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पिता की गुहार के बाद बेटे ने किया आत्मसमर्पण और सेना ने रोकी फायरिंग

जब पिता ने बेटे से आत्मसमर्पण की अपील की तो सेना ने फायरिंग रोकी और बेटे ने कर दिया आत्मसमर्पण, बेटे के जिंदा होने से खुश हैं पिता

By Ankur
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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पिछले काफी समय से मिलिटेंट से सेना की मुठभेड़ जारी है, घाटी के हालात काफी नाजुक बने हुए हैं, लेकिन इसी बीच घाटी से ऐसी खबर आई है जो यहां के बदलते परिवेश सेआपको रूबरू कराएगी।

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किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं

सोपोर की यह घटना किसी भी फिल्मी कहानी से अलग नहीं है, जब एक पिता अपने मिलिटेंट बेटे से मार्मिक अपील करता है कि बेटा सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दो, यही नहीं पिता की इस अपील के बाद सेना भी फायरिंग को रोक देती है और उसका पांच घंटे तक बाहर इंतजार करती है, जिसके बाद बेटा अपने हथियार सेना के सामने डालकर आत्मसमर्पण कर देता है।

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सेना ने घेर लिया था पूरे घर को

घाटी में 12 दिन पहले 24 साल के उमर मीर ने सेना के सामने आत्मसमर्पण किया है। मीर ने उस वक्त सेना के सामने हथियार डाले जब सेना ने सोपोर में उसे उसके घर में चारो तरफ से घेर लिया था। इस वक्त उमर ने खुद हथियार डालने का फैसला लिया और उसने घर के बाहर आकर सेना के सामने अपने हथियार डाल दिए।

पिता की मार्मिक अपील के बाद डाला हथियार

उमर मीर ने उस वक्त हथियार डालें जब उसके पिता खालिक मीर ने अपने बेटे से अपील की कि वह बाहर आ जाए। पिता की अपील के बाद सेना ने गोलीबारी बंद कर दी और पांच घंटे तक उसका इंतजार किया, जिसके बाद उमर बाहर आया और उसने अपने हथियार डाल दिए।

पिता को विश्वास, एक दिन बेटा घर लौटेगा

सेना के इस कदम के बाद उमर मीर के पिता अब्दुल खालिक ने बताया कि मेरे लिए यह काफी है कि मेरा बेटा जिंदा है, मुझे नहीं पता वह कबतक बंदी रहेगा, लेकिन मेरे लिए यह बड़ी तसल्ली है कि एक दिन वह घर लौटेगा।

सेना और पुलिस के साझा ऑपरेशन के बाद उमर को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है। अगली सुबह अब्दुल और उनकी पत्नी को 22 राष्ट्रीय राइफल कैंप में बुलाया गया, जिसके बाद अधिकारियों ने उमर के बारे में जानकारी मांगी और उनकी तस्वीर ली, जिसके बाद उन्हें जाने दिया गया।

एक बेटा और भतीजा खो चुके हैं अब्दुल

अब्दुल ने बताया कि हमें मीर से मिलने नहीं दिया गया लेकिन मैं अपने पहले बेटे को खो चुका हूं। अब्दुल का एक बेटा मोहम्मद अशरफ 2004 में सेना के एनकाउंटर में मारा गया था। अब्दुल ने कहा कि अशरफ के बाद मैंने अपने भतीजे जावीद मंजूर को 2008 भी खो दिया था। ऐसे में 12 साल के भीतर यह तीसरी मौत मेरे घर में हो सकती थी।

हर किसी को जीने का अधिकार

उमर के आत्मसमर्पण के बारे में सोपोर के एसपी हरमीत सिंह मेहता ने बताया कि सभी को जिंदा रहने का अधिकार है। हमने मिलिटेंट को एक मौका दिया, जिसे उसने स्वीकार कर लिया। उमर के पिता और उसके घरवालों ने उसे हथियार डालने के लिए प्रेरित किया। उमर के पास के एक एके, तीन मैगजीन, एक वायरलेस सेट, दो ग्रेनेड, एक पाउच, मैट्रिक शीट बरामद की गई है।

English summary
When father appealed to his militant son to surrender army held the fire. Father says its solace for me that my son is alive and will come back to home.
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