तरह इस बार भी पार्टियों की नजर मुस़्लिम वोटों पर रहेगी। पार्टियॉ मतों के विभाजन के समीकरण पर अपने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे। ये भी पढे़ं: यूपी चुनाव: मुस्लिम और दलित वर्ग को साधने से ही मिलती है प्रदेश की सत्ता, आंकड़े हैं गवाह

Comments
English summary
bareilly bahedi assembly big battle between sp and bsp and bjp had lost from here in 2012.
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