इलाहाबाद: गठबंधन में फिर बड़ी रार, सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी आमने-सामने
कौशांबी जिले की चायल विधानसभा सीट भी सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिये चुनौती बन गई है। दोनों दलों के प्रत्याशियों का नामांकन वैध है और अब वे चुनाव मैदान में एक-दूसरे का आमना-सामना करेंगे।
इलाहाबाद। कौशांबी जिले की चायल विधानसभा सीट भी सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिये चुनौती बन गई है। दोनों दलों के प्रत्याशियों का नामांकन वैध है और अब वे चुनाव मैदान में एक-दूसरे का आमना-सामना करेंगे। इलाहाबाद की तीन सीटों की तरह यहां भी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता गठबंधन की स्थिति पर अचरज में हैं। मालूम हो कि कांग्रेस-सपा गठबंधन की ओर से तलत अजीम ने नामांकन किया था। बाद में रामयज्ञ द्विवेदी ने कांग्रेस की ओर से नामांकन कर सियासी बेचैनी बढ़ा दी। हालांकि इस मामले में दोनों दलों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। अलबत्ता पदाधिकारी व कार्यकर्ता नामांकन वापसी के दिन का इंतजार कर रहे हैं
कांग्रेस
लड़ेगी
इस
सीट
से
समाजवादी
पार्टी
और
कांग्रेस
गठबंधन
के
तहत
कौशांबी
की
चायल
विधानसभा
सीट
कांग्रेस
के
खाते
में
गई।
यहां
से
कांग्रेस
ने
28
जनवरी
को
दावेदार
रामयज्ञ
द्विवेदी
को
गठबंधन
का
प्रत्याशी
घोषित
कर
दिया।
रामयज्ञ
ने
तैयारी
भी
शुरू
कर
दी।
लेकिन
इसी
बीच
3
फरवरी
को
तलत
अजीम
के
रूप
में
सपा
ने
अपना
उम्मीदवार
भी
उतार
दिया।
नामांकन
के
आखिरी
दिन
उम्मीद
की
गई
थी
कि
कोई
एक
ही
पर्चा
दाखिल
करेगा।
लेकिन
दोनों
प्रत्याशी
कलेक्ट्रेट
ऑफिस
पहुंचे
और
नामांकन
कर
दिया।
दिलचस्प
बात
यह
रही
कि
रामयज्ञ
द्विवेदी
ने
जैसे
ही
नामांकन
पत्र
दाखिल
किया।
तुरंत
ही
समर्थकों
के
साथ
तलत
अजीम
भी
पहुंचे
और
गठबंधन
के
प्रत्याशी
के
रूप
में
पर्चा
दाखिल
कर
दिया
था।
अब
दोनों
प्रत्याशी
के
पर्चे
वैध
हैं।
ऐसे
में
यहां
से
चुनाव
कौन
लड़ेंगा
यह
असमंजस
बना
हुआ
है।
ब्राह्मण
का
वोट
बैंक
ज्यादा
है
यहां
चायल
रामयज्ञ
द्विवेदी
ब्राम्हण
वोट
बैंक
का
बड़ा
चेहरा
माने
जाते
हैं
और
उनके
सापेक्ष
तलक
को
टिकट
दिये
जाने
पर
ब्राह्मण
वर्ग
नाराज
है।
समर्थकों
का
कहना
है
कि
यदि
टिकट
काटना
ही
था
तो
घोषित
क्यों
किया?
उससे
अच्छी
तो
भाजपा
है
जिसने
इलाहाबाद
मंडल
मे
कम
से
कम
3
ब्राम्हणों
को
टिकट
दिया
है।
कम
से
कम
भाजपा
मे
येअच्छाई
है
कि
वो
जिसे
टिकट
देती
है
उसके
साथ
अन्त
तक
खड़ी
रहती
है।
हालांकि
राजनीति
के
हिसाब
से
देखे
तो
कांग्रेस
के
जिलाध्यक्ष
पद
पर
रहे
तलक
मुस्लिम
वोटों
को
लाने
में
सक्षम
हैं।
लेकिन
अन्य
वर्गो
के
बीच
पैठ
पर
नुकसान
उठाना
पड़
सकता
है।
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