यूपी: यहां कोई नहीं करता अपनी बेटी की शादी, कुंवारे कर रहे पलायन
इलाहाबाद के एक गांव में पानी की किल्लत कुंवारों के लिए भारी समस्या बन गई है। यहां अपनी बेटी की शादी करने से हर बाप हिचकता है।
इलाहाबाद। इलाहाबाद के एक गांव में शादी न होने से कुंवारे लड़के गांव से पलायन कर रहे हैं। इस गांव में वर्षों से कोई नयी दुल्हन नहीं आयी है। यहां के लोग बाराती बनकर ढोल-नगाड़े व खुशियों को तरस रहे हैं। इस समस्या का कारण जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
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पानी की किल्लत शादी में बाधक
दरअसल यूपी के सबसे खूबसूरत शहरों में एक संगम नगरी इलाहाबाद में एक ऐसा गांव हैं जहां पानी की किल्लत से हालात बदतर हो गये हैं। यहां के ग्रामीणों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। पानी की गहरी समस्या से जूझ रहे इस गांव में कोई भी अपनी बेटी नहीं भेजना चाहता। यहां रहने वाले लोगों की जिंदगी अकाल से जूझ रहे रेगिस्तान की तरह है। नयी पीढी ने तो पलायन शुरू कर दिया है । ताकि वह बेहतर विकल्प अपने लिये तलाश सके। लेकिन आश्चर्य होता है कि प्रशासन गांव की इस मूलभूत समस्या को हल कर के लिये कोई बेहतर विकल्प नहीं तैयार कर रही है ।
कोहड़िया गांव का बुरा हाल
इलाहाबाद जिले का शंकरगढ़ इलाका पूरी तरह से पथरीला है। पहाड़ तोड़कर गिट्टी बनाना व पत्थर यहां के लोगों का मुख्य रोजगार है। लेकिन समय के साथ इस इलाके में बिजली पानी सड़क के लिये बहुत काम किये गये। लोगो को बेहतर जिंदगी के साधन उपलब्ध कराये गये। लेकिन इलाके का कोहड़िया गांव इलाहाबाद की खूबसूरती व विकास पर ऐसा तमाचा है जो यह बताने के लिये काफी है कि जनता आज भी लाचार है। यहां के लोगो के लिये बिजली आज भी सपना है। पानी की किल्लत से कई पीढ़ी जूझती चली आ रही हैं। आवागमन के लिये न अच्छी सड़क है। न साधन ही उपलब्ध हैं। टीवी और एलइडी लाइट को ये लोग सिर्फ तस्वीरों में देखते हैं। कृषि के लिये जो भूमि भी है वह पानी के अभाव में फसल कैसे पैदा करे। लोगो को अपने व मवेशियों के पानी के लिये हर रोज कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।
कुंवारे छोड़ रहे घर
इस गांव में निषाद परिवार की संख्या अधिक है। लगभग 100 साल पहले इस गांव में परिस्थितियां ऐसी नहीं थी। यानी पानी की समस्या इतनी गहरी नहीं थी। लेकिन अब जब गांव में पानी की व्यवस्था जीरो है तो कोई भी अपनी बेटी इस गांव में ब्याहने को तैयार नहीं हैं। कई ऐसे युवक हैं जिनकी चार से 6 बार शादी हुई। लेकिन जब पानी की समस्या लड़की वालों को पता चली तो शादी तोड़ दी गई । चाहे रामानुज हो य सुखपाल। दिनेश, कलुआ, रामकिशन इन सब की शादी कई बार टूट चुकी हैं । इनकी उम्र 35 को पार कर रही है। ऐसे में अब उम्मीद भी खत्म हो रही है। अब तो नयी पीढी के युवा गांव से पलायन कर रहे है। बेहतर जिंदगी की तलाश व रोजगार के अवसर की खोज में वह गुजरात, दिल्ली, मुंबई व राजस्थान जैसे शहरो में जा रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि कोई भी वापस लौटकर अपने गांव नहीं आना चाहता है। जिससे अब इस गांव में वर्षों से कोई नयी दुल्हन नहीं आयी है।
1 हैंडपंप और हजार से ज्यादा प्यासे
आंकड़े बताते हैं कि इस गांव की आबादी एक हजार के पार हैं और सरकारी रिकॉर्ड में इस गांव को सिर्फ चार हैंडपंप मिले हैं। लेकिन अफसोस कि उन चारो में सिर्फ एक ही चालू हालत में है। बाकी हैंडपंप लोगो के जख्म पर नमक छिड़क रहे हैं । अब जरा आप ही सोचिये कि हजार लोगों की प्यास एक अकेला हैंडपंप कैसे बुझाता होगा। लंबी लाइन लगती है और मात्र एक बाल्टी पानी मिल पाता है। बाकी के पानी के लिये लोग हर संभव तलाश करते हैं। कुओ में उतर कर पानी निकालते हैं। दूर तालाब से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं। यहां जिंदगी खिलौना व व्यवस्था का उपहास करती दिख रही है।
बगल का गांव डीएम की गोदी में
कोहड़िया गांव में हालात बद से बदतर हैं। लेकिन बगल के गांव को डीएम ने गोद ले रखा है। वासी के नाम से जाने जाना वाला यह गांव महज 5 मिनट की दूरी पर यानी एक किलोमीटर दूर है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि कोहड़िया की समस्या डीएम साहब को नहीं दिखती। वासी गांव में बिजली, हैंडपंप, सड़क की व्यवस्था हो चुकी है। कास कोहड़िया पर भी किसी की कृपा हो जाये तो यहां भी घरों में शहनाई बजे और युवाओं को जीवनसाथी मिल सके। ग्रामीणों ने हर संभव पहुंच तक अपनी आवाज भी उठाई है। उम्मीद है कि यह आवाज अब पहुंच जाये।
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