जम्मू के स्कूल में अपने पुराने दिनों को याद कर CJI हुए भावुक, कहा- आज भी वही टूटी कुर्सियां हैं
भारत के मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने जम्मू के स्कूल में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए राज्य में शिक्षा और स्कूलों के मौजूदा हालात टिप्पणी की।
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर उस समय भावुक हो गए जब वो अपने ही पूर्व स्कूल के एक कार्यक्रम में बच्चों को संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि बीते 50 सालों में हम मंगलयान तक पहुंच गए हैं लेकिन इस स्कूल के बुनियादी ढांचे में कोई बदलाव नहीं आया। आज भी पुरानी टूटी कुर्सियां हैं।
जम्मू और कश्मीर स्थित सेंटर बेसिक स्कूल में बच्चों को संबोधित करते हुए ठाकुर ने कहा कि मैं जानता हूं कि अतिवाद की वजह से इस क्षेत्र की हालत बीते 25-30 सालों से बुरी है।
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सरकार कर रही है कई चुनौतियों का सामना
कहा कि सरकार कई चुनौतियों का सामना कर रही है लेकिन शिक्षा ऐसी चीज है जिससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। यही प्रगति का एक रास्ता है।
ठाकुर ने कहा कि इसलिए वो ताकतें जो चाहती हहैं कि तालीम न हो, जिहादियत की तरफ लोगों को ढकेला जाए, वो अब स्कूल को भी जला रहे हैं।
बता दें कि ठाकुर ने 50 साल पहले इसी स्कूल में पढ़ाई की थी। अपने संबोधन के दौरान भावुक होते हुए ठाकुर ने कहा कि मैं यहां आकर खुश भी हूं और हैरान भी हूं।
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जलाए जा रहे हैं कश्मीर में स्कूल
कहा कि खुशी इस बात की 50 साल पहले इस स्कूल से निकला, 50 साल बाद फिर इस स्कूल में आया। पुराने दोस्तों से मिला, अपने उस्ताद (शिक्षकों) से मुलाकात हुई। उनका शुक्रिया अदा करने का मौका मिला।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आपने जरूर देखा होगा कि किस तरह से कश्मीर में स्कूलों को जलाए जा रहे है, जम्मू में इन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है लेकिन मुझे अब भी उम्मीद की किरण दिखाई देती है।
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