योगी आदित्यनाथ के सीएम बनते ही मेरठ के कत्लखानों में रुका पशुओं का कटना
कमेला उन जगहों को कहा जाता है जहां भारी मात्री में पशुओं (खासकर गाय) को काटा जाता है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में यूपी से कमेले बंद कराने की बात कही थी।
मेरठ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही घोषणा पत्र का असर दिखाई देने लगा। जी हां शनिवार को इधर योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने का ऐलान हुआ तो उधर कमेलों में पशुओं का कत्ल बंद हो गया। शनिवार को मेरठ के कमेलों में पशुओं का कटान नहीं हो सका। इतना ही नहीं मांस की कंपनियों के बाहर पुलिस का कड़ा पहरा था। हालांकि इसे लेकर मांस कारोबारियों में खासा नाराजगी है लेकिन बीजेपी कार्यकर्ता खुशी मना रहे हैं।
आगे की बात करने से पहले आपको बता दें कि कमेला उन जगहों को कहा जाता है जहां भारी मात्री में पशुओं (खासकर गाय) को काटा जाता है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में यूपी से कमेले बंद कराने की बात कही थी। जिसपर असर शनिवार को दिन निकलते ही दिखने को मिला। जो पुलिस हिंदु संगठन कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के बाद भी कमेले बंद कराने और गौ हत्या करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती थी। वही पुलिस शनिवार हापुड़ रोड स्थित मांस की कंपनी यानी कमेलों के आसपास मंडराती नजर आयी। जानिए यूपी के नए सीएम योगी आदित्यनाथ का सुबह से लेकर शाम तक का डेली रूटीन
पुलिस के पहरे के चलते हापुड़ रोड स्थित कमेलों में न तो कोई पशु पहुंचा और न ही पशुओं का कटान हो सका। जिन कमेलों की नालियों में खून बहता था वह सूख गई। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शपथ ही ली थी कि पशु हत्यारों के होश उड़ने शुरू हो गए। उल्लेखनीय है कि मेरठ शहर में मांस की आपूर्ति के 300 से अधिक दुकानें हैं। नगर निगम ने मांस बेचने के लाइसेंस भी दिए हुए हैं। हालांकि लाइसेंस से अधिक दुकानों पर मांस की बिक्री होती है। शनिवार को मुस्लिम बाहुल्य जाकिर कालोनी, रशीद नगर, इस्लामाबाद, लिसाड़ी रोड, हापुड़ रोड आदि क्षेत्रों में इन दुकानों पर मांस नहीं दिखाई दिया।