सपा की पहली लिस्ट से साफ, उत्तर प्रदेश में ना गठबंधन होगा, ना महागठबंधन
समाजवादी पार्टी की पहली लिस्ट को देखा जाए तो ये कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी। साथ ही रालोद के भी साथ आने की संभावना नहीं दिखती।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों में भाजपा, सपा और बसपा के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। पिछले काफी समय से चर्चा है कि सपा-कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल के बीच महागठबंधन हो सकता है। सपा और कांग्रेस भले ही रालोद के नाम पर साफ कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन सपा-कांग्रेस के साथ-साथ लड़ने को लेकर दोनों ही पार्टियों के नेता लगातार हामी भर रहे हैं। इस सबसे बीच आज जारी हुई समाजवादी पार्टी की पहली लिस्ट को देखा जाए तो ये कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लडेंगी। ऐसा कहने की वजह है सपा की पहली लिस्ट के उम्मीदवार।
सपा की पहली लिस्ट में 191 सीटों पर नाम उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। इनमें दस से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस के विधायक हैं लेकिन सपा ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस ने अपने सभी सीटिंग एमएलए को टिकट देने की बात काफी पहले कही है, ऐसे में ये गठबंधन होगा इस पर संदेह है। इन सीटों में कई ऐसी हैं, जिन पर कांग्रेस के समझौता करने की उम्मीद नहीं दिखती क्योंकि इन पर पार्टी के बड़े नेता चुनाव लड़ते हैं।
शामली सीट से इस समय कांग्रेस के पंकज मलिक विधायक हैं। यहां सपा ने वीरेंद्र सिंह के बेटे मनीष चौहान को उम्मीदवार बनाया है। सहारनपुर का गंगोह सीट कांग्रेस के प्रदीप चौधरी ने जीती थी। प्रदीप अब बसपा में जा चुके हैं। इस बार सहारनपुर के बड़े नेता इमरान मसूद यहां से अपने भाई को लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं। यहां से सपा ने इंद्रसेन को टिकट दिया है। पंकज मलिक और इमरान मसूद दोनों की ही कांग्रेस नाराज करने का खतरा मोल नहीं ले सकती क्योंकि वेस्ट की कई सीटों पर इन दोनों का प्रभाव है। पंकज जाटों में तो इमरान मुस्लिमों में काफी लोकप्रिय हैं।
रामपुर की स्वार सीट से कांग्रेस के नवाब काजिम खां विधायक हैं। यहां से सपा ने आजम खान के बेटे अब्दुल्ला को टिकट दिया है। काजिम का स्वार सीट पर काफी प्रभाव माना जाता है। स्वार सीट ना आजम छोड़ने को तैयार होंगे और ना ही नवाब काजिम। इसकी बड़ी वजहदोनों के बीच प्रतिद्वन्दता है। सहारनपुर में भी मसूद का परिवार इंद्रसेन परिवार का प्रतिद्वन्दी माना जाता है, दोनों ही एक-दूसरे लिए कोई सीट छोड़ने को तैयार नहीं होंगे। वहीं पंकज मलिक ने 2012 में शामली सीट से सपा के वीरेंद्र सिंह को हराया था और अब वीरेंद्र के बेटे मनीष को सपा ने टिकट दिया है। पंकज मलिक दो बार विधायक रहे हैं, उनके पिता हरेंद्र मलिक पूर्व सांसद हैं। दोनों परिवारों में वर्चस्व की राजनीति के लिए जिस तरह से जोर-आजमाइश है, उसे देखते हुए किसी भी पार्टी के लिए सीट छोड़ने को अपने प्रत्याशी को मनाना आसान नहीं होगा।
बुलंदशहर के स्याना से कांग्रेस के दिलनवाज एमएलए हैं। सपा ने यहां से राजकुमार लोधी को टिकट दिया है। 2012 के विधानसभा में कानपुर की किदवईनगर सीट पर अजय कपूर ने जीत हासिल की थी। वहां से सपा ने ओम प्रकाश मिश्रा को टिकट दिया है। खुर्जा से बंशी पहाड़िया कांग्रेस के विधायक हैं, सपा ने नन्द किशोर बाल्मिकी को प्रत्याशी बनाया है। बिलासपुर से कांग्रेस के संजय सिंह जीते, यहां से बीना भारद्वाज सपा की प्रत्याशी हैं।
हापुड़ से कांग्रेस के गजराज सिंह ने सीट जीती थी, सपा ने यहां से तेजपाल को टिकट दिया है। मथुरा सीट कांग्रेस प्रदीप माथुर के पास है इस पर सपा ने अशोक अग्रवाल को टिकट दिया है। सपा के राजेंद्र राणा के निधन के बाद देवबंद विधानसभा सीट कांग्रेस के माविया अली ने जीती थी, माविया अब सीट पर सपा के उम्मीदवार हैं। साफ है कि 2012 में सपा की लहर के बावजूद जो नेता कांग्रेस के चुनाव निशान पर जीते उन्हें पार्टी किसी कीमत पर निराश नहीं करना चाहेगी, क्योंकि इससे पार्टी को ना सिर्फ इस चुनाव में बल्कि लोकसभा चुनाव में भी तगड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
रालोद
के
प्रभाव
वाली
सीटों
पर
भी
सपा
के
उम्मीदवार
वहीं
राष्ट्रीय
लोकदल
के
साथ
भी
महागठबंधन
की
कोई
उम्मीद
नहीं
दिखती
है।
अजित
सिंह
के
सबसे
ज्यादा
प्रभाव
वाली
बागपत
लोकसभा
की
सीटों
पर
सपा
ने
उम्मीदवार
उतार
दिए
हैं।
बागपत
के
अलावा
मेरठ,
मुजफ्फरनगर,
शामली,
मथुरा
की
विधानसभा
सीटों
पर
उम्मीदवार
घोषित
कर
सपा
ने
साफ
कर
दिया
है
कि
वेस्ट
में
उसके
प्लान
में
राष्ट्रीय
लोकदल
से
गठबंधन
शामिल
नहीं
है।
अजित
सिंह
के
बेटे
जयंत
चौधरी
2012
में
मथुरा
की
मांट
सीट
पर
विधायक
बने
थे,
मांट
सीट
पर
भी
सपा
ने
अपना
प्रत्याशी
घोषित
कर
दिया
है।
छपरौली,
बड़ौत,
थानाभवन,
मांट,
बागपत,
खतौली,
सिवालखास
सीटों
पर
रालोद
को
काफी
मजबूत
माना
जाता
है,
जिन
पर
सपा
ने
उम्मीदवार
उतार
दिए
हैं।
सीटों
सपा
की
लिस्ट
के
बाद
अब
कांग्रेस
और
रालोद
की
रणनीति
क्या
रहती
है,
ये
जल्दी
ही
साफ
हो
जाएगा।
पढ़ें-
अखिलेश
यादव
की
191
उम्मीदवारों
की
लिस्ट
में
जमकर
चली
टीपू
की
तलवार