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अखिलेश के सामने बड़ा नेता बनकर उभरने की चुनौती

अखिलेश यादव ने जिस तरह से बड़े फैसले लिए हैं उसे देखते हुए उनके सामने बड़ी चुनौती है कि इन फैसलों पर बने रहना जोकि उन्हें बड़े नेता के रूप में स्थापित कर सकता

By Ankur
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लखनऊ। समाजवादी पार्टी में मचे संग्राम के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस तरह से अपने फैसलों को वापस नहीं लेने के संकेत दिए हैं उससे साफ होता दिख रहा है कि वह पार्टी के भीतर अपने को मजबूत नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं।

akhilesh yadav

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पार्टी के भीतर मुलायम सिंह के दो सबसे करीबी अमर सिंह और शिवपाल सिंह के खिलाफ खुले मंच पर मोर्चा खोलकर उन्होंने उन्होंने पार्टी के भीतर ना सिर्फ अपनी ताकत को दिखाया है बल्कि अपनी राजनीतिक समझ का भी परिचय दिया है।

साढ़े चार मुख्यमंत्री के दाग से छूटने की चुनौती

अखिलेश यादव पर हमेशा से ही यह आरोप लगता आया कि वह पूर्ण रूप से मुख्यमंत्री नहीं हैं, सरकार में साढ़े चार मुख्यमंत्री हैं, लेकिन अब अपनी छवि को तोड़ते हुए उन्होंने पार्टी के भीतर शिवपाल यादव और आजम खान सरीखे नेताओं के सामने झुकने से इनकार कर दिया है।

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हालांकि अखिलेश यादव ने अपनी छवि को बदलने की कोशिश थोड़ी देर से शुरु की है, लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपना सख्त रुख दिखाया है उसने निसंदेह उन्हें अपनी छवि बदलने में मदद की है।

रिश्तेदारों के चंगुल से बाहर आने की चुनौती

अखिलेश यादव इस बात से वाकिफ हैं कि उनकी छवि बेहतर हैं लेकिन वह इस आरोप से खुद को अलग नहीं कर पाए कि पार्टी के भीतर चाचा और रिश्तेदारों का बोलबाला रहा और उन्ही के चलते कई मौकों पर उन्हें काफी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा।

छवि बदलने की चुनौती

अखिलेश पर यह भी आरोप लगता रहा कि सरकार पर उनके अंकल शिवपाल और अमर सिंह का हस्तक्षेप हमेशा से रहा जिसके चलते उनके फैसलों पर भी असर पड़ा। लिहाजा वह खुद की इस छवि को बदलने की पूरी कोशिश में जुटे हुए है।

क्या टिक पाएंगे अपने फैसले पर
जिस तरह से उन्होंने शिवपाल यादव को कैबिनेट से बाहर किया और उन्हें वापस नहीं लेने का अभी तक संकेत दिया है, वह उन्हें एक बड़ा फैसला लेना वाला नेता के तौर पर स्थापित कर सकता है। बहरहाल देखने वाली बात यह है कि क्या अखिलेश इस बार अपने फैसले पर टिक पाते हैं या नहीं।

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English summary
Akhilesh yadav has a challenge to stick on his decision to be leader of future. He has not given any signal to take Shivpal Yadav back in the cabinet.
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