अखिलेश के लिए लोकप्रियता और वोटर होना दो अलग बात है
अखिलेश यादव ने खुद को प्रदेश में विकास का नया चेहरा बताते हुए तमाम जातिगत बंधन को तोड़ने की भी कोशिश की, जिसके चलते उन्हें मीडिया ने अलग जगह दी।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में अखिलेश यादव ने खुद की अलग पहचान बनाने के लिए तमाम ऐसे बड़े कदम उठाए जिसने उन्हें सपा के अन्य नेताओं से इतर अपनी छाप स्थापित किया। उन्होंने पिछले कुछ महीनों में तमाम आपराधिक छवि के नेताओं को पार्टी के बाहर का रास्ता दिखाया, परिवार के भीतर विद्रोह किया और खुद को आधुनिक नेता के तौर पर स्थापित किया।
प्रदेश में विकास का नया चेहरा
अखिलेश यादव ने खुद को प्रदेश में विकास का नया चेहरा बताते हुए तमाम जातिगत बंधन को तोड़ने की भी कोशिश की, जिसके चलते उन्हें मीडिया ने अलग जगह दी और राजनीतिक जानकारों की मानें तो सपा नए कलेवर में लोगों के बीच आ चुकी है।
अखिलेश यादव ने विकास के काम किए
उत्तर प्रदेश में तकरीबन हर समुदाय के लोगों का मानना है कि अखिलेश यादव ने विकास के काम किए हैं, पिछले दो सालों के कामों पर नजर डालें तो उन्होंने तमाम गांवों में बिजली पहुंचाने, सड़कों का निर्माण और तमाम नई योजनाओं की शुरुआत की, इन्ही विकास के कामों के दम पर उन्होंने खुद को विकास करने वाले नेता के तौर पर स्थापित करने का काम किया हा। लेकिन यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि जो लोग अखिलेश यादव को विकास पुरुष मानते हैं और इस बात से सहमत हैं कि उन्होंने विकास के काम किए हैं क्या वह उन्हें वोट देंगे, तो इसका जवाब होता है नहीं।
तकरीबन हर जाति के लोगों को अखिलेश पसंद
हालांकि अखिलेश यादव के काम की लोग तारीफ तो करते हैं लेकिन लेकिन वोट देने के नाम पर उनकी राय बिल्कुल अलग होती है। बुंदेलखडं,फैजाबाद, अयोध्या सहित तमाम मध्य यूपी के लोग अखिलेश यादव की तारीफ तो करते हैं लेकिन उन्हें वोट देने के पक्ष में नहीं हैं, यह वो क्षेत्र हैं जहां मुस्लिम व यादवों का बाहुल्य है।
ब्राह्मण, वैश्य, ठाकुर, राजपूत, शाक्य, कुशवाहा, केवरी
इनके अलावा ब्राह्मण, वैश्य, ठाकुर, राजपूत, शाक्य, कुशवाहा, केवरी, धोबी, मल्लाह, जाटव सहित तमाम जातियों के लोग अखिलेश यादव के काम की तारीफ करते हैं और कहते हैं कि वह अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन बावजूद इसके ये लोग उन्हें वोट देने के पक्ष में नहीं हैं, लोगों का कहना है कि वह स्थानीय मुद्दों और अपनी जरूरतों के हिसाब से उम्मीदवारों को वोट देंगे।
अखिलेश लोगों की पसंद पर वोट नहीं
कानपुर के 26 वर्षीय इशान वाजपेयी का कहना है कि अखिलेश यादव अच्छे नेता हैं और वह काफी प्रतिभावान हैं, लेकिन वह सपा के मुसलमानों की तुष्टिकरण के खिलाफ हैं और वह भाजपा को अपना वोट देंगे। लेकिन महोबा के आशीष तिवारी का कहना है कि अखिलेश के समर्थन में हैं, उनका कहना है कि इस पूरे क्षेत्र में कुल 100 तालाब हैं जिसमें से अकेले 52 महोबा में हैं, ऐसे में वह अखिलेश यादव को ही वोट देंगे। वहीं उनके पास बैठे जगेश्वर चौरसिया का कहना है कि मुझे तो हाल ही में लैपटॉप मिला है, उनका कहना है कि बसपा के लोगों ने काम नहीं किया है, यहां बड़ी संख्या में जाटव हैं जो सपा और भाजपा को अपना वोट देंगे।
जयललिता और नीतीश की राह पर अखिलेश
बिहार की राजनीतिक के बारे में एक बार लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि लोगों को विकास नहीं चाहिए, मेरी सोशल इंजीनियरिंग, व्यक्तिगत प्रभाव ने उन्हें 15 साल तक सत्ता में रखा। लेकिन जब नीतीश कुमार ने उनसे सत्ता वापस ली तो प्रदेश में सड़क से लेकर विकास के तमाम कार्य किए गए और कानून व्यवस्था को भी बेहतर किया गया, गांवों मे रात में बिजली पहुंचने लगी, जिसके बाद नीतीश कुमार क विकास पुरुष की संज्ञा दी जाने लगी।
क्या अखिलेश यादव सफल होंगे
बहरहाल यह देखने वाली बात होगी कि क्या अखिलेश यादव नीतीश कुमार और जयललिता के मिश्रण को आगे बढ़ा पाते हैं और एक बार फिर से सत्ता में आएंगे, अखिलेश यादव ने एक तरफ जहां तमाम विकास के काम कराएं तो दूसरी तरफ उन्होंने देशी घी, कुकर, लैपटॉप, मोबाइल फोन आदि बांटने का काम किया।