बैंक वाले, अपराधियों के साथ मिलकर लगा रहे एटीएम कार्ड यूज करने वालों को चूना
कानपुर। उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है जो बैंक के कर्मचारियों के साथ मिलकर एटीएम कार्ड का प्रयोग करने वाले लोगों को लाखों रुपए का चूना लगाता था।
उत्तर प्रदेश की स्पेशल टॉस्क फोर्स के मुताबिक इस गैंग ने फोन बैंकिंग सिस्टम में कमियों का फायदा उठाकर लोगों का लाखों रुपए का चूना लगाया।
यूपी की स्पेशल टॉस्क फोर्स के मुताबिक यह गैंग बहुत ही शातिर तरीके से बैंक के कर्मचारियों के साथ मिलकर काम करता था। बैंक के कर्मचारियों की मिलीभगत से बिना किसी का एटीएम कार्ड, पिन चुराए या फिर एटीएम ब्लॉक किए बिना ही अपने शातिर तरीकों से यह गैंग पैसे निकाल लेता था।
डेलीमेल की खबर के मुताबिक यह गैंग ऐसा तरीका अपनाता था कि किसी ग्राहक का एटीएम कार्ड इनके पास बिना उस ग्राहक को भनक लगे ही मिल जाता था। साथ ही जब वो इसमें से पैसे निकालते थे तो ग्राहक तक इसकी सूचना भी नहीं पहुंचती थी। बाद में जब ग्राहक अपना बैंक बैलेंस जानने जाता तो उसे पता चलता था कि वो ठगी का शिकार हो गया है।
रिजर्व बैंक के मुताबिक देश भर में 11,927 एटीएम, क्रेडिट, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग की ठगी के मामले सामने आए हैं।
हो
जाइए
सावधान,
आपभी
हो
सकते
हैं
शिकार
आइए
आपको
बताते
हैं
कि
कैसे
यह
गैंग
आपको
अपनी
ठगी
का
शिकार
बनाता
था।
उत्तर
प्रदेश
एसटीएफ
के
एसीपी
त्रिवेणी
सिंह
के
मुताबिक
हमें
अपनी
जांच
में
पता
चला
है
कि
बैंक
के
अधिकारी
खाता
धारक
की
जानकारी
स्क्रीन
शॉट
के
जरिए
व्हाट्स
ऐप
पर
गैंग
के
सदस्यों
को
भेज
दी
जाती
थी।
इस
जानाकरी
में
खाता
धारक
का
नाम,
उनकी
मां
का
नाम,
जन्मतिथि,
बैंक
में
बैलेंस
और
मोबाइल
नंबर
के
बारे
में
जानकारी
दी
जाती
थी।
बैंक
के
कर्मचारी
व्हाट्सऐप
से
भेजते
हैं
जानकारी
इतनी
जानकारी
के
जरिए
ही
यह
गैंग
किसी
को
भी
अपना
शिकार
बना
लेता
था।
इस
जानकारी
के
मिलते
ही
इस
गैंग
के
लोग
अपने
काम
में
लग
जाते
थे।
सबसे
पहले
वो
डेबिट
कार्ड
को
अपडेट
कराने
के
लिए
फोन
करते
थे।
उन्होंने
बताया
कि
फोन
बैंकिंग
में
यह
खामी
है
कि
अगर
कॉलर
ने
अपना
एटीएम
पिन
नहीं
डाला
है
तो
इससे
बावजूद
दोबारा
कस्टमर
केयर
एक्सक्यूटिव
के
पास
कॉलर
की
कॉल
चली
जाती
है।
इसके
बाद
सिस्टम
कॉलर
से
नौ
अंकों
वाला
रिफरेंस
नंबर
डालने
के
लिए
कहता
है।
इस
सिस्टम
की
खामी
है
कि
सिस्टम
किन्हीं
भी
नौ
अंकों
को
स्वीकार
कर
लेता
है।
जितनी
जल्दी
यह
नौ
नंबर
कॉलर
मोबाइल
पर
टाइप
करता
है
उतनी
ही
जल्दी
कस्टमर
केयर
एक्सक्यूटिव
कॉलर
से
उसकी
बेसिक
जानकारी
मांगता
है।
यह
जानकारी
गैंग
को
पहले
ही
स्क्रीनशॉट
के
रूप
में
बैंक
कर्मचारी
व्हाट्सऐप
कर
चुका
होता
है।
कोरियर
कंपनी
से
कहां
मांगते
हैं
कार्ड
इस
जानकारी
को
देने
के
बाद
एकाउंट
में
जमाराशि
के
आधार
पर
ग्राहक
के
कॉर्ड
को
अपग्रेड
करने
की
सुविधा
दी
जाती
है।
जैसे
ही
इस
कॉर्ड
को
अपग्रेड
करने
की
बात
कही
जाती
है
वैसे
ही
कस्टमर
केयर
एक्सक्यूटिव
इसको
अपनी
मंजूरी
दे
देता
है।
इस
कॉर्ड
को
अपग्रेड
करने
का
आवेदन
भेजने
के
कुछ
दिन
गैंग
के
लोग
फिर
से
बैंक
फोन
करते
हैं
और
बताते
हैं
कि
उन्हें
अभी
तक
उनक
कॉर्ड
और
पिन
नहीं
मिला
है।
इसके
बाद
कस्टमर
केयर
एक्सक्यूटिव
कुछ
सामान्य
जानकारी
पूछ
कर
कॉलर
को
यह
बता
देता
है
कि
किस
कोरियर
कंपनी
से
उनका
एटीएम
कॉर्ड
आ
रहा
है।
इसके बाद गैंग के लोग कोरियर कंपनी में फोन करके इस जल्द से जल्द एटीएम कॉर्ड और पिन देने के लिए दबाव बनाने लगते हैं। इसके बाद कोरियर कंपनी से अपनी बताई हुई जगह पर कार्ड मंगवा लेते हैं।
अब इस गैंग के पास एक नया एटीएम कॉर्ड और पिन होता है जिससे वो अपने मनमुताबिक पैसे निकाल लेते हैं। इसकी जानकारी खाता धारक को लग भी नहीं पाती है क्योंकि उन्होंने कॉर्ड को दूसरे मोबाइल नंबर से रजिस्टर्ड करवा लिया होता है।
गैंग
का
सरगना
हुआ
गिरफ्तार
यूपी
पुलिस
ने
बीते
बुधवार
को
कानपुर
से
इस
गैंग
के
सरगना
धीरज
निगम
को
गिरफ्तार
किया
है।
धीरज
पहले
दिल्ली
में
एक
डेबिट
कॉर्ड
उपलब्ध
कराने
वाली
कंपनी
के
साथ
काम
करता
था।
वो
इस
सिस्टम
से
पूरी
तरह
से
वाकिफ
था।
उन्होंने
कहा
कि
इस
मामले
में
हमने
तब
छानबीन
शुरु
की
थी।
जब
पुलिस
में
ऐसे
आधा
दर्जन
मामले
सामने
आए
और
उन्होंने
बताया
कि
कैसे
हमारे
20-24
लाख
रुपए
बैंकों
से
गायब
हो
गए।