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मोदी लहर के बावजूद पिता आजम खान से आगे निकल गए बेटे अब्दुल्ला

एक तरफ मुलायम की बहू अपर्णा चुनाव हारी हैं तो दूसरी तरफ तमाम कोशिशों के बावजूद सपा के कद्दावर नेता आजम खान रामपुर में अपनी ताकत का अहसास फिर से कराने में कामयाब रहे हैं।

By Rizwan
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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पांच साल पहले 224 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार पार्टी 47 पर सिमट गई है। सपा सरकार में मंत्री रहे कई नेता चुनाव हार गए हैं। यहां तक कि सपा के गढ़ में भी नतीजे चौंकाने वाले हैं। एक तरफ मुलायम की बहू अपर्णा यादव तक चुनाव हारी हैं तो दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों की तमाम कोशिशों के बावजूद सपा के कद्दावर नेता आजम खान रामपुर में अपनी ताकत का अहसास फिर से कराने में कामयाब रहे हैं बल्कि और ज्यादा मजबूत होकर उभरे हैं। वहीं उनके बेटे अब्दुल्ला उनसे भी आगे निकल गए हैं। आजम के मुकाबले उनके बेटे ज्यादा इंतर से जीते हैं।

भाजपा की लहर के बावजूद और मजबूत होकर उभरे आजम खान

इस बार आजम खान की प्रतिष्ठा दांव पर थी, इसकी दो वजह थीं। एक तो आजम को खुद अपनी रामपुर सीट को बचाना था, जहां से वो इससे पहले आठ बार विधायक बन चुके थे तो वहीं बेटे को पड़ोस की स्वार सीट से पहला इलेक्शन जिताने की भी उनको चुनौती थी। प्रदेश में भाजपा के पक्ष में हवा में भी आजम खान ने दिखा दिया कि रामपुर में उनकी पकड़ है। रामपुर में इस बार बसपा से तनवीर अहमद तो भाजपा से शिव बहादुर सक्सेना चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव के दौरान कई बार इस तरह की बातें सामने आई कि आजम की सीट मुश्किल में है। कहा गया कि भाजपा अपनी वोट बसपा को ट्रांसफर करा सकती है ताकि आजम हार जाएं। जब नतीजें आए तो सब बातें हवा-हवाई हो गईं। आजम ने अपनी सीट 46842 वोटों से जीती। आजम को 102,100 वोट मिले जबकि उनसे हारने वाले भाजपा उम्मीदवार शिव बहादुर सक्सेना को 55, 258 वोट मिले। वहीं बसपा को 54, 248 वोट मिले। आजम को 2012 में 95, 772 वोट मिले थे।

अब्दुल्ला को मिली आजम खान से बड़ी जीत
बेटे अब्दुल्ला आजम की सीट को भी आजम खान की प्रतिष्ठा से जोड़ा जा रहा था क्योंकि स्वार सीट नवाब काजिम अली खान का गढ़ मानी जाती रही है। नवाब काजिम के परिवार से आजम की तनातनी भी काफी पुरानी है। नवाब काजिम और भाजपा के लक्ष्मी सैनी दोनों ही कई दफा स्वार से विधायक रह चुके हैं, ऐसे में अब्दुल्ला का मुकाबला कड़ा माना जा रहा था। वहीं अब्दुल्ला राजनीति में एकदम नए हैं लेकिन वो पिता से बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रहे। कहा जा रहा था कि बसपा और सपा के मुस्लिम उम्मीदवार होने के चलते भाजपा को स्वार पर फायदा हो सकता है और अब्दुल्ला को हार का सामना करना पड़ सकता है लेकिन नतीजे आए तो सियासत में नए-नवेले अब्दुल्ला ने दोनों दिग्गजों को मात दे दी। एक तरफ जहां रामपुर सीट पर आजम खान को 102100 वोट मिले तो वहीं अब्दुल्ला को स्वार सीट पर 106443 वोट मिले। स्वार में दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के लक्ष्मी सैनी को 53347 वोट मिले। अब्दुल्ला ने 53096 वोटों से चुनाव जीता है। बसपा के काजिम खान को 42233 वोट मिले। स्वार सीट पर सभी विपक्षियों के वोट भी मिला लिए जाएं तो अब्दुल्ला के वोटों से कम हैं। बेटे की जीत के बाद माना जा रहा है कि आजम का कद रामपुर क्षेत्र में बढ़ा है।
पढ़ें- मुस्लिम उम्‍मीदवारों ने बचाई कैसे अखिलेश यादव और सपा की नाक!

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English summary
azam khan and his son abdullah won election
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