UP:पूर्व स्पीकर माता प्रसाद पांडे ने रिश्तेदारों को दी सरकारी नौकरी, हाईकोर्ट ने दिए जांच के आदेश
यूपी विधानसभा सचिवालय भर्ती घोटाले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में पूर्व विस अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे पर रिश्तेदारों को नौकरी देने का आरोप है।
इलाहाबाद। सपा सरकार में हुई एक और भर्ती विवादो में घिर गयी है। इस बार यूपी विधानसभा सचिवालय में हुई भर्ती में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। इस फर्जीवाड़ा में विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय पर रिश्तेदारों को नौकरी देने के आरोप लगे हैं। इस मामले में सुनवाई करते हुये इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरूवार को विधानसभा सचिवालय में समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी पद पर हुई भर्ती में जांच के आदेश दिये है। भर्ती में घोटाले करने का आरोप सीधे तत्कालीन विस अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय पर होने के कारण मामला हाईप्रोफाइल हो गया है।
कोर्ट में सामने आए कई सबूत
विधानसभा सचिवालय में समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी पद पर चयनित कईअभ्यार्थीयों की योग्यता और माता प्रसाद पांडेय की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुये जब इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई तो लखनऊ खण्डपीठ में न्यायमूर्ति एपी साही और न्यायमूर्ति डीएस तिवारी की बेंच ने सुनवाई शुरू की। जिरह के दौरान कोर्ट में यह बातें सामने आयी कि कई चयनित अभ्यर्थी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के नजदीकी और रिश्तेदार हैं। जबकि कुछ नाम ऐसे हैं जिनका नाम अंतिम चयन सूची में शामिल नहीं था। बावजूद इसके उन्हे इन पदों पर चुन लिया गया।
19 साल के लड़के को दे दी नौकरी
कोर्ट के समक्ष सबसे प्रबल दावा तो तब हुआ जब सौरभ सिंह नाम के चयनित अभ्यार्थी का डाटा पेश किया गया। सौरभ सिंह की आयु 19 वर्ष है। यानी कि उसे 19 वर्ष में ही नौकरी मिल गई । जबकि जबकि चयन में न्यूनतम आयु 21 वर्ष तय है। याचिका में दलील दी गयी थी कि प्रक्रिया में न तो आरक्षण नियमों का पालन हुआ न ही पारदर्शिता अपनायी गई। सिद्धार्थनगर से एक दर्जन लोगों के चयन और 45 चयनित अभ्यार्थी भी इसमें पक्षकार हैं।
क्या है मामला
यूपी की पूर्ववर्ती सपा सरकार में विधानसभा सचिवालय में रिक्त पदो की वजह से प्रभावित कामकाज को देखते हुये विधानसभा अध्यक्ष रहे पांडेय ने पदो को भरने का सुझाव सरकार को दिया था। जिस पर तत्काल अमल के बाद 47 समीक्षा अधिकारी और 60 सहायक समीक्षा अधिकारियों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया। सचिवालय की वैकेंसी होने के कारण बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने इसमें हिस्सा लिया । भर्ती प्रक्रिया की परीक्षा पूरी हुई तो 18 अक्तूबर 2016 को परिणाम घोषित किया गया। लिखित परीक्षा में सफल 1113 अभ्यार्थियों को साक्षात्कार के बुलाया गया था। इसमें ऐसे लोगो का चयन किया गया जो योग्य नहीं थी। इस बावत हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया और आरोप व साक्ष्य जब सामने आये तो भर्ती में घोटाले की बात उजागर हुई। इस पर हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव विधान सभा को जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
{promotion-urls}