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आपदा ने तोड़ी किसान की कमर, प्रशासन ने तो तोड़ ही दी उम्मीद, बांटी ही नहीं मुआवजा राशि लौटा दी वापस

प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से किसानों का दर्द और बढ़ गया है। यही नहीं इससे ये भी पता लग रहा है की किसानों की समस्याओं को लेकर प्रशासन कितना संवेदनशील है।

By Gaurav Dwivedi
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मिर्जापुर। योगी सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक में किसानों के कर्जमाफी के फैसलों को लेकर किसान टकटकी लगाए हुए हैं। लेकिन फैसले के बाद भी किसानों के कर्जमाफी का फैसला बेमानी साबित हो सकता है। हाल ही में 1 अप्रैल को किसानों को बंटने के लिए आया रुपया शासन को वापस हो गया है। साल 2015 में आए हुदहुद चक्रवाती तूफान से बर्बाद हुई किसानों की फसलों के लिए मुआवजा जिसमें शासन से मिले 39 करोड़ 60 लाख रुपए में से प्रशासन मात्र 11 करोड़ 14 लाख रुपए बांट पाया। शेष 28 करोड़ 45 लाख रुपए एक अप्रैल को शासन को वापस कर दिया गया। साढ़े तीन महीने पहले मिले आपदा राहत के पैसे को किसानों तक पहुंचाने में प्रशासन नाकाम साबित हुआ।

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आपदा ने तोड़ी किसान की कमर, प्रशासन ने तो तोड़ ही दी उम्मीद, बांटी ही नहीं मुआवजा राशि लौटी दी वापस

प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से किसानों का दर्द और बढ़ गया है। यही नहीं इससे ये भी पता लग रहा है की किसानों की समस्याओं को लेकर प्रशासन कितना संवेदनशील है। वर्ष 2015 के आखिरी महीनों में जिले में आए चक्रवाती तूफान ने किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया था। यहां तक किसानों की खड़ी फसलें जमींदोज हो गईं। इससे किसान पूरी तरह टूट गया था। किसानों के साथ ही राजनीतिक दलों, किसान संगठनों की ओर से किसानों को आपदा राहत के रूप में मुआवजा दिलाने के लिए लगातार आंदोलन किया जाता रहा। इसे गंभीरता से लेकर शासन की ओर से जिले को लगभग 15 दिसंबर 2016 को आपदा राहत के रूप में 19 करोड़ 40 रुपए की धनराशि भेजी गई।

यही नहीं शासन का निर्देश था की किसानों को 31 मार्च के पहले पूरा राहत बांट दिया जाए लेकिन प्रशासन ने किसानों के बीच में आपदा राहत बांटने को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं। डीएम ने एसडीएम को और एसडीएम ने तहसीलदार को फिर तहसीलदार ने लेखपाल पर जिम्मेदारी सौंपकर पूरी कवायद की इतिश्री कर ली। परिणाम ये रहा की साढ़े तीन महीने में चारों तहसीलों में मिलाकर मात्र 11 करोड़ 14 लाख 30 हजार रुपए बंट पाए। इसमें सदर तहसील में सबसे अधिक 7 करोड़ 66 लाख रुपए बंटा है जबकि सदर तहसल को लगभग 12 करोड़ रुपए मिले थे। किसानों को आपदा राहत बांटने में चुनार तहसील दूसरे स्थान पर रहा है। यहां किसानों में बांटने के लिए 14.50 करोड़ रुपए मिले थे जिसमें भी मात्र 2 करोड़ 53 लाख रुपए ही बंट पाए।

आपदा ने तोड़ी किसान की कमर, प्रशासन ने तो तोड़ ही दी उम्मीद, बांटी ही नहीं मुआवजा राशि लौटी दी वापस

लालगंज और मड़िहान तहसील सबसे फिसड्डी

लालगंज और मड़िहान तहसील प्रशासन आपदा राहत बांटने में सबसे फिसड्डी साबित हुआ है। लालगंज में किसानों को बांटने के लिए मिले 8 करोड़ रुपए में से मात्र 54 लाख रुपए बंट पाए हैं। इसी तरह मड़िहान तहसील को मिले चार करोड़ रुपए में से मात्र 40 लाख रुपए ही बंट पाए। आपदा राहत बांटने में उदासीनता से ये पता चलता है की प्रशासन किसानों की हितैषी किसी भी दृष्टि से नहीं है। इससे किसानों को बड़ा धक्का लगा है।

सवा लाख किसानों में बंटनी थी आपदा राहत

मिर्जापुर जिले के लगभग सवा लाख किसानों में आपदा राहत बंटनी थी। यदि सही से किसानों को पैसा दिया गया होता तो, जिससे किसानों की बर्बादी से काफी हद तक राहत मिल गई होती। लेकिन प्रशासन ने किसानों के दर्द को महसूस नहीं किया। प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजकर पैसा मंगाए जाने के बाद उसका न बंटना चिंता का विषय बना है।

जिले के किस तहसील को कितना मिला-कितना बंटा?

सदर तहसील को मिले 12 करोड़ रुपए और बंटा 7 करोड़ 66 लाख

चुनार तहसील को मिला 14.50 करोड़ रुपए, बंटा 2 करोड़ 53 लाख

लालगंज तहसील को मिला 8 करोड़, बंटा मात्र 54 लाख

मड़िहान तहसील को मिला 4 करोड़, बंटा मात्र 40 लाख

आपदा ने तोड़ी किसान की कमर, प्रशासन ने तो तोड़ ही दी उम्मीद, बांटी ही नहीं मुआवजा राशि लौटी दी वापस


किसानों को राहत देने की शासन-प्रशासन की कवायद बेमानी

किसानों को राहत देने की शासन और प्रशासन की कवायद बेमानी है। जब शासन से आए पैसे को न बांटकर प्रशासन ने वापस कर दिया तो किसान क्या करें। किसानों को तो ये बताया तक नहीं गया की आपदा राहत का पैसा आया है। इससे भी पैसा बंटने में दिक्कत हुई।

बंटे पैसे में भी घालमेल की आशंका

आपदा राहत के नाम पर बंटे पैसे में भी घालमेल की आशंका व्यक्त की जा रही है। किसान संगठनों की ओर से कहा जा रहा है कि पैसे का वितरण भी लेखपालों ने अपने हिसाब से किया है। इसलिए लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

अधिकारी ने क्या कहा?

एडीएम विजय बहादुर सिंह ने कहा की लघु और सीमांत किसानों को आपदा राहत बंटनी थी। इसलिए उनको ही बांटा गया। बड़े किसानों को पैसा नहीं बंट पाया। वहीं पैसा शासन को वापस किया गया है। अब ये शासन पर निर्भर करता है की वो किसानों को पैसा देता है या नहीं।

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English summary
Administration didnot distribute the compensation amount among farmers return back in Mirzapur
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