आसान नहीं है अखिलेश की राह, मुलायम साबित हो सकते है बड़ा रोड़ा
यूपी चुनाव के अलावा अखिलेश यादव के सामने है मुलायम सिंह की बड़ी चुनौती, चुनाव की योजना बनाने के साथ मुलायम को मनाए रखना हो सकता है मुश्किल।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के भीतर जिस तरह से अखिलेश यादव ने अपने बगावती सुर दिखाएं और पार्टी की कमान अपने हाथों में ली है, उसने उन्हें निसंदेह एक सशक्त नेता के तौर पर स्थापित किया है। लेकिन इस बगावत के बाद का रास्ता अखिलेश यादव के लिए आसान नहीं होने वाला है। अखिलेश यादव के सामने अब दो बड़ी चुनौती है एक अपने पिता मुलायम सिंह यादव को संभालना दूसरी यूपी के चुनाव में जीत दर्ज करना। यूपी के चुनाव के लिए अखिलेश अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं लेकिन अगर इस चुनाव में वह असफल होते हैं तो उनके लिए अपने पिता मुलायम सिंह का सामना करना बेहद मुश्किल साबित हो सकता है।
मुलायम की तत्कालीन शांति
अखिलेश यादव ने जब पार्टी का घोषणापत्र जारी किया तो इस मौके पर मुलायम सिंह यादव वहां से नदारद थे, लेकिन अखिलेश यादव ने कहा कि नेताजी की आशीर्वाद उन्हें प्राप्त है, जिसके बाद वह आजम खान के साथ मुलायम के घर पहुंचे और घोषणा पत्र उनसे भी जारी करवाया। लेकिन इस मौके पर मौजूद नेताओं से मुलायम ने कहा कि वह वह अपमानित महसूस कर रहे हैं। मुलायम ने कहा कि नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा, उदय प्रताप सिंह ने मुझे अपमानित किया है, जमीन से आसमान में उनको मैंने बैठाया, लेकिन देखिए अब वो मेरे बारे में क्या कहते हैं। जिसके बाद आजम ने उनसे कहा कि ये चमन तो सारा आप ही का बनाया हुआ है। आजम खान के काफी मान मनौव्वल के बाद मुलायम सिंह पार्टी का घोषणा पत्र जारी करने के लिए राजी हुए, जिसके बाद मुलायम किसी तरह रैलियों में प्रचार करने के लिए भी राजी हुए।
तीन महीने बाद सब ले लेना
चुनाव आयोग ने जब 16 जनवरी को अपना फैसला सुनाया और सपा का चुनाव चिन्ह अखिलेश यादव को दिया तो अखिलेश यादव इस फैसले के बाद सीधे मुलायम के आवास पहुंचे और उनसे कहा कि तीन महीने बाद सबकुछ ले लेना, यह पार्टी आपकी है और आपकी ही रहेगी। मुलायम सिंह इस फैसले के बाद नाराज थे लेकिन वह आगे किसी भी लड़ाई के मूड में नहीं थे और उन्होंने अखिलेश से कहा कि यह गलत उदाहरण पेश किया गया है, अब हमारी पार्टी में बगावत शुरु हो चुकी है। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मुलायम सिंह ने अखिलेश से कहा कि इस पार्टी के भीतर कभी बगावत नहीं हुई और यह जो कुछ भी हो रहा है वह पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं है। नेताजी एक बात से बिल्कुल आश्वस्त थे कि वह पार्टी को टूटने नहीं देंगे और उन्होंने इसका पूरा प्रयास किया, लेकिन अब अखिलेश के खिलाफ भी बगावत हो सकती है।
अपर्णा को शामिल करने के पीछे अखिलेश की सूझ-बूझ
