VIDEO: कलेक्ट्रेट परिसर में अधिकारियों की गाड़ियां रोक आशाओं ने किया जोरदार प्रदर्शन
इसी दौरान जलालाबाद की आशा बहू शांति देवी बेहोश होकर गिर पड़ीं। इससे कुछ देर के लिए अफरातफरी फैल गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आगे नहीं बढ़ने दिया तो रास्ता जामकर अफसरों के वाहन रोक लिए गए।
कन्नौज। लंबित मांगों पर उग्र आशा बहुओं ने कलेक्ट्रेट में काफी देर तक हंगामा किया। प्रदर्शन व नारेबाजी के दौरान अफसरों के वाहन रोके। पुलिस से तीखी झड़प हुई। इस दौरान एक आशा बहू बेहोश भी हो गई। डीपीआरओ को गाड़ी छोड़कर पैदल लौटना पड़ा जबकि जिलाधिकारी को भी घेरने का प्रयास किया गया। तीन दिन से कलेक्ट्रेट परिसर में आशा कार्यकर्ता लंबित मांगों को लेकर प्रदर्शन व नारेबाजी कर रही हैं।
देखिए VIDEO...
शुक्रवार तक कोई सुनवाई न होने पर सभी भड़क गईं। दोपहर में अफसरों को कलेक्ट्रेट के बाहर वाहन लेकर नहीं निकलने दिया। जिलाधिकारी जगदीश प्रसाद निकले को हुए तो उनके घेराव की कोशिश की गई जिस पर पुलिस ने उन्हें रोका। काफी देर तक तीखी झड़प होती रही। सरायमीरा चौकी इंचार्ज अरिमर्दन सिंह से नोकझोंक होती रही। इसी दौरान जलालाबाद की आशा बहू शांति देवी बेहोश होकर गिर पड़ीं। इससे कुछ देर के लिए अफरातफरी फैल गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आगे नहीं बढ़ने दिया तो रास्ता जामकर अफसरों के वाहन रोक लिए गए।
कई अपर जिला अधिकारी, अतिरिक्त मजिस्ट्रेट और डीपीआरओ समेत कई अधिकारी कलेक्ट्रेट से बाहर नहीं निकल सके। नाराजगी देख डीपीआरओ गाड़ी छोड़कर पैदल लौट गए। काफी देर तक आशा बहुओं का जमावड़ा कलेक्ट्रेट में लगा रहा। अतिरिक्त मजिस्ट्रेट के आश्वासन पर जिलाधिकारी जगदीश प्रसाद को जाकर ज्ञापन दिया गया।
आशाओं की प्रमुख मांगें
- आशा बहुओं को राज्य कर्मचारी का दर्जा मिले।
- मानदेय कम से कम 18 हजार रुपए किया जाए।
- पेंशन व ग्रेच्युटी की सुविधा भी दिलाई जाए।
- एएनएम व जीएनएम प्रशिक्षण में 25 फीसद आरक्षण हो।
- बोनस व भविष्य निधि मिले, सामाजिक सुरक्षा दी जाए।
बरसात में भीगती रही आशा बहुओं को कमजोर न कर सकी पुलिस
कलेक्ट्रेट परिसर में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही आशा कार्यकर्ता जिस समय अधिकारियों की गाड़ियों का रास्ता रोके खड़ी थी उसी समय तेज बारिश होनी शुरू हो गई लेकिन बारिश के पानी में भी आशाएं अपनी जगह से हटी नहीं। इस दौरान पुलिस आशाओं को प्रदर्शन से हटाने का प्रयास भी कर रही थी लेकिन आशाएं अपनी मांग को लेकर बारिश में भीगती रहीं और प्रदर्शन कर पुलिस को ये अहसास दिलाती रही कि उनकी ताकत कमजोर नहीं है और उन्हें पुलिस के सहारे की जरूरत नहीं है।