ब्लड कैंसर से लड़ रहा सेना का जवान, पीएम से लगाई जिंदगी बचाने की गुहार
रमाशंकर पाल सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल के जवान हैं। उनको ब्लड कैंसर है लेकिन इलाज कराने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। पीएम मोदी से उन्होंने मदद की गुहार लगाई है।
वाराणसी। सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल के जवान रामशंकर पाल को ब्लड कैंसर है। बीएचयू में इनका मुकम्मल इलाज ना होने की वजह से रमाशंकर पाल को भदोही के एक निजी अस्पताल में ब्लड चढ़वाना पड़ रहा है। रमाशंकर पाल जौनपुर के रहनेवाले हैं। गरीबी के चलते इनका इलाज ठीक से नहीं हो पा रहा है, हलांकि डिपार्टमेन्ट ने इन्हें 50 हजार रुपये की मदद की पर इस भयंकर बीमारी का इलाज इतने में संभव नहीं है। अब रमाशंकर और उनके परिवार ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद लगा रखी है। परिजनों ने होम मिनिस्टर और पीएम से गुहार लगाई है कि वो इस बीमारी के इलाज में मदद करें ताकि रमाशंकर फिर से एक बार सीमा पर डट कर देश की सेवा कर सकें।
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आर्थिक तंगी के कारण नहीं पा रहा ठीक से इलाज
मूलतः जौनपुर के भौरासा गांव के रमाशंकर पाल 32वीं वाहिनी सशत्र सेना बल असम के हवली में पोस्टेड है। रमाशंकर पाल ने बताया कि 20 दिन पहले असम में मेरी तबियत खराब हुई थी। वहां से छुट्टी लेकर गांव आ गया। काफी इलाज करने के बाद भी ठीक नहीं हुआ तो परिवार के लोग दिल्ली के तक्षशिला हॉस्पिटल लेकर गए जहां पता चला कि मुझे ब्लड कैंसर है। वहां इलाज के लिये लगभग 2 लाख 11 हजार रुपये पहली बार में मांगा गया था। पैसा न होने के वजह से दो दिन पहले बीएचयू में एडमिट हुआ। यहां ब्लड कैंसर का इलाज न होने और पैसे की कमी के कारण छोटे से जिले भदोही में ब्लड चढ़ाने के लिए मुझे हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा।
रमाशंकर की माली हालत ठीक नहीं
रमांशकर ने oneindia को ये बताया कि उन्होंने 2013 में एसएसबी के माध्यम से देश की सेवा करने के लिए ज्वाइन किया और 2014 में जब ट्रेनिंग पूरी हो गयी तो ये असम चले गए। रमाशंकर के पिता मोनइ राम पाल किसान हैं और उनकी माली हालत ठीक नहीं है। अपने तीन भाइयों में रमाशंकर सबसे छोटे हैं। बीते 15 नवम्बर 2016 को जौनपुर के ही मड़ियाहू में उनकी शादी सुनीता से हुई है। परम्परा के अनुसार गौना ना होने के कारण अभी भी मायके में ही है।
'बेटा मर रहा है, कोई मदद नहीं कर रहा'
रमाशंकर पाल के पिता मोनइ राम पाल ने oneindia को बताया कि गरीबी के हालत में जैसे तैसे 4 बेटियों की शादी की पर अब पैसा ही नहीं बचा है कि बेटे का इलाज करा सकूं। रमाशंकर की माँ ने बताया कि एसएसबी में जाने के बाद जब बेटा सीमा पर देशवासियो की रक्षा कर रहा था तो गर्व से मेरा सीना चौड़ा हो गया था और जब इस बीमारी से आज तिल - तिल मर रहा हैं तो कोई मदद नहीं कर रहा।
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