इस मुलाकात के बाद अखिलेश यादव पार्टी का प्रचार कार्यक्रम घोषित करते हुए कहा कि यह चुनाव मुलायम सिंह यादव के नाम पर ही लड़ा जाएगा। नेताजी ने 30 नामों की संस्तुति दी थी औ उन सभी नामों को स्वीकार कर लिया गया है। इसमें एक नाम जो सबसे अहम था वह अपर्णा यादव का था जो मुलायम सिंह की दूसरी बहु हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि 2012 में अपर्णा ने अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध किया था और कहा था कि नेताजी तो हैं अभी, उनको बनाना चाहिए, भैया तो कभी भी बन सकते हैं। यही नहीं अपर्णा यादव ने अखिलेश यादव के खिलाफ कई हवन भी कराए थे जब अखिलेश यादव और मुलायम के बीच विवाद चल रहा था। लेकिन इसके बाद भी अखिलेश ने अपर्णा को टिकट देने का फैसला लिया और कहा कि राजनीति में दिल बड़ा होना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा मुलायम सिंह यादव के साथ संबंधों को बेहतर करने के लिए किया गया, यही नहीं अखिलेश यादव ने पार्टी के अहम सदस्यों से मुलायम सिंह यादव के संपर्क मे रहने को भी कहा है।
यूं नहीं अखिलेश-मुलामय के करीबी हैं आजम
जिस वक्त अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के बीत विवाद चल रहा था उस वक्त आजम खान ने काफी अहम भूमिका निभाई थी, चुनाव आयोग के फैसले से पहले आजम मुलायम से मिलने उनके आवास पहुंचे थे, उस वक्त मुलायम ने उनसे कहा था कि कोई सम्मानजनक फैसला हो जाए। सपा के वरिष्ठ नेता का कहना है कि आजम खाने के अलावा कोई भी नेता मुलायम और अखिलेश के बीच पुल बनने का काम नहीं कर पाया। आजम खान ने मुलायम सिंह यादव को शांत रखने और उन्हें संभालने में काफी अहम भूमिका निभाई थी। एक तरफ जहां आजम मुलायम से मिलते थे तो कहते थे कि अखिलेश का जीतना जरूरी है, वहीं जब वह अखिलेश से मिलते थे तो कहते थे भाजपा को हराने के लिए आप दोनों का साथ होना जरूरी है। आजम ऐसे नेता थे जिन्होंने किसी एक पक्ष का समर्थन नहीं किया बल्कि दोनों ही पक्षों को समझाने की पूरी कोशिश की।
अमर सिंह को किनारे लगाने के लिए खेला गया बड़ा दांव
आजम खान ही वह व्यक्ति थे जिन्होंने अमर सिंह को मुलायम सिंह से दूर रखने में अहम भूमिका निभाई थी। सपा के कई नेता मानते हैं कि इस पूरे विवाद की जड़ अमर सिंह थेष अमर सिंह और मुलायम सिंह की अक्सर होने वाली बातचीत में शामिल एक नेता का कहना है कि अमर सिंह मुलायम से कहते थे कि अखिलेश आपका बेटा है लेकिन वह आपकी बात को नहीं सुनता है। जिस वक्त पार्टी के भीतर चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद शुरु हुआ उस वक्त आजम खान ने अमर सिंह की एक रिकॉर्डिंग को भी सामने रखा था जिसमें वह अखिलेश के खिलाफ अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते थे। जब आजम ने मुलायम सिंह से इस रिकॉर्डिंग के बारे राय मांगी तो वह आश्चर्यचकित थे, जिसके तुरंत बाद मुलायम ने अमर सिंह से कहा था कि आप मेरे साथ चुनाव आयोग नहीं चलेंगे। इस रिकॉर्डिंग के बाद अमर सिंह की मुलायम से दूरी बढ़ी और मुलायम को इस बात के लिए मनाया जा सका कि वह अखिलेश के खिलाफ किसी भी तरह का कदम नहीं उठाएंगे।
पार्टी के अंदरखाने के नेता का कहना है कि आजम खान ही वह अहम व्यक्ति थे जिन्होंने मुलायम सिंह को लोगों व मीडिया के सामने भावुक होने से रोका था, अगर मुलायम सिंह मीडिया के सामने रो देते तो अखिलेश के लिए लोगों का समर्थन हासिल करना काफी मुश्किल हो जाता, भारत संवेदनाओं का देश है।