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क्या है डीआरएस जिस पर भड़क रहे हैं क्रिकेटर?

ब्रिसबेन। भारत-आस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज हारने के बाद इंडियन क्रिकेटरों के बीच हार को लेकर नहीं बल्कि डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ गई है। भारत के दिग्गज खिलाड़ियों ने हार का ठिकरा डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) पर फोड़ा है और यहां तक कह दिया है कि अगर डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) का विरोध बीसीसीआई कर रहा है तो उसे इसी तरह से कई टेस्ट सीरीज को हारने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।

पहले एडीलेड और अब ब्रिसबेन में भी कई भारतीय खिलाड़ियों को विवादित आउट दिया गया जिसके चलते अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जगत में डीआरएस को लेकर मुद्दा गर्माया हुआ है।

डीआरएस होता तो नहीं हारता भारत!

गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों के दौरान कम से कम पांच अवसरों पर अंपायरों के फैसले भारत के खिलाफ गये जिसके कारण कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी कहना पड़ा कि मेहमान टीम को अधिक नुकसान हुआ लेकिन इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि डीआरएस होने से भी उनकी टीम को खास मदद नहीं मिलती।

डीआरएस के विरोध में कप्तान धोनी

लेकिन भारत के दिग्गज स्पिनर रह चुके हरभजन सिंह ने डीआरएस का समर्थन किया है और कहा कि हो सकता है कि हमें हर समय इस नियम का फायदा नहीं मिलता है लेकिन नंबे प्रतिशत मामलों में यह टीम इंडिया के लिए फायदे का सौदा हो सकता है।

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तो वहीं पूर्व दिग्गज स्पिन गेंदबाज शेन वार्न ने एक बार फिर डीआरएस प्रणाली का पुरजोर समर्थन किया है।वार्न ने कहा, "मुद्दा यह नहीं है कि डीआरएस प्रणाली लागू हो या नहीं, बल्कि मुद्दा यह है कि सभी को एक ही नियम के तहत खेलना चाहिए।" गौरतलब है कि अगले वर्ष आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की संयुक्त मेजबानी में होने वाले आईसीसी विश्व कप में डीआरएस प्रणाली लागू रहेगी।

पगबाधा आउट का फैसला डीआरएस से नहीं लिया जा सकता

मालूम हो कि मौजूदा दौर में डीआरएस के नए संस्करण का पालन किया जा रहा है जिसमें हॉट स्पॉट तकनीक तो है लेकिन बॉल ट्रैकर नहीं होता है जिसका मतलब है कि पगबाधा आउट का फैसला डीआरएस से नहीं लिया जा सकता है।

क्या है डीआरएस?

विकीपीडिया के मुताबिक डीआरएस वर्तमान में क्रिकेट के खेल में प्रयोग की जाने वाली एक नई तकनीक आधारित प्रणाली है। इस प्रणाली का सबसे पहली बार प्रयोग टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज के आउट होने या नहीं होने की स्थिति में मैदान में स्थित अंपायरों द्वारा दिए गए विवादास्पद फैसलों की समीक्षा करने के एकमात्र उद्देश्य से किया गया था। नई समीक्षा प्रणाली को आधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद द्वारा 24 नवम्बर 2009 को डूनेडिन में यूनिवर्सिटी ओवल में न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच प्रथम टेस्ट के दौरान शुरू किया गया। एकदिवसीय मैचों में इसे पहली बार जनवरी 2011 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध इंग्लैंड की श्रृंखला में इस्तेमाल किया गया। बीसीसीआई इसके विरोध में है।

केवल दो फैसलों पर हो सकता है डीआरएस

एक मैच के दौरान प्रत्येक टीम को प्रति पारी दो असफल समीक्षा का अनुरोध करने की अनुमति दी जाती है। एक क्षेत्ररक्षण टीम 'आउट नहीं' देने का प्रतिवाद करने और बल्लेबाजी करने वाली एक टीम 'आउट' दिए जाने का प्रतिवाद करने के लिए इस प्रणाली का उपयोग कर सकती है। क्षेत्ररक्षण टीम के कप्तान या बल्लेबाज आउट करार दिए जाने पर हाथों से "टी (T) का संकेत देकर निर्णय को चुनौती देता है। एक बार चुनौती देने पर, उसे स्वीकृत कर सहमति प्रदान किए जाने पर थर्ड अंपायर खेल की समीक्षा करता है।

Story first published: Tuesday, November 14, 2017, 12:19 [IST]
